गुरु पूर्णिमा- सफलता के लिये इस दिन को कभी न भूले!
संपूर्ण भारत मे यहा तक कि विदेश मे भी सभी भारतीय गुरु पूर्णिमा
का त्योहार पूर्ण श्रद्धा व
विश्वास के साथ मनाते है। इस त्योहार को आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को
मनाया जाता है. यह त्योहार कभी जुलाई या कभी आगस्ट महीने मे आता
है. इस दिन को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा कहा जाता है. इस
दिन महर्षि वेद व्यास का भी पूजा का विधान है. उन्हे सद्गुरु या आदि
गुरु के रूप मे माना जाता है. क्योकि वेद का ज्ञान उन्होने ही
विश्व को दिया.
प्राचीन समय मे जब कोई शिष्य से शिक्षा ग्रहण करता था तो इस दिन श्रद्धा भाव से
प्रेरित होकर शिष्य गुरु पूजन कर अपनी सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा देकर कृपा प्राप्त
करता था. गुरु की स्मृति हमारे मन मंदिर में हमेशा ताजा बनाए रखने के लिए इस
दिन अपने गुरुओं को व्यासजी का अंश मानकर
तथा अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए गुरु का आशीर्वाद जरूर ग्रहण करना
चाहिए
आईये जानते कि गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिये...
इस दिन ढीले-ढाले वस्त्र पहनकर कम से कम एक माला यानी १०८ बार गुरु मंत्र
(ॐ गुं गुरुभ्योः नमः) का जाप अवश्य जपना चाहिये.
इस दिन अपने माता-पिता या अपने से बडे -बुजुर्गो का आशिर्वाद अवश्य लेना
चाहिये.
इस अपने गुरु का आशिर्वाद अवश्य लेना चाहिये.
किसी कारण से गुरु के पास नही जा सके तो फोन द्वारा अशिर्वाद अवश्य लेना
चाहिये...
इस दिन अपने गुरु के नाम से किसी भूखे को भोजन करवाना चाहिये.
इस दिन गुरु या उनके चित्र की पूजा कर दक्षिणा अवश्य देनी चाहिये.
व्यास जी और अपने गुरु का नाम अवश्य लेकर ही जाप करे.
अध्यात्मिक किताबे अवश्य पढे
परिवार के साथ शिव मंदिर या किसी भी मंदिर मे दर्शन अवश्य करे.
माता मातंगी दस महाविद्या मे
९वी महाविद्या मानी
जाती है. इन्हे स्तम्भन की देवी भी कहा जाता है.
इनके अलग अलग नाम है जैसे
सुमुखी, लघुश्यामा या श्यामला, उच्छिष्ट-चांडालिनी, उच्छिष्ट-मातंगी,
राज-मातंगी, कर्ण-मातंगी, चंड-मातंगी, वश्य-मातंगी, मातंगेश्वरी,
ज्येष्ठ-मातंगी, सारिकांबा, रत्नांबा मातंगी, वर्ताली मातंगी.
मतंग भगवान शिव का ही नाम है। इनकी शक्ति मातंगी है। सॉवला रंग तथा मस्तक पर चंद्रमा
को धारण करने वाली माता मातंगी वाग्देवी का ही रूप है. ये आकर्षण व स्तंभन की
स्वामिनी मानी जाती है. जो ब्यक्ति मातंगी महाविद्या की सिद्धी प्राप्त करता है, वह
अपने क्रीड़ा कौशल से या कला संगीत से दुनिया को अपने वश में करने की क्षमता
प्राप्त कर लेता है.
इनकी साधना बहुत ही मुश्किल होती है सामान्यतः गुरु
से दिक्षा लेकर १२५००० से ५५०००० लाख मंत्र द्वारा इनकी सिद्दी
प्राप्त की जाती है. इसमे करीब-करीब १०-११ महीने लग जाते है. इसलिये
जो ब्यक्ति साधना नही कर सकते उन्हे
मातंगी अंतर त्राटक या
मातंगी मानस ध्यान करना चाहिये.
मातंगी के साधको को गूढ विज्ञान को सीखने सफलता
जल्दी मिलती है
अगर विवाहित जीवन की कठिन से कठिन समस्या का
निवारण हो जाता है.
इनकी साधना करने वाले स्त्री या पुरुष को
मन-पसंद वर की प्राप्ती होती है
गायन क्षमता को बढाता है
संगीत रचने की क्षमता को बढाता है.
हजारो व्यक्तियो के सामने पूरे आत्मविश्वास के
साथ अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर सकते है
आप अपनी कला से हजारो की भीड पर जबर्दस्त
प्रभाव डाल सकते है.
आपकी क्षमता या आपकी कला से सामने वाले ब्यक्तो
को रोकने या देखने को मजबूर कर सकते है.
स्मरण शक्ति बढ जाती है
आपकी बातो को लोग मंत्रमुग्ध होकर सुनते है
वादविवाद मे विजय हासिल होती है
सीखने की क्षमता बढ जाती है, इसलिये किसी भी
कला क्षेत्र मे जल्दी-जल्दी सफलता मिलती है.
अब जानते है कि
मातंगी
अंतर त्राटक या
मातंगी
मानस
ध्यान कैसे करे.
एक शांत कमरे का चुनाव करे. दरवाजे की घंटी,
मोबाईल फोन को बंद कर दे ढीले-ढाले वस्त्र पहने. एक कुर्सी पर या,
जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाय. अपने ठीक सामने
माता मातंगी की मुर्ती या फोटो को रखे. अब अपने आज्ञा चक्र को पिंच करे और
मातंगी मन्त्र "
ॐ
मातेंगेश्वरी नमः
" का उचारण १ मिनट तक करे. अब एकटक कुछ
सेकेंड उस चित्र या मुर्ती को देखते रहे. और आख बंद कर ले, और उस
मुर्ती को या चित्र को अपने आखो के सामने लाने का प्रयास करे. आप
देखेंगे कि कुछ सेकेंड के लिये वह चित्र या मुर्ती आपके आखो के
सामने दिखाई देगी, फिर गायब हो जायेगी. पहले दिन यह अभ्यास ५-६
मिनट तक करना है.
अब दूसरे दिन पुनः निश्चित समय पर अभ्यास शुरु करे.
अब अपने दोनो आखो के बीच यानी आज्ञा चक्र पर पिंच करे और १ मिनट तक
मातंगी मन्त्र "
ॐ
मातेंगेश्वरी नमः
" का उच्चारण करे.. अब उस चित्र को या मुर्ती को
अपने आखो के सामने लाने का पुनः अभ्यास करे....
इस तरह से आप देखेंगे कि जैसे-जैसे आपका अभ्यास
बढता जायेगा वैसे - वैसे आखे बंद करने के बाद माता
मातंगी का चित्र
ज्यादा समय के लिये आपके सामने टिकना शुरु हो जायेगा. बस यही आपको
चाहिये. जब आपका अभ्यास २१
से २५ दिन का हो जाय तो आप देखेंगे कि
वह मुर्ती या चित्र आपकी आखो के सामने २ से ३ मिनट तक टिकना शुरु
हो जायेगा.
याद रखे ये
चित्र या मुर्ती शुरुवात मे सिर्फ कुछ सेकेंड के लिये ही
आपके आखो के सामने दिखाई देगा.
लेकिन जब २ से ३ मिनट तक दिखाई देने
लगे तो यह मान कर चलिये कि आपने बहुत ही अच्छा अभ्यास किया है. ऐसा करने
से माता मातंगी की जो खासियत है, या जो गुण है वह आपके अंदर आने शुरु हो जाते
है. यानी आपकी बात-चीत का प्रभाव दूसरे होना शुरु हो जाता है,
आपके चेहरे पर तेज आना शुरु हो जाता है. आप
जिससे भी मिलेगे उसे आप प्रभावित कर देंगे.
यह अभ्यास आप रोज करते रहे.
उपयोग कैसे करे
किसी भी कार्य के लिये जाते है तो १ मिनट तक मातंगी मन्त्र "ॐ
मातेंगेश्वरी नमः
" का उच्चारण करे और माता मातंगी का मानस ध्यान कर अपनी
मनोकामना अपने मन मे करे और जाये.
अब कुछ जरूरी बाते....
माता मातंगी बहुत ही स्ट्रांग- पॉवरफुल
तांत्रोक्त देवी मानी जाती है, इसलिये पूर्ण श्रद्धा होने पर
ही इस विधि को अपनाये
इस अभ्यास मे जैसे-जैसे सफलता मिलती जायेगी
वैसे-वैसे आपका स्वभाव मधुर होता चला जाना चाहिये
आपके स्वभाव मे घमंड आते ही इस अभ्यास का असर
खत्म होना शुरु हो जाता है
कोई आपको बला-बुरा या गाली भी दे तो अपना
नियंत्रण न खोये.
अपने विचार हमेशा पवित्र रखे.
इस अभ्यास के द्वारा आप दूसरे की भी मदत कर
सकते है.
इस अभ्यास मे दिक्षा की जरूरत नही होती.
आशा है आप इन विधियो को अपनायेंगे और अपने जीवन मे
सफल होगे. इसलिये पूर्ण श्रद्धा के साथ अभ्यास करे.
आज हम बात करेगें वट सावित्री के दिन कौन से उपाय
करे की हमारी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाय. ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष
की पुर्णिमा को वट साविती व्रत मनाया जाता है. यह सुहागिन स्त्रियो
का त्योहार माना जाता है. इस व्रत को वट पूर्णिमा या सावित्री व्रत
के नाम से भी जाना जाता है. हमारे भारतीय संकृति मे यह आदर्श नारी
का प्रतीक दिन बन गया है. शास्त्र के अनुसार
अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यह व्रत करने का
विधान है स्त्रियो के लिये यह व्रत सौभाग्य व संतान प्राप्ती वाला
दिन माना जाता है. सावित्री का अर्थ वेद माता गायत्री और
सरस्वती भी होता है.
एक कथा के अनुसार भद्र देश के राजा अश्वपति के कोई
संतान नही थी. उन्होंने संतान की प्राप्ति के अठारह वर्षों तक
तपस्या की. तब सावित्री देवी ने प्रकट होकर वर दिया कि 'तुम्हे एक
तेजस्वी कन्या पैदा होगी. माता सावित्री की कृपा से जन्म लेने की
वजह से इस कन्या का नाम सावित्री रखा गया.
कन्या बड़ी होकर बेहद रूपवान थी. उसके लिये योग्य
वर न मिलने की वजह से सावित्री के पिता दुःखी रहा करते थे.
उन्होंने सावित्री को स्वयं अपना वर चुनने के लिये कहा.
सावित्री तपोवन में भटकने लगी. तब सावित्री ने साल्व देश के
राजकुमार सत्यवान जिनका राज्य छीन लिया गया था, से विवाह कर लिया.
सत्यवान अल्पायु थे इसलिये नारद ने भी उन्हे विवाह के लिये मना किया
थे लेकिन सावित्री की जिद पर सत्यवान को विवाह करना पडा. आगे चलकर
अपनी पतिव्रता शक्ति के आधार पर ही सावित्री ने अपने पति को मौत के
मुह से वापस ले आयी.
इस दिन स्त्रिया बरगद की पूजा करती है इसे वट भी
कहते है. भगवान बुद्ध को भी बरगद के पेड के नीचे ज्ञान की प्राप्ती
हुयी थी. कहते है कि सब पेडो की एक उम्र होती है जैसे किसी की ४०
साल तो किसी की ८० साल तो किसी की १०० साल. लेकिन बरगद के पेड की
उम्र आज तक कोई भी नही बता पाया. पूरी दुनिया मे २०० से ३०००
वर्ष पुराने पेड भी पाये गये है. वैज्ञानिको के अनुसार इस पेड मे
जीवनी शक्ति यानी प्राणशक्ति बहुत ही ज्यादा पायी जाती है.
आइये अब जानते है कि स्त्रिया इस दिन का लाभ
कैसे उठाये...
इस दिन बरगद मे धागा बाधकर सात फेरे लगाये और
बेल पत्र अर्पण करे तो घर परिवार सुखी रहता है. पति की लंबी आयु
होती है.
इस दिन बरगद मे धागा बांधकर सात फेरे लगाये और
तुलसी के पत्ते अर्पण करे तो पति का आकर्षण पत्नि के प्रति बढ
जाता है. तथा पति दिर्घायु होता है.
इस दिन बरगद मे धागा बाधकर सात फेरे लगाये और
हल्दी का टुकडा अर्पण करे तो व्यव्साय से संबंधित विशेष कार्य
मे सफलता मिलती है.तथा पति दिर्घायु होता है.
इस दिन २७०० ग्राम यानी २ किलो ७०० ग्राम चावल
निकाल कर अलग बरतन मे रख दे, उसमे से १ मुट्ठी चावल व एक हल्दी
का टुकडा लेकर बरगद के पेड मे धागा बाधकर सात फेरे लगाये
और चावल व हल्दी का टुकडा अर्पण करे और घर आकर उसी चावल मे से
१०० ग्राम के करीब चावल निकाले और रात के भोजन मे उसका का खीर
बनाकर पति-पत्नी सेवन करे. इस तरह से २७ दिन तक रात के
भोजन मे पति-पत्नी खीर का सेवन करे. तो संतान योग प्रबल हो जाते
है.
हमारा शरीर सूक्ष्म रूप मे स्थित ७ चक्रो के द्वारा
संचालित होता है. इन ७ चक्रो के द्वारा हमारे शरीर के ५ तत्व और ३
शक्तिया जैसे कि तामसिक शक्ति, सात्विक शक्ति तथा राजसिक शक्ति
संतुलित रहती है. और हम पूर्ण रूप से शारीरिक, मानसिक व अघ्यात्मिक
रूप से स्वस्थ रहते है. किसी कारण से चक्रो का मार्ग अवरुद्ध हो
जाये या ये चक्र काम करना कम कर दे या चक्रो का काम करना बंद हो
जाय तो उस चक्र से संबंधित शरीर का भाग रोग ग्रस्त हो जाता है. या
उस भाग पर कोई समस्या आ जाती है. और यह समस्या शारीरिक भी हो सकती
है और मानसिक भी हो सकती है.
आज हम यह जानेगे कि अगर आप बिमार है चाहे वह बिमारी
शारीरिक हो या मानसिक. आगे कुछ उदाहरण दे रहा हू इससे आप जान जायेगे
कि आपका कौन सा चक्र खराब हुआ होगा.
पेट के बल ज्यादा सोना या पेट के बल सोना अच्छा
लगता हो
सेक्स मे आनंद न आना
पैरो मे खिचाव आना
गंदे सपने आना
किसी काम मे मन का न लगना
पढाई मे मन न लगना
हमेशा कामुक विचारो मे रहना
२४ घंटे किसी न किसी अपोजिट सेक्स के बारे
सोचते रहना
इसके अलावा गुप्तांग से लेकर पैर के अगूठे तक के
भाग मे कोई भी समस्या हो तो इसका मतलब यह है कि आपका मूलाधार या
बेसिक चक्र खराब है या ये चक्र इनबैलेंस हो गया है.
मासिक धर्म की समस्या
पेट मे दर्द रहना
पेट मे मरोड रहना
पेट फूलना
खाना हजम न होना
किसी भी तरह का व्यसन करना
बुरी संगत
हर पल मुह से गालिया निकालते रहना
गर्भपात होते रहना
गर्भ न ठहर पाना
बच्चेदानी यानी गर्भाशय कमजोर होना
पेट से संबंधित सभी समस्या
इस तरह की समस्या का सामना आप कर रहे है तो इसका
मतलब यह है कि आपका स्वाधिष्ठान या नाभी चक्र खराब है.
अनजाना भय
चोरी, लूट-मार का डर
भूत-प्रेत का डर
हत्या का डर
रात मे डरावने सपने
बार-बार बिमार पडना
किसी को अपने बारे मे बुरा कहते सुनाई देना
शरीर मे काले धब्बे दिखाई दे और कुछ दिन मे
निकल जाये
बार-बार हादसे होते रहना
नजर लगना
तंत्र बाधा
चिडचिडापन
अचानक ही परिवार से या दूसरो से लडाई-झगडा करने
लगना
दवा का शरीर मे काम न कर पाना
इस तरह की समस्या का सामना आप कर रहे है तो इसका
मतलब यह है कि आपका मणीपुर या सोलर चक्र चक्र खराब है.
ब्लड प्रेशर की समस्या
छोटी-छोटी बातो पर गुस्सा आ जाना
हृदय समस्या
छाती मे दर्द बना रहना
अत्यधिक भावुक होना
किसी के भी ऊपर जल्द विश्वास कर लेना
बार-बार ठगे जाना
प्रेम मे धोखा खाना
हृदय और फेफडे से संबंधित सभी समस्या
इस तरह की समस्या का सामना आप कर रहे है तो इसका
मतलब यह है कि आपका अनाहत या हार्ट चक्र खराब है.
आत्मबिश्वास की कमी
चार ब्यक्तियो के सामने बात न कर पाना
बचकानी हरकते करना या ऐसी बात करना जो आपकी
उम्र से मैच नही करती
दुविधा मे होना यानी आप सोच नही पा रहे हो कि
किस क्षेत्र मे जाऊ किस क्षेत्र मे नही
अपने अंदर की झुपी क्षमता को बाहर निकाल नही
पा रहे हो
स्मरण समस्या
हृदय से संबंधित सभी समस्या
इस तरह की समस्या का सामना आप कर रहे है तो इसका
मतलब यह है कि आपका विशुद्ध या थायराईड चक्र खराब है.
शरीर मे कंपन होना
तुतलाहत की समस्या
शरीर पर नियंत्रण न होना
ऑखो की समस्या
अपनी ही बात पर खरा न उतरना
पल-पल मे निर्णय बदलते रहना
ईच्छाशक्ति कमजोर होना
अपना वादा कभी भी पूरा न कर पाना
पूजा-पाठ- ध्यान न कर पाना
किसी भी कार्य को समय पर पूरा न कर पाना
माईग्रेन या आधाशीशी का दर्द
दिनो दिन ऑखे कमजोर होते जाना
इस तरह की समस्या का सामना आप कर रहे है तो इसका
मतलब यह है कि आपका आज्ञा चक्र या थर्ड आई चक्र खराब है.
अध्यात्मिक क्षेत्र मे सफल न हो पाना
भविष्य के लिये किये गये सपने को पूरा न कर
पाना.
अपने कार्य क्षेत्र को बदलते रहना
पूजा- पाठ- साधना मे सिद्धी न प्राप्त कर पाना
सिर से संबंधित सभी प्रकार की समस्या
जाने-अंजाने पाप करते रहना
इस तरह की समस्या का सामना आप कर रहे है तो इसका
मतलब यह है कि आपका सहस्त्रार चक्र या्नी क्राऊन चक्र खराब है.
भगवान गणेश सभी देवताओ मे पृथम देव माने जाते है
आप किसी भी पद्धति से पूजा-साधना कर रहे हो चाहे वह वैदिक पद्धति
हो या तांत्रिक पद्धति या फिर वामाचार पद्धति हर पद्धति मे
सर्वपृथम भगवान गणेश की ही पूजा होती है. इसलिये प्रत्येक कार्य मे
सफलता प्राप्त करने के भगवान गणेश की पुजा होती है.
अगर आप भगवान गणेश की साधना करना चाहते है तो आपको
१२५००० जप कर सिद्धी प्राप्त करनी होगी. इसमे एक ब्यक्ति को साधना
करने के लिये ७ से ८ महीने का समय लग जायगा. इस समय मै यह कहना
चाहुंगा कि जो लाभ आप साधना से प्राप्त करना चाहते है, वही लाभ आप
गणेश अंतर त्राटक से प्राप्त कर सकते है.
इसलिये आज हम बात करेगे
गणेश अंतर त्राटक के लाभ की.
यह अंतर त्राटक आपके प्रभा-मंडल को बढाता है.
यह अंतर त्राटक आपके
कार्य को सफल बनाता है.
पूजा-साधना मे सफलता मिलती है.
घर-परिवार मे सुख-शांती आती है
आपका शरीर तंत्र बाधा से सुरक्षित हो जाता है.
आपका शरीर बिमारियो से बचा रहता है.
अब जानते है कि
गणेश अंतर त्राटक या
गणेश मानस
ध्यान कैसे करे.
एक शांत कमरे का चुनाव करे. दरवाजे की घंटी,
मोबाईल फोन को बंद कर दे ढीले-ढाले वस्त्र पहने. एक कुर्सी पर या,
जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाय. अपने ठीक सामने
भगवान गणेश की मुर्ती या फोटो को रखे. अब अपने आज्ञा चक्र को पिंच करे और
गणेश बीज मन्त्र "
ग्लौम" का उचारण १ मिनट तक करे. अब एकटक कुछ
सेकेंड उस चित्र या मुर्ती को देखते रहे. और आख बंद कर ले, और उस
मुर्ती को या चित्र को अपने आखो के सामने लाने का प्रयास करे. आप
देखेंगे कि कुछ सेकेंड के लिये वह चित्र या मुर्ती आपके आखो के
सामने दिखाई देगी, फिर गायब हो जायेगी. पहले दिन यह अभ्यास ५-६
मिनट तक करना है.
अब दूसरे दिन पुनः निश्चित समय पर अभ्यास शुरु करे.
अब अपने दोनो आखो के बीच यानी आज्ञा चक्र पर पिंच करे और १ मिनट तक
काली बीज "
ग्लौम" का उच्चारण करे.. अब उस चित्र को या मुर्ती को
अपने आखो के सामने लाने का पुनः अभ्यास करे....
इस तरह से आप देखेंगे कि जैसे-जैसे आपका अभ्यास
बढता जायेगा वैसे - वैसे आखे बंद करने के बाद
भगवान गणेश का चित्र
ज्यादा समय के लिये आपके सामने टिकना शुरु हो जायेगा. बस यही आपको
चाहिये. जब आपका अभ्यास २१
से २५ दिन का हो जाय तो आप देखेंगे कि
वह मुर्ती या चित्र आपकी आखो के सामने २ से ३ मिनट तक टिकना शुरु
हो जायेगा.
याद रखे शुरुवात मे सिर्फ कुछ सेकेंड के लिये ही
आपके आखो के सामने दिखाई देगा. २ से ३ मिनट तक दिखाई दे रहा है तो
यह मान कर चलिये कि आपने बहुत ही अच्छा अभ्यास किया है. ऐसा करने
से भगवान गणेश की जो खासियत है, या जो गुण है वह आपके अंदर आने शुरु हो जाते
है. यानी आपकी बात-चीत का प्रभाव दूसरे होना शुरु हो जाता है,
आपके चेहरे पर तेज आना शुरु हो जाता है. आप
जिससे भी मिलेगे उसे आप प्रभावित कर देंगे. इसके आलवा
नजर से भी बचाव होना शुरु हो जाता है.
अगर आप इंटरव्यू देने जा रहे है तो अपने हाथ मे
हल्दी का टुकडा रखे और १ मिनट "
ग्लौम"
मन्त्र का उच्चारण करे और भगवान गणेश को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और इंटरव्यू मे जाये.
अगर आप किसी बिजनेस मीटिंग मे जा रहे है तो पीले
चावल हाथ मे लेकर या चावल मे थोडा हल्दी मिलाकर अपने हाथ मे ले. और
१ मिनट "
ग्लौम"
मन्त्र का उच्चारण करे और भगवान गणेश को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और मीटिंग मे जाये.
अगर आपका बॉस आप पर भडका हुआ है, वाद-विवाद मे जाना
है थोडे काले तिल हाथ मे ले. और १ मिनट "
ग्लौम"
मन्त्र का उच्चारण करे और भगवान गणेश को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और फिर जाये.
कोई खास क्लाईंट से मिलने जाना है तो छोटी सी चंदन
की लकडी अपने हाथ मे ले. और १ मिनट "
ग्लौम"
मन्त्र का उच्चारण करे और भगवान गणेश को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और उस क्लाईंट से मिलने
वही चंदन की लकडी जेब मे रखकर जाये.
माता बगलामुखी दस महाविद्या मे ८वी महाविद्या मानी
जाती है. इन्हे स्तम्भन की देवी भी कहा जाता है. शत्रुओ पर विजय
प्राप्त करने लिये बगलामुखी से बढकर कोई साधना पूजा नही होती. इनके
अलग-लग नाम है जैसे शत्रुनाशिनी, पीताम्बरा, ब्रम्हास्त्र विद्या,
इसके अलावा इनका नाम है "विक्ट्री विनर" यानी कोई भी कार्य या
क्षेत्र मे विजय प्राप्त करने के लिये इनकी साधना - पूजा की जाती
है.
इनकी साधना बहुत ही मुश्किल होती है सामान्यतः गुरु
से दिक्षा लेकर १२५००० से ५५०००० लाख मंत्र द्वारा इनकी सिद्दी
प्राप्त की जाती है. इसमे करीब-करीब १०-११ महीने लग जाते है. इसलिये
जो ब्यक्ति साधना नही कर सकते उन्हे बगलामुखी अंतर त्राटक या
बगलामुखी मानस ध्यान करना चाहिये.
अब हम बात करेगे
बगलामुखी अंतर त्राटक के लाभ की.
हर तरह के भय से मुक्ति मिलती है.
वाक सिद्धी यानी वाणी सिद्धी मिलती है
स्तम्भन करने की शक्ति मिल जाती है.
घर-परिवार मे सुख-शांती आती है
आपका शरीर तंत्र बाधा से सुरक्षित हो जाता है.
वाद-विवाद मे सफलता
ये हर तरह का दुख- समस्या तथा शत्रु पीडा को
स्तंभित करती है.
सरकारी अडचनो से मुक्ति मिलनी शुरु हो जाती है
राजनीति क्षेत्र मे सफलता
अब जानते है कि
बगलामुखी
अंतर त्राटक या
बगलामुखी
मानस
ध्यान कैसे करे.
एक शांत कमरे का चुनाव करे. दरवाजे की घंटी,
मोबाईल फोन को बंद कर दे ढीले-ढाले वस्त्र पहने. एक कुर्सी पर या,
जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाय. अपने ठीक सामने
माता बगलामुखी की मुर्ती या फोटो को रखे. अब अपने आज्ञा चक्र को पिंच करे और
बगलामुखी बीज मन्त्र "
ह्लीं" का उचारण १ मिनट तक करे. अब एकटक कुछ
सेकेंड उस चित्र या मुर्ती को देखते रहे. और आख बंद कर ले, और उस
मुर्ती को या चित्र को अपने आखो के सामने लाने का प्रयास करे. आप
देखेंगे कि कुछ सेकेंड के लिये वह चित्र या मुर्ती आपके आखो के
सामने दिखाई देगी, फिर गायब हो जायेगी. पहले दिन यह अभ्यास ५-६
मिनट तक करना है.
अब दूसरे दिन पुनः निश्चित समय पर अभ्यास शुरु करे.
अब अपने दोनो आखो के बीच यानी आज्ञा चक्र पर पिंच करे और १ मिनट तक
काली बीज "
ह्लीं" का उच्चारण करे.. अब उस चित्र को या मुर्ती को
अपने आखो के सामने लाने का पुनः अभ्यास करे....
इस तरह से आप देखेंगे कि जैसे-जैसे आपका अभ्यास
बढता जायेगा वैसे - वैसे आखे बंद करने के बाद माता
बगलामुखी का चित्र
ज्यादा समय के लिये आपके सामने टिकना शुरु हो जायेगा. बस यही आपको
चाहिये. जब आपका अभ्यास २१
से २५ दिन का हो जाय तो आप देखेंगे कि
वह मुर्ती या चित्र आपकी आखो के सामने २ से ३ मिनट तक टिकना शुरु
हो जायेगा.
याद रखे ये
चित्र या मुर्ती शुरुवात मे सिर्फ कुछ सेकेंड के लिये ही
आपके आखो के सामने दिखाई देगा.
लेकिन जब २ से ३ मिनट तक दिखाई देने
लगे तो यह मान कर चलिये कि आपने बहुत ही अच्छा अभ्यास किया है. ऐसा करने
से माता बगलामुखी की जो खासियत है, या जो गुण है वह आपके अंदर आने शुरु हो जाते
है. यानी आपकी बात-चीत का प्रभाव दूसरे होना शुरु हो जाता है,
आपके चेहरे पर तेज आना शुरु हो जाता है. आप
जिससे भी मिलेगे उसे आप प्रभावित कर देंगे.
यह अभ्यास आप रोज करते रहे.
अगर आप किसी बहस या
वाद-विवाद मे जा रहे है जहा लडाई-झगडा होने की शंका भी है हल्दी का
टुकडा अपने हाथ मे लेकर १ मिनट तक "
ह्लीं"
मन्त्र का उच्चारण करे और
माता बगलामुखी को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और जाये.
अगर आप किसी बिजनेस मीटिंग मे जा रहे है तो चावल
के साथ पीला फूल हाथ मे लेकर
१ मिनट तक "
ह्लीं"
मन्त्र का उच्चारण करे और
माता बगलामुखी को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और मीटिंग मे जाये.
अगर आपका
कोई सरकारी कार्य अटका हुआ है और रोज-रोज एक ऑफिस से दूसरी ऑफिस तक
भाग-दौड हो रही हो तो थोडे सरसो या राई के
दाने हाथ मे ले. और १ मिनट "
ह्लीं"
मन्त्र का उच्चारण करे और
माता बगलामुखी को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और फिर जाये.
कोई खास क्लाईंट से मिलने जाना है तो छोटी सी चंदन
की लकडी अपने हाथ मे ले. और १ मिनट "
ह्लीं"
मन्त्र का उच्चारण करे और
माता बगलामुखी को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और उस क्लाईंट से मिलने
वही चंदन की लकडी जेब मे रखकर जाये.
किसी वाद-विवाद या किसी समस्या के निपटरे के जब भी
कोर्ट- कचहरी जाना पडे तो सबसे पहले सुपारी और हल्दी हाथ मे लेकर १ मिनट "
ह्लीं"
मन्त्र का उच्चारण करे और
माता बगलामुखी को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और जाये.
अगर राजनीति क्षेत्र की बात करे तो पीले कपडे
पहनकर हाथ मे हल्दी का टुकडा लेकर १ मिनट "
ह्लीं"
मन्त्र का उच्चारण करे और
माता बगलामुखी को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर
अपने जीत का आशिर्वाद मागे.
कोई ब्यक्ति आपके नौकरी क्षेत्र मे या ब्यवसाय
क्षेत्र मे अगर बहुत परेशान कर रहा है, और उसके द्वारा आपको
अपने जीवन शर्मिंदगी उठानी पड रही हो तो १ सूखी मिर्ची हाथ मे
लेकर १ मिनट "
ह्लीं"
मन्त्र का उच्चारण करे और
माता बगलामुखी को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर
अपनी समस्या के निवारण का आशिर्वाद मागे.
और उस मिर्ची को पानी मे या आग मे डाल दे. याद रखे अगर आप सही
है शतप्रतिशत आपकी मनोकामना पूर्ण होगी.
अब कुछ जरूरी बाते....
जिन ब्यक्ति को विश्वास नही है वे इसे मजाक
समझे.
माता बगलामुखी बहुत ही स्ट्रांग- पॉवरफुल
तांत्रोक्त देवी मानी जाती है, इसलिये पूर्ण श्रद्धा होने पर
ही इस विधि को अपनाये
इस अभ्यास मे जैसे-जैसे सफलता मिलती जायेगी
वैसे-वैसे आपका स्वभाव मधुर होता चला जाना चाहिये
आपके स्वभाव मे घमंड आते ही इस अभ्यास का असर
खत्म होना शुरु हो जाता है
कोई आपको बला-बुरा या गाली भी दे तो अपना
नियंत्रण न खोये.
गलत नियत से कभी भी कोई कार्य न करे.
इस अभ्यास के द्वारा आप दूसरे की भी मदत कर
सकते है.
इस अभ्यास मे दिक्षा की जरूरत नही होती.
आशा है आप इन विधियो को अपनायेंगे और अपने जीवन मे
सफल होगे. इसलिये पूर्ण श्रद्धा के साथ अभ्यास करे.
हिन्दू समाज में माता सरस्वती को साहित्य, संगीत, कला तथा विद्या
की देवी के रुप में माना जाता हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ
महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को माता सरस्वती का दिन माना
जाता है. इनको अलग-अलग नाम से जाना जाता है जैसे... शारदा, वाणी,
वाग्देवी, भारती, वागेश्वरी श्वेत वस्त्रधारिणी. आज के भौतिक युग
मे हर ब्यक्ति सुख-समृद्धि पाने के लिये माता लक्ष्मी की आराधना
करना चाहता है या उसे सिर्फ लक्ष्मी का ही नाम याद रहता है. अगर
आपको पैसा मिलता है तो वह आपको नही आपकी योग्यता को मिलता है. अगर
आप किसी क्षेत्र या ज्ञान मे अग्रणी है, तो ही आपको लोग नौकरी पर
रखेगे या पैसा देगे. यानी आपके पास कोई टेलेंट या योग्यता है तो ही
आपको पैसा मिलेगा.
टेलेंट या ज्ञान की देवी ही माता सरस्वती मानी जाती है. जिस साधक
के ऊपर सरस्वती प्रसन्न है उस पर माता लक्ष्मी की कृपा हो ही जाती
है. इसलिये मै आपको यह कहना चाहूगा कि लक्ष्मी की नही सरस्वती की
साधना-पूजा करे तो माता लक्ष्मी की कृपा अपने-आप ही होती रहेगी.
यानी आप अपनी योग्यता पर ही ध्यान दे लक्ष्मी कृपा तो अपने आप हो
जायेगी.
आज अगर आप अच्छा-खासा कमा रहे है या अगर आज कोई ब्यक्ति भौतिक रूप
से संपन्न है तो यह मानकर चलिये कि उस पर माता सरस्वती की कृपा
माता सरस्वती की साधना भी होती है, लेकिन कुछ लोगो को साधना मे रुचि
न होने के कारण मै आपको सरस्वती अंतर त्राटक यानी सरस्वती मानस
ध्यान के बारे मे बताने जा रहा हु. आप सरस्वती मानस ध्यान कर
अपनी योग्यता तथा ज्ञान को बढा सकते है.
यह बच्चे-बडे, स्त्री-पुरुष सबके लिये समान
रूप से उपयोगी है
उच्च शिक्षा मे सफलता
विदेश मे शिक्षा पाने की संभावना बढ जाती है
गायन क्षेत्र मे सफलता
अभिनय क्षेत्र मे सफलता.
किसी भी प्रकार की कला के क्षेत्र मे सफलता
अब जानते है कि
सरस्वती
अंतर त्राटक या
सरस्वती
मानस
ध्यान कैसे करे.
एक शांत कमरे का चुनाव करे. दरवाजे की घंटी,
मोबाईल फोन को बंद कर दे ढीले-ढाले वस्त्र पहने. एक कुर्सी पर या,
जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाय. अपने ठीक सामने
माता सरस्वती की मुर्ती या फोटो को रखे. अब अपने आज्ञा चक्र को पिंच करे और
सरस्वती बीज मन्त्र "
ऐं" का उचारण १ मिनट तक करे. अब एकटक कुछ
सेकेंड उस चित्र या मुर्ती को देखते रहे. और आख बंद कर ले, और उस
मुर्ती को या चित्र को अपने आखो के सामने लाने का प्रयास करे. आप
देखेंगे कि कुछ सेकेंड के लिये वह चित्र या मुर्ती आपके आखो के
सामने दिखाई देगी, फिर गायब हो जायेगी. पहले दिन यह अभ्यास ५-६
मिनट तक करना है.
अब दूसरे दिन पुनः निश्चित समय पर अभ्यास शुरु करे.
अब अपने दोनो आखो के बीच यानी आज्ञा चक्र पर पिंच करे और १ मिनट तक
काली बीज "
ऐं" का उच्चारण करे.. अब उस चित्र को या मुर्ती को
अपने आखो के सामने लाने का पुनः अभ्यास करे....
इस तरह से आप देखेंगे कि जैसे-जैसे आपका अभ्यास
बढता जायेगा वैसे - वैसे आखे बंद करने के बाद माता
सरस्वती का चित्र
ज्यादा समय के लिये आपके सामने टिकना शुरु हो जायेगा. बस यही आपको
चाहिये. जब आपका अभ्यास २१
से २५ दिन का हो जाय तो आप देखेंगे कि
वह मुर्ती या चित्र आपकी आखो के सामने २ से ३ मिनट तक टिकना शुरु
हो जायेगा.
याद रखे
चित्र या मुर्ति शुरुवात मे सिर्फ कुछ सेकेंड के लिये ही
आपके आखो के सामने दिखाई देगा.
यही चित्र २ से ३ मिनट तक दिखाई दे रहा है तो
यह मान कर चलिये कि आपने बहुत ही अच्छा अभ्यास किया है. ऐसा करने
से माता सरस्वती की जो खासियत है, या जो गुण है वह आपके अंदर आने शुरु हो जाते
है. आपका ब्यक्तित्व प्रभावशाली बनना शुरु हो जाता है.
अब हम जानेंगे कि इसका उपयोग कैसे करे.
अगर आप किसी
इंटरव्यू के लिये जा रहे है
तो एक तुलसी का पत्ता अपने हाथ मे लेकर १ मिनट तक "
ऐं"
मन्त्र का उच्चारण करे और माता
सरस्वती को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और जाये.
अगर आप किसी
स्कूल, कॉलेज, युनिवर्सिटी मे एज्जाम देने जा रहे है तो चावल
के साथ पीला फूल हाथ मे लेकर
१ मिनट तक "
ऐं"
मन्त्र का उच्चारण करे और माता
सरस्वती को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और जाये.
अगर आप गायन क्षेत्र मे अपनी
शुरुवात करने जा रहे तो थोडे
सफेद फूल हाथ मे ले. और १ मिनट "
ऐं"
मन्त्र का उच्चारण करे और माता
सरस्वती को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और
वही फूल माता सरस्वती चढा दे फिर जाये.
अगर आप अभिनय क्षेत्र मे अपनी
शुरुवात करने जा रहे तो छोटी सी चंदन
की लकडी अपने हाथ मे ले. और १ मिनट "
ऐं"
मन्त्र का उच्चारण करे और माता
सरस्वती को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और वही चंदन की लकडी जेब मे रखकर जाये.
किसी वाद-विवाद
मे जाना हो या कही भाषण देना है तो पहले सुपारी हाथ मे लेकर १ मिनट "
ऐं"
मन्त्र का उच्चारण करे और माता
सरस्वती को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और जाये.
सुबह-सुबह अगर आप अपने ऑफिस, दुकान या अपने
ब्यवसाय के लिये जा रहे तो हल्दी का टुकडा लेकर १ मिनट "
ऐं"
मन्त्र का उच्चारण करे और माता
सरस्वती को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे
और अपने ऑफिस- दुकान या कार्य क्षेत्र मे जाये.
अब कुछ जरूरी बाते....
जिन ब्यक्ति को विश्वास नही है वे इसे मजाक
समझे.
माता सरस्वती बहुत ही स्ट्रांग- पॉवरफुल
वैदिक देवी मानी जाती है, इसलिये पूर्ण श्रद्धा होने पर
ही इस विधि को अपनाये
इस अभ्यास मे जैसे-जैसे सफलता मिलती जायेगी
वैसे-वैसे आपका स्वभाव मधुर होता चला जाना चाहिये
आपके स्वभाव मे घमंड आते ही इस अभ्यास का असर
खत्म होना शुरु हो जाता है
कोई आपको बला-बुरा या गाली भी दे तो अपना
नियंत्रण न खोये.
इस अभ्यास के द्वारा आप दूसरे की भी मदत कर
सकते है.
इस अभ्यास को स्त्री-पुरुष-बच्चे कोई भी कर
सकता है.
इस अभ्यास के लिये दिक्षा की जरूरत नही होती.
आशा है आप इन विधियो को अपनायेंगे और अपने जीवन मे
सफल होगे. इसलिये पूर्ण श्रद्धा के साथ अभ्यास करे.
स्वाधिष्ठान
चक्र
को बैलेंस करे! स्वाधिष्ठान
चक्र की समस्या और उपाय
स्वाधिष्ठान चक्र- इसे
नेवल चक्र, नाभी चक्र
भी कहते है.
यह चक्र नाभी के बीच मे यानी मणीपुर चक्र के नीचे व मूलाधार चक्र
के ऊपर स्थित होता है यह चक्र जल तत्व प्रधान
होता है. इसका बीज मन्त्र "वं" माना जाता है. यह प्राणशक्ति को अपने
आस-पास के शरीर के भाग मे प्रवाहित करता है. जिससे वे भाग चैतन्य रहते
है. एक बच्चा मॉ से नाभी के माध्यम से जुडा रहता है वही
से वह अपनी मा से मानसिक व अध्यात्मिक संस्कार लेता रहता है. यू कहे
तो बच्चा मा से अच्छे बुरे संस्कार लेता रहता है. यही कारण है कि
एक गर्भवती स्त्री को डॉक्टर टेंशन न लेने, अच्छी बाते सोचने व
अच्छी बाते देखने के लिये कहते है.
यह चक्र जब सही तरह से चैतन्य होता है तब यह आपके विकास को रोकने
वाले दुर्गुणो को जैसे
आलस्य, भय, संदेह, बदला, ईर्ष्या और लोभ को नष्ट
करने का कार्य
करता है.
जब यह चक्र खराब हो जाता है या गलत ढंग से कार्य करता है..... तब
शारीरिक व मानसिक समस्याये शुरु हो जाती है, जैसे....
बुरी संगत, बुरे लोगो की संगत
नशीले पदार्थो का सेवन
व्यसन करना
बुरी आदते
पैर के पंजे, तलुवो मे दर्द
सीखने की क्षनता कमजोर होना
स्मरण समस्या
गर्भधारण मे समस्या
मासिकधर्म की समस्या
भोजन का शरीर मे न लगना
ठंडी चीज खाने से बिमार हो जाना
सर्दी-जुखाम तथा छीक से
हमेशा परेशान रहना
नाभी का खिसक जाना
किसी को सताने पर आनंद आना
किसी की तकलीफ देखकर आनंद आना
पेट से संबंधित सभी बिमारियां
इनमे से कोई
भी समस्या का सामना आप कर रहे है
या इनमे से कोई आदत है तो इसका मतलब यह है कि
आपका स्वाधिष्ठान चक्र खराब है.
आइये अब जानते है कि इस चक्र को बैलेंस कैसे करते है....
एक शांत कमरे का चुनाव करे. दरवाजे की घंटी,
मोबाईल फोन को बंद कर दे ढीले-ढाले वस्त्र पहने. एक कुर्सी पर या,
जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाय. अपने ठीक सामने
स्वाधिष्ठान चक्र का चित्र ले ले. और दिवार पर लगा दे चिपका दे. अब अपने
स्वाधिष्ठान चक्र पर ध्यान देते हुये
"
वं" बीज मन्त्र का उच्चारण करे.
"
वं" बीज मन्त्र
जल तत्व और स्वाधिष्ठान चक्र का बीज मन्त्र माना
जाता है. इसलिये अपने
स्वाधिष्ठान पर यानी नाभी
स्थान पर ध्यान देते
हुये "
वं" बीज मंत्र का एक मिनट तक उच्चारण करते रहे. अब १०
बार क्लीनिंग प्राणयाम करे यानी जोर से गहरी स्वास खीचे जितने देर
तक हो सके रोक कर रखे. जब दम घुटने लगे तब श्वास धीरे-धीरे छोडे.
इस तरह से यह १ प्राणायाम हुआ. ऐसे आपको १० प्राणायाम करना है.
यह अभ्यास कुछ दिन तक यानी कम से कम २१ दिन तक करे.
ऐसा नियमित अभ्यास करने से
स्वाधिष्ठान चक्र बैलेंस होना शुरु हो जाता
है. यह अभ्यास आप तब तक चालू रखे जब तक आपको अपनी समस्या मे लाभ न
मिलने लगे.
आशा है कि इस विधी का लाभ उठायेंगे...इसलिये पूर्ण श्रद्धा के साथ अभ्यास करे
हिन्दू समाज में
भगवान शिवा को को पारिवारिक देवता तथा संहार के देवता
के रूप मे माना जाता है. तंत्र मे इन्हे भैरव के नाम से भी
जाना जाता है. मंत्र-तंत्र की रचना भी इन्ही से मानी जाती है.
क्योकि ॐ बीज मन्त्र भगवान शिव का ही माना जाता है और ॐ के बिना
मंत्र रचना पूर्ण
हो ही नही सकती.
भगवान शिव की पूजा २ रूपो मे की जाती है.
पहला भगवान शिव
के शरीर के रूप मे पूजा व दूसरा शिव लिंग
के रूप मे पूजा.
आज हम बात करेगे भगवान शिवलिंग मानस ध्यान या शिवलिंग अंतर त्राटक
की.
अब हम जानेंगे शिवलिंग मानस ध्यान या शिवलिंग अंतर त्राटक के लाभ
की
शिवलिंग मानस ध्यान या शिवलिंग अंतर त्राटक से मन शांत बना रहता
है
स्वभाव मे नरमी आ जाती है
नियमित शिवलिंग मानस ध्यान या शिवलिंग अंतर त्राटक करने
से दरिद्रता समाप्त होने लगती है.
विचारो मे गंदगी खत्म होने लगती है, तथा ब्यक्ति बुरे मार्ग मे
जाने से बच जाता है.
शरीर मे रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढने की वजह से ब्यक्ति बिमारियो
से दूर रहता है या बिमार होने पर जल्दी स्वस्थ होने लगता है.
जीवन मे आने वाली परेशानियो का सामना करने की हिम्मत बढ जाती
है
अध्यात्मिक शक्ति बढती है.
आकर्षक ब्यक्तित्व के साथ मान-सम्मान की प्राप्ती
होती है.
बात-चीत मे आकर्षण की शक्ति बढने लगती है.
ब्यक्ति की कमिया तथा बुराईयां दूर होने लगती है.
पारिवारिक क्लेश नष्ट होने लगते है.
वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है.
मन-पसंद जीवनसाथी की प्राप्ती होती है.
किसी प्रकार की नकारात्मक उर्जा पास नही आती.
घर के अंदर की नकारात्मक उर्जा नष्ट होने लगती है.
यहा
मै उन लोगो के लिये ये विधि बता रहा हू जो किसी कारणवश शिव
साधना नही करना चाहते या उसमे रुचि नही है.
तो यह शिवलिंग मानस ध्यान........ शिव साधना की तुलना मे
आसान रहता है.
अब जानते है कि
शिव लिंग
अंतर त्राटक या
शिव लिंग मानस
ध्यान कैसे करे.
एक शांत कमरे का चुनाव करे. दरवाजे की घंटी,
मोबाईल फोन को बंद कर दे ढीले-ढाले वस्त्र पहने. एक कुर्सी पर या,
जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाय. अपने ठीक सामने
काले पत्थर का शिव लिंग रखे या दिवार पर शिवलिंग
का चित्र लगा ले. काले पत्थर का शिवलिंग आसानी से पूजा की दुकानो
मे मिल जाता है. और शिवलिंग का चित्र आसानी से इंटरनेट से प्राप्त
कर सकते है. अब अपने आज्ञा चक्र को पिंच करे
यानी दोनो आखो के बीच के स्थान को पिंच करे और
भगवान शिव का पंचाछर बीज मन्त्र "
ॐ
नमः शिवाय
" का उचारण १ मिनट तक करे. अब एकटक कुछ
सेकेंड उस
शिवलिंग को देखते रहे. और आख बंद कर
उस शिवलिंग को अपने आखो के सामने लाने का प्रयास करे. आप
देखेंगे कि कुछ सेकेंड के लिये वह
शिवलिंग आपके आखो के
सामने दिखाई देगा, फिर गायब हो जायेगा. पहले दिन यह अभ्यास ५-६
मिनट तक करना है.
अब दूसरे दिन पुनः निश्चित समय पर अभ्यास शुरु करे.
अब अपने दोनो आखो के बीच यानी आज्ञा चक्र पर पिंच करे और १ मिनट तक
काली बीज "
ॐ
नमः शिवाय
" का उच्चारण करे.. अब उस
शिवलिंग को अपने आखो के सामने लाने का पुनः अभ्यास करे....
इस तरह से आप देखेंगे कि जैसे-जैसे आपका अभ्यास
बढता जायेगा वैसे - वैसे आखे बंद करने के बाद
शिवलिंग
ज्यादा समय के लिये आपके सामने टिकना शुरु हो जायेगा. बस यही आपको
चाहिये. जब आपका अभ्यास २१
से २५ दिन का हो जाय तो आप देखेंगे कि
वह शिवलिंग आपकी आखो के सामने २ से ३ मिनट तक टिकना शुरु
हो जायेगा.
याद रखे
शिवलिंग शुरुवात मे सिर्फ कुछ सेकेंड के लिये ही
आपके आखो के सामने दिखाई देगा.
यही चित्र २ से ३ मिनट तक दिखाई दे रहा है तो
यह मान कर चलिये कि आपने बहुत ही अच्छा अभ्यास किया है. ऐसा करने
से शिवलिंग की जो खासियत है, या जो गुण है वह आपके अंदर आने शुरु हो जाते
है.
अब हम जानेंगे कि इसका उपयोग कैसे करे.
अगर आपके परिवार मे
अशांती या क्लेश है, परिवार के लोग आपस मे ही लड रहे है तो सोमवार
के दिन एक तीन पत्तो वाला बेलपत्र अपने हाथ मे लेकर १ मिनट तक "
ॐ
नमः शिवाय
"
मन्त्र का उच्चारण करे और
शिवलिंग को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर
अपने परिवार की सुख-शांती की मनोकामना करे. ऐसा ७ सोमवार करे.
वैवाहिक जीवन मे समस्या है तो शुक्रवार के दिन चादी
का सिक्का हाथ मे लेकर
१ मिनट तक "
ॐ
नमः शिवाय
"
मन्त्र का उच्चारण करे और
शिवलिंग को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर
अपने सुखी जीवन का आशिर्वाद माग.ऐसा
५ शुक्रवार करे.
आप या आपके परिवार मे कोई न कोई बिमार
रहता हो तो सोमवार के दिन बेलपत्र और हल्दी हाथ मे ले. और १ मिनट "
ॐ
नमः शिवाय
"
मन्त्र का उच्चारण करे और
शिवलिंग को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर
अपने या अपने परिवार के लोगो के स्वस्थ जीवन कामना करे. और वह
बेलपत्र और हल्दी अपने घर के मंदिर मे चढा दे. ऐसा ७ सोमवार करे.
मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिये सोमवार के दिन चंदन
की लकडी अपने हाथ मे ले. और १ मिनट "
ॐ
नमः शिवाय
"
मन्त्र का उच्चारण करे और
शिवलिंग को अपने आखो के सामने ध्यान
मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और वही चंदन की
घर के मंदिर मे रख दे. ऐसा ५ सोमवार करे.
अगर ये सब उपाय न भी करे सिर्फ अभ्यास करते रहे तो
भी घर मे सुख-शांती बनी रहती है तथा मनोकामना पूर्ण होने लगती है.
अब कुछ जरूरी बाते....
अगर सिर्फ शिवलिंग से मानस ध्यान करना है तब तांबा, पीतल का या सफेद पत्थर का शिवलिंग न
ले, सिर्फ काला शिवलिंग ले.
पूर्ण श्रद्धा होने पर
ही इस विधि को अपनाये
इस अभ्यास मे जैसे-जैसे सफलता मिलती जायेगी
वैसे-वैसे आपका स्वभाव मधुर होता चला जाना चाहिये
आपके स्वभाव मे घमंड आते ही इस अभ्यास का असर
खत्म होना शुरु हो जाता है
कोई आपको बला-बुरा या गाली भी दे तो अपना
नियंत्रण न खोये.
इस अभ्यास के द्वारा आप दूसरे की भी मदत कर
सकते है.
इस अभ्यास को स्त्री-पुरुष कोई भी कर
सकता है.
इस अभ्यास के लिये दिक्षा की जरूरत नही होती.
कुछ लोग ये कहते है कि आप जानकारी जरूर दीजिये
लेकिन विधि क्यो बताते है. मै लोगो को जबाब नही देना चाहता. पर मै
यहा पर यह कहता हु कि अगर कुछ लोग इस विधी का कुछ प्रतिशत भी लाभ उठा लेते है, तो उन्हे
दूसरे के पास जाकर पैसे खर्च करने की जरूरत नही पडेगी. मैने ४०
वर्षो के अभ्यास मे जो कुछ भी सीखा है, अगर वह मै आप लोगो मे बॉट
रहा हु तो मुझे पता है यह ज्ञान बाटने पर समाप्त नही होगा बल्कि
बढेगा. .
आशा है आप इन विधियो को अपनायेंगे और अपने जीवन मे
सफल होगे. इसलिये पूर्ण श्रद्धा के साथ अभ्यास करे
मणिपुर
चक्र
को बैलेंस करे!
मणिपुर
चक्र की समस्या और उपाय
मणीपुर चक्र- इसे
सूर्य चक्र, सोलर चक्र
या सुरक्षा चक्र
भी कहते है.
यह चक्र नाभ
चक्री के ऊपर और हृदय चक्र के नीचे होता है. यह
अग्नि जल तत्व प्रधान
होता है. इसका बीज मन्त्र "
रं" माना जाता है. यह प्राणशक्ति को अपने
आस-पास के शरीर के भाग मे प्रवाहित करता है. जिससे वे भाग चैतन्य रहते
है.
अगर आप बिमार है फिर चाहे वह शारीरिक समस्या हो या मानसिक समस्या.
इसका अर्थ यह है कि आपका मणिपुर चक्र खराब है. ब्रम्हांड से
प्राणशक्ति को खीच यह चक्र बाकी के चक्रो मे उर्जा को प्रवाहित करता
है, किसी कारण से यह चक्र कार्य न कर पाये तब बाकी के चक्रो
को उर्जा मिलनी बंद हो जाती है या कम उर्जा मिलती है, इससे उन चक्रो
से संबंधित भाग मे शारीरिक समस्याये या मानसिक समस्याये उत्पन्न हो
जाती है.
जब यह चक्र खराब हो जाता है या गलत ढंग से कार्य करता है.....तो
आईये जानते है इसके क्या कारण है. जैसे....
स्वयं पर भरोसा न होना यानी आत्मविश्वास की कमी.
सही निर्णय न ले पाना
मधुमेह की समस्या
ब्लडप्रेशर की समस्या
असुरक्षा की भावना
किसी अनहोनी का डर
डरावने सपने आना
चोरी, लूट-मार का डर
ब्लैकमैजिक या तंत्र बाधा की समस्या
भूत-प्रेत का डर
अकेले रहने पर डर लगना
अनजाना भय
हत्या का डर
बार-बार बिमार पडना
पर कारण समझ मे न आना
किसी को अपने बारे मे बुरा कहते सुनाई देना
शरीर मे काले धब्बे दिखाई दे और कुछ दिन मे
निकल जाये
बार-बार हादसे होते रहना
नजर लगना
चिडचिडापन
अचानक ही परिवार से या दूसरो से लडाई-झगडा करने
लगना
बिमारी मे दवा का असर न हो पाना
इनमे से कोई
भी समस्या का सामना आप कर रहे
है तो इसका मतलब यह है कि
आपका मणिपुर चक्र खराब है.
आइये अब जानते है कि इस चक्र को बैलेंस कैसे करते है....
एक शांत कमरे का चुनाव करे. दरवाजे की घंटी,
मोबाईल फोन को बंद कर दे ढीले-ढाले वस्त्र पहने. एक कुर्सी पर या,
जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाय. अपने ठीक सामने
मणिपुर चक्र का चित्र ले ले. और दिवार पर लगा दे चिपका दे. अब अपने
मणिपुर चक्र पर ध्यान देते हुये
"
रं" बीज मन्त्र का उच्चारण करे.
"
रं" बीज मन्त्र
अग्नि तत्व और मणिपुर चक्र का बीज मन्त्र माना
जाता है. इसलिये अपने
मणिपुर पर यानी छाती के
नीचे तथा नाभी
के ऊपर ध्यान देते
हुये "
रं" बीज मंत्र का एक मिनट तक उच्चारण करते रहे. अब १०
बार क्लीनिंग प्राणयाम करे यानी जोर से गहरी स्वास खीचे जितने देर
तक हो सके रोक कर रखे. जब दम घुटने लगे तब श्वास धीरे-धीरे छोडे.
इस तरह से यह १ प्राणायाम हुआ. ऐसे आपको १० प्राणायाम करना है.
यह अभ्यास कुछ दिन तक यानी कम से कम २१ दिन तक करे.
ऐसा नियमित अभ्यास करने से
मणिपुर चक्र बैलेंस होना शुरु हो जाता
है. यह अभ्यास आप तब तक चालू रखे जब तक आपको अपनी समस्या मे लाभ न
मिलने लगे.
आशा है कि इस विधी का लाभ उठायेंगे...इसलिये पूर्ण श्रद्धा के साथ अभ्यास करे.