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 May 24, 2017 

सरस्वती अंतर त्राटक या सरस्वती मानस ध्यान

हिन्दू समाज में माता सरस्वती को साहित्य, संगीत, कला तथा विद्या की देवी के रुप में माना जाता हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को माता सरस्वती का दिन माना जाता है. इनको अलग-अलग नाम से जाना जाता है जैसे... शारदा, वाणी, वाग्देवी, भारती, वागेश्वरी श्वेत वस्त्रधारिणी. आज के भौतिक युग मे हर ब्यक्ति सुख-समृद्धि पाने के लिये माता लक्ष्मी की आराधना करना चाहता है या उसे सिर्फ लक्ष्मी का ही नाम याद रहता है. अगर आपको पैसा मिलता है तो वह आपको नही आपकी योग्यता को मिलता है. अगर आप किसी क्षेत्र या ज्ञान मे अग्रणी है, तो ही आपको लोग नौकरी पर रखेगे या पैसा देगे. यानी आपके पास कोई टेलेंट या योग्यता है तो ही आपको पैसा मिलेगा.

टेलेंट या ज्ञान की देवी ही माता सरस्वती मानी जाती है. जिस साधक के ऊपर सरस्वती प्रसन्न है उस पर माता लक्ष्मी की कृपा हो ही जाती है. इसलिये मै आपको यह कहना चाहूगा कि लक्ष्मी की नही सरस्वती की साधना-पूजा करे तो माता लक्ष्मी की कृपा अपने-आप ही होती रहेगी. यानी आप अपनी योग्यता पर ही ध्यान दे लक्ष्मी कृपा तो अपने आप हो जायेगी.

आज अगर आप अच्छा-खासा कमा रहे है या अगर आज कोई ब्यक्ति भौतिक रूप से संपन्न है तो यह मानकर चलिये कि उस पर माता सरस्वती की कृपा

माता सरस्वती की साधना भी होती है, लेकिन कुछ लोगो को साधना मे रुचि न होने के कारण मै आपको सरस्वती अंतर त्राटक यानी सरस्वती मानस ध्यान के बारे मे बताने जा रहा हु. आप सरस्वती मानस ध्यान कर अपनी योग्यता तथा ज्ञान को बढा सकते है.

See - Saraswati manas dhyan

अब हम बात करेगे सरस्वती अंतर त्राटक के लाभ की.

  • स्मरणशक्ति बढती है
  • वाक सिद्धी यानी वाणी सिद्धी मिलती है
  • सीखने की क्षमता बढती है
  • मस्तिस्क मै बैलेंस आना शुरु हो जाता है
  • यह बच्चे-बडे, स्त्री-पुरुष सबके लिये समान रूप से उपयोगी है
  • उच्च शिक्षा मे सफलता
  • विदेश मे शिक्षा पाने की संभावना बढ जाती है
  • गायन क्षेत्र मे सफलता
  • अभिनय क्षेत्र मे सफलता.
  • किसी भी प्रकार की कला के क्षेत्र मे सफलता

अब जानते है कि सरस्वती अंतर त्राटक या सरस्वती मानस ध्यान कैसे करे.

एक शांत कमरे का चुनाव करे. दरवाजे की घंटी, मोबाईल फोन को बंद कर दे ढीले-ढाले वस्त्र पहने. एक कुर्सी पर या, जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाय. अपने ठीक सामने माता सरस्वती की मुर्ती या फोटो को रखे. अब अपने आज्ञा चक्र को पिंच करे और सरस्वती बीज मन्त्र " ऐं" का उचारण १ मिनट तक करे. अब एकटक कुछ सेकेंड उस चित्र या मुर्ती को देखते रहे. और आख बंद कर ले, और उस मुर्ती को या चित्र को अपने आखो के सामने लाने का प्रयास करे. आप देखेंगे कि कुछ सेकेंड के लिये वह चित्र या मुर्ती आपके आखो के सामने दिखाई देगी, फिर गायब हो जायेगी. पहले दिन यह अभ्यास ५-६ मिनट तक करना है.

अब दूसरे दिन पुनः निश्चित समय पर अभ्यास शुरु करे. अब अपने दोनो आखो के बीच यानी आज्ञा चक्र पर पिंच करे और १ मिनट तक काली बीज " ऐं" का उच्चारण करे.. अब उस चित्र को या मुर्ती को अपने आखो के सामने लाने का पुनः अभ्यास करे....

इस तरह से आप देखेंगे कि जैसे-जैसे आपका अभ्यास बढता जायेगा वैसे - वैसे आखे बंद करने के बाद माता सरस्वती का चित्र ज्यादा समय के लिये आपके सामने टिकना शुरु हो जायेगा. बस यही आपको चाहिये. जब आपका अभ्यास २१ से २५ दिन का हो जाय तो आप देखेंगे कि वह मुर्ती या चित्र आपकी आखो के सामने २ से ३ मिनट तक टिकना शुरु हो जायेगा.

याद रखे चित्र या मुर्ति शुरुवात मे सिर्फ कुछ सेकेंड के लिये ही आपके आखो के सामने दिखाई देगा. यही चित्र २ से ३ मिनट तक दिखाई दे रहा है तो यह मान कर चलिये कि आपने बहुत ही अच्छा अभ्यास किया है. ऐसा करने से माता सरस्वती की जो खासियत है, या जो गुण है वह आपके अंदर आने शुरु हो जाते है. आपका ब्यक्तित्व प्रभावशाली बनना शुरु हो जाता है.

अब हम जानेंगे कि इसका उपयोग कैसे करे.

अगर आप किसी इंटरव्यू के लिये जा रहे है तो एक तुलसी का पत्ता अपने हाथ मे लेकर १ मिनट तक " ऐं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता सरस्वती को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और जाये.

अगर आप किसी स्कूल, कॉलेज, युनिवर्सिटी मे एज्जाम देने जा रहे है तो चावल के साथ पीला फूल हाथ मे लेकर १ मिनट तक " ऐं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता सरस्वती को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और जाये.

अगर आप गायन क्षेत्र मे अपनी शुरुवात करने जा रहे तो थोडे सफेद फूल हाथ मे ले. और १ मिनट " ऐं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता सरस्वती को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और वही फूल माता सरस्वती चढा दे फिर जाये.

अगर आप अभिनय क्षेत्र मे अपनी शुरुवात करने जा रहे तो छोटी सी चंदन की लकडी अपने हाथ मे ले. और १ मिनट " ऐं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता सरस्वती को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और वही चंदन की लकडी जेब मे रखकर जाये.

किसी वाद-विवाद मे जाना हो या कही भाषण देना है तो पहले सुपारी हाथ मे लेकर १ मिनट " ऐं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता सरस्वती को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और जाये.

सुबह-सुबह अगर आप अपने ऑफिस, दुकान या अपने ब्यवसाय के लिये जा रहे तो हल्दी का टुकडा लेकर १ मिनट " ऐं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता सरस्वती को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और अपने ऑफिस- दुकान या कार्य क्षेत्र मे जाये.

अब कुछ जरूरी बाते....

  • जिन ब्यक्ति को विश्वास नही है वे इसे मजाक समझे.
  • माता सरस्वती बहुत ही स्ट्रांग- पॉवरफुल वैदिक देवी मानी जाती है, इसलिये पूर्ण श्रद्धा होने पर ही इस विधि को अपनाये
  • इस अभ्यास मे जैसे-जैसे सफलता मिलती जायेगी वैसे-वैसे आपका स्वभाव मधुर होता चला जाना चाहिये
  • आपके स्वभाव मे घमंड आते ही इस अभ्यास का असर खत्म होना शुरु हो जाता है
  • कोई आपको बला-बुरा या गाली भी दे तो अपना नियंत्रण न खोये.
  • इस अभ्यास के द्वारा आप दूसरे की भी मदत कर सकते है.
  • इस अभ्यास को स्त्री-पुरुष-बच्चे कोई भी कर सकता है.
  • इस अभ्यास के लिये दिक्षा की जरूरत नही होती.

आशा है आप इन विधियो को अपनायेंगे और अपने जीवन मे सफल होगे. इसलिये पूर्ण श्रद्धा के साथ अभ्यास करे.