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 January 28, 2014 

भगवान हनुमान् वडवानल स्तोत्र

hanuman strotयह हनुमान् वडवानल स्तोत्र सभी रोगों के निवारण में, शत्रुनाश, दूसरों के द्वारा किये गया मूठ कर्म,अभिचार कर्म, राज-बंधन विमोचन आदि कई प्रयोगों में काम आता है ।

हनुमान् वडवानल विधिः- सरसों के तेल का दीपक जलाकर १०८ पाठ नित्य ४१ दिन तक करने पर सभी बाधाओं का शमन होकर अभीष्ट कार्य की सिद्धि होती है ।

हनुमान् वडवानल विनियोग :-

ॐ अस्य श्री हनुमान् वडवानल-स्तोत्र-मन्त्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिः,
श्रीहनुमान् वडवानल देवता, ह्रां बीजम्, ह्रीं शक्तिं, सौं कीलकं,
मम समस्त विघ्न-दोष-निवारणार्थे, सर्व-शत्रुक्षयार्थे
सकल-राज-कुल-संमोहनार्थे, मम समस्त-रोग-प्रशमनार्थम्
आयुरारोग्यैश्वर्याऽभिवृद्धयर्थं समस्त-पाप-क्षयार्थं
श्रीसीतारामचन्द्र-प्रीत्यर्थं च हनुमद् वडवानल-स्तोत्र जपमहं करिष्ये ।

हनुमान् वडवानल ध्यान :-

मनोजवं मारुत-तुल्य-वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं ।
वातात्मजं वानर-यूथ-मुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये ।।

हनुमान् वडवानल स्तोत्र

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते प्रकट-पराक्रम सकल-दिङ्मण्डल-यशोवितान-धवलीकृत-जगत-त्रितय वज्र-देह रुद्रावतार लंकापुरीदहय उमा-अर्गल-मंत्र उदधि-बंधन दशशिरः कृतान्तक सीताश्वसन वायु-पुत्र अञ्जनी-गर्भ-सम्भूत श्रीराम-लक्ष्मणानन्दकर कपि-सैन्य-प्राकार सुग्रीव-साह्यकरण पर्वतोत्पाटन कुमार-ब्रह्मचारिन् गंभीरनाद सर्व-पाप-ग्रह-वारण-सर्व-ज्वरोच्चाटन डाकिनी-शाकिनी- विध्वंसन ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महावीर-वीराय सर्व-दुःख निवारणाय ग्रह-मण्डल सर्व-भूत-मण्डल सर्व-पिशाच-मण्डलोच्चाटन भूत-ज्वर-एकाहिक-ज्वर, द्वयाहिक-ज्वर, त्र्याहिक-ज्वर चातुर्थिक- ज्वर, संताप-ज्वर, विषम-ज्वर, ताप-ज्वर, माहेश्वर-वैष्णव-ज्वरान् छिन्दि-छिन्दि यक्ष ब्रह्म-राक्षस भूत-प्रेत-पिशाचान् उच्चाटय-उच्चाटय स्वाहा ।

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः आं हां हां हां हां ॐ सौं एहि एहि ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ नमो भगवते श्रीमहा- हनुमते श्रवण-चक्षुर्भूतानां शाकिनी डाकिनीनां विषम-दुष्टानां सर्व-विषं हर हर आकाश-भुवनं भेदय भेदय छेदय छेदय मारय मारय शोषय शोषय मोहय मोहय ज्वालय ज्वालय प्रहारय प्रहारय शकल-मायां भेदय भेदय स्वाहा ।

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-हनुमते सर्व-ग्रहोच्चाटन परबलं क्षोभय क्षोभय सकल-बंधन मोक्षणं कुर-कुरु शिरः-शूल गुल्म-शूल सर्व-शूलान्निर्मूलय निर्मूलय नागपाशानन्त-वासुकि-तक्षक-कर्कोटकालियान् यक्ष-कुल-जगत-रात्रिञ्चर-दिवाचर-सर्पान्निर्विषं कुरु-कुरु स्वाहा ।
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-हनुमते राजभय चोरभय पर-मन्त्र-पर-यन्त्र-पर-तन्त्र पर-विद्याश्छेदय छेदय सर्व-शत्रून्नासय नाशय असाध्यं साधय साधय हुं फट् स्वाहा ।

 January 27, 2014 

रोग से बचाव हनुमान प्रयोग मंत्र

hanuman sadhana

 hanuman sadhanaजै जै गुणवन्ती वीर हनुमान ।

रोग मिटे और खिले खिलावा ।

कारज पूरण करे पवन सुत ।

जो ना करे तो माँ अंजनी की दुहाई ।

सबद साचा पिण्ड काचा पुरो मंत्र ईश्वरो वाचा ॥

 इसके बाद उस पानी को रोगी को पिला दे तथा लाल चिरमी के टुकडो को उसके चारो ओर घुमाकर दक्षिण दिशा की ओर फेक दे । ऐसा करने पर रोगी को तुरन्त आराम अनभव होता है ।

किसी को भूत-प्रेत बाधा हो या उसे मिरगी आ रही हो या रात को बडबडा रहा हो अथवा उसे कोई ऐसी बिमारी हो जो समझ मे नही आ रही है तो इस प्रयोग को अवश्य ही करे । यह छोटा सा प्रयोग है
परन्तु इसका असर तुरन्त एंव अचूक होता है ।

 January 27, 2014 

तांत्रिक प्रयोग से छुटकारा पाने का साबर मंत्र

tantrik prayog


तेली की खोपड़ी चाट-चाट के मैदान,
ऊपर चड़ा मुहम्मद सुल्तान,
मुहम्मद सुल्तान किसका बेटा,
फातिमा का बेटा, सूअर खे हलाल करे,
पै दे पाँव वज्र की कील काट,
तो माता का दूध को हराम करे ॥

किसी भी दिन सुबह के समय या पुर्णिमा की रात्री को पूरी रात भर इस मंत्र का जाप करते रहने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है । तत्पश्चात किसी भी मंत्र की काट करने के लिए इस मंत्र का प्रगोय करने से पूर्व मे किसी के भी द्वारा किए गए तांत्रिक-मांत्रिक प्रयोग से छुटकारा मिल जाता है।

 January 27, 2014 

मुसीबत दूर करने का साबर मंत्र

spell troubles remoing mantraइलाहि बहुर्मत सईद मही अलदीन ।
इलाहि बहुर्मत शेख़ मही अलदीन ।
इलाहि बहुर्मत गौस मही अलदीन ।
इलाहि बहुर्मत ख्वाजा मही अलदीन ।
इलाहि बहुर्मत गरीब मही अलदीन ।
इलाहि बहुर्मत मसकीन मही अलदीन ।
इलाहि बहुर्मत लेख मही अलदीन ।
इलाहि बहुर्मत कुतुब मही अलदीन ।
इलाहि बहुर्मत मखदूम मही अलदीन ।
इलाहि बहुर्मत दरवेश मही अलदीन ।
इलाहि बहुर्मत वाली मही अलदीन ।


अचानक आई मुसीबतों को दूर करने के लिए यह एक सर्वश्रेष्ठ मंत्र है । इस मंत्र के द्वारा समस्त परेशानियों से सरलता पूर्वक छुटकारा पाया जा सकता है । किसी भी पुर्णिमा से नियमित इस मंत्र का जाप आरंभ कर दे और जब तक परेशानिया दूर न हो जाए तब तक प्रतिदिन श्रद्धापूर्वक इस मंत्र का अधिकाधिक जाप करते रहे । निश्चय ही साधक को फायदा होगा । यह एक अनुभूत मंत्र है ।

 January 26, 2014 

धन-संपद प्राप्त करने के लिये श्री सूक्त


इस श्री सूक्त का पाठ रोज ११ बार सुबह के समय पाठ करे। इस पाठ से घर मे सुख-समृद्धि बनी रहती है।

ॐ हिरण्य-वर्णां हरिणीं, सुवर्ण-रजत-स्त्रजाम्।
चन्द्रां हिरण्यमयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आवह।।
तां म आवह जात-वेदो, लक्ष्मीमनप-गामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम्।।
अश्वपूर्वां रथ-मध्यां, हस्ति-नाद-प्रमोदिनीम्।
श्रियं देवीमुपह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम्।।
कांसोऽस्मि तां हिरण्य-प्राकारामार्द्रा ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीं।
पद्मे स्थितां पद्म-वर्णां तामिहोपह्वये श्रियम्।।
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देव-जुष्टामुदाराम्।
तां पद्म-नेमिं शरणमहं प्रपद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणोमि।।
आदित्य-वर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः।।
उपैतु मां दैव-सखः, कीर्तिश्च मणिना सह।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिं वृद्धिं ददातु मे।।
क्षुत्-पिपासाऽमला ज्येष्ठा, अलक्ष्मीर्नाशयाम्यहम्।
अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वान् निर्णुद मे गृहात्।।
गन्ध-द्वारां दुराधर्षां, नित्य-पुष्टां करीषिणीम्।
ईश्वरीं सर्व-भूतानां, तामिहोपह्वये श्रियम्।।
मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि।
पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः।।
कर्दमेन प्रजा-भूता, मयि सम्भ्रम-कर्दम।
श्रियं वासय मे कुले, मातरं पद्म-मालिनीम्।।
आपः सृजन्तु स्निग्धानि, चिक्लीत वस मे गृहे।
निच-देवी मातरं श्रियं वासय मे कुले।।
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं, सुवर्णां हेम-मालिनीम्।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो ममावह।।

आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं, पिंगलां पद्म-मालिनीम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो ममावह।।

तां म आवह जात-वेदो लक्ष्मीमनप-गामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरूषानहम्।।

यः शुचिः प्रयतो भूत्वा, जुहुयादाज्यमन्वहम्।
श्रियः पंच-दशर्चं च, श्री-कामः सततं जपेत्।।

 January 20, 2014 

ईच्छा पूर्णकर्ता गणेश साधना

माता पार्वती पुत्र भगवान् श्री गणेश सर्व विघ्न नाशक है। इनका अन्य नाम विनायक, गजानन, लम्बोदर, एकदंत, गणपती भी है। इनके स्मरण मात्र से सभी इच्छाए पूर्ण हो जाती है,वह इच्छा चाहे लौकीक हो या पारलौकिक। भगवान् गणेश जी की पूजा के बिना किसी भी देवता की पूजा सफल नहीं होत। गणेश जी के बारह नामो के स्मरण से धन धान्य की प्राप्ति होती है और कर्ज से मुक्ति मिलती है यदि गणेश चतुर्थी पर भगवान् गणेश की एकदंत वाली मूर्ति का पूजन किया जाए और ऐसा १० दिन करने के पश्चात ११वे दिन उस मूर्ति को गहनों के साथ सजाकर जल में प्रवाहित कर दिया जाए तो सभी कार्यों में सफलता मिलती है।

नीम की जड़ के गणेश जी बनाकर कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन यदि गणेश जी का पूजन कर विशेष मंत्रो के साथ हवन किया जाए, ऐसा अमावस्या तक किया जाए तो भगवान् गणेश जी की सिद्धि प्राप्त होती है।

यदि सफेद आक (श्वेतार्क) की जड़ के गणपति बनाकर उनकी पूजा की जाए और एक विशेष अनुष्ठान किया जाए तो कर्ज से मुक्ति मिलती है। इसी प्रकार यदि कुम्हार के घर की मिटटी से गणेश जी की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा की जाए और ७ दिन तक लगातार एक विशेष मन्त्र का जाप किया जाए तो व्यक्ति रिद्धि सिद्धि का स्वामी बनता है।

वस्तुतः भगवान् गणेश के अनेको प्रयोग है,जिसमे ना यन्त्र की आवश्यकता हो और ना ही किसी विशेष प्रकार की माला की। हम नहीं चाहते कि आप ऐसा सोचे कि हम जानबूझ कर आपको कठिन साधनाएँ दे रहे है इसलिए जो साधना हम दे रहे है यह बहुत ही सरल है और किसी विशेष विधि विधान की भी आवश्यकता नहीं।

गणेश शाबर मन्त्र

ॐ गणपति वशे मशान, जो फल मांगु देवे आन,
पांच लड्डू सेर सिन्धुर, भर आना आता आनंद,
भरपूर नद्वेतीमान, फूले फलत जागे मर लियावे,
एक फूले हाथी जो तू मोहन रहे,
सूबा बात साथ करो जाऊं तो मुट्ठी करो ।।

गणेश शाबर साधना विधि

इस मंत्र को किसी भी बुधवार से शुरू करे । एक देसी घी की ज्योत जलाये और गुरु पूजन करे। अपने गुरु से आज्ञा लेकर भगवान श्री गणेश जी का पूजन करे और दो लड्डू का भोग लगाये। फिर पांच माला इस मंत्र की जपे। ऐसा इक्कीस दिन करे, आपके कार्यो में आने वाले विघ्नों का नाश होगा।

 January 16, 2014 

नागेश्वर तंत्र लक्ष्मी साधना

nagkeshar tantraनागकेशर को ही प्रचिलित भाषा मे नागेश्वर’ कहा जाता है। यह काली मिर्च के दाने के समान गोल, गेरु के रंग का यह गोल फूल घुण्डीनुमा होता है। पान की दूकान मे आसानी से प्राप्त हो जाती है। यह शीतलचीनी (कबाबचीनी) के आकार से मिलता-जुलता फूल होता है।

किसी भी पूर्णिमा के दिन बुध की होरा में गोरोचन तथा नागकेसर खरीद कर घर ले आये। बुध की होरा काल में ही कहीं से अशोक के वृक्ष का एक अखण्डित पत्ता तोड़कर लाइए । गोरोचन तथा नागकेसर को दही में घोलकर पत्ते पर एक स्वस्तिक चिह्न बनाएँ। जैसी भी श्रद्धाभाव से पत्ते पर बने स्वस्तिक की पूजा हो सके, करें। एक माह तक देवी-देवताओं को धूपबत्ती दिखलाने के साथ-साथ यह पत्ते को भी दिखाएँ । आगामी पूर्णिमा को बुध की होरा में यह प्रयोग पुनः दोहराएँ। अपने प्रयोग के लिये प्रत्येक पुर्णिमा को एक नया पत्ता तोड़कर लाना आवश्यक है। गोरोचन तथा नागकेसर एक बार ही बाजार से लेकर रख सकते हैं। पुराने पत्ते को प्रयोग के बाद कहीं भी घर से बाहर पवित्र स्थान म, नदी, तालाब मे छोड़ दें।

किसी शुभ-मुहूर्त्त में नागकेसर लाकर घर में पवित्र स्थान पर रखलें। सोमवार के दिन शिवजी की पूजा करें और प्रतिमा पर चन्दन-पुष्प के साथ नागकेसर भी अर्पित करें। पूजनोपरान्त किसी मिठाई का नैवेद्य शिवजी को अर्पण करने के बाद यथासम्भव मन्त्र का भी जाप करें ‘ॐ नमः शिवाय’। उपवास भी करें। इस प्रकार २१ सोमवारों तक नियमित साधना करें। वैसे नागकेसर तो शिव-प्रतिमा पर नित्य ही अर्पित करें, किन्तु सोमवार को उपवास रखते हुए विशेष रुप से साधना करें। अन्तिम अर्थात् २१वें सोमवार को पूजा के पश्चात् किसी सुहागिनी-सपुत्रा-ब्राह्मणी को निमन्त्रण देकर बुलाऐं और उसे भोजन, वस्त्र, दान-दक्षिणा देकर आदर-पूर्वक विदा करें।

२१ सोमवारों तक नागकेसर-तन्त्र द्वारा की गई यह शिवजी की पूजा साधक को दरिद्रता के पाश से मुक्त करके धन-सम्पन्न बना  देती है।

पीत वस्त्र में नागकेसर, हल्दी, सुपारी, एक सिक्का, ताँबे का टुकड़ा, चावल पोटली बना लें । इस पोटली को शिवजी के सम्मुख रखकर, धूप-दीप से पूजन करके सिद्ध कर लें फिर आलमारी, तिजोरी,भण्डार में कहीं भी रख दें। यह धनदायक प्रयोग है। इसके अतिरिक्त “नागकेसर” को प्रत्येक प्रयोग में “ॐ नमः शिवाय” से अभिमन्त्रित करना चाहिए।

कभी-कभी उधार में बहुत-सा पैसा फंस जाता है। ऐसी स्थिति में यह प्रयोग करके देखें :-

किसी भी शुक्ल पक्ष की अष्टमी को थोड़ी साफ रुई खरीदकर ले। उसकी चार बत्तियाँ बना लें। बत्तियों को जावित्री, नागकेसर तथा काले तिल (तीनों अल्प मात्रा में) थोड़ा-सा गीला करके सान लें । यह चारों बत्तियाँ किसी चौमुखे दिए में रख लें। रात्रि को सुविधानुसार किसी भी समय दिए में तिल का तेल डालकर चौराहे पर चुपके से रखकर जला दं । अपनी मध्यमा अंगुली का साफ पिन से एक बूँद खून निकाल कर दिए पर टपका दें। मन में सम्बन्धित व्यक्ति या व्यक्तियों के नाम, जिनसे कार्य है, तीन बार पुकारें। मन में विश्वास जमाएं कि परिश्रम से अर्जित आपकी धनराशि आपको अवश्य ही मिलेगी। इसके बाद बिना पीछे मुड़े चुपचाप घर लौट आएँ। अगले दिन सर्वप्रथम एक रोटी पर गुड़ रखकर गाय को खिला दें। यदि गाय न मिल सके तो उसके नाम से निकालकर घर की छत पर रख दें ।

जिस किसी पूर्णिमा को सोमवार हो उस दिन यह प्रयोग करें। कहीं से नागकेसर के फूल प्राप्त कर, किसी भी मन्दिर में शिवलिंग पर पाँच बिल्वपत्रों के साथ यह फूल भी चढ़ा दीजिए। इससे पूर्व शिवलिंग को कच्चे दूध, गंगाजल, शहद, दही से धोकर पवित्र कर सकते हो। तो यथाशक्ति करें। यह क्रिया अगली पूर्णिमा तक निरन्तर करते रहें। इस पूजा में एक दिन का भी नागा नहीं होना चाहिए । ऐसा होने पर आपकी पूजा खण्डित हो जायेगी । आपको फिर किसी पूर्णिमा के दिन पड़नेवाले सोमवार को प्रारम्भ करने तक प्रतीक्षा करनी पड़ेग । इस एक माह के लगभग जैसी भी श्रद्धाभाव से पूजा -अर्चना बन पड़े, करें। भगवान को चढ़ाए प्रसाद के ग्रहण करने के उपरान्त ही कुछ खाएँ। अन्तिम दिन चढ़ाए गये फूल तथा बिल्वपत्रों में से एक अपने साथ श्रद्धाभाव से घर ले आएँ। इन्हें घर, दुकान, फैक्ट्री कहीं भी पैसे रखने के स्थान में रख दें। धन-सम्पदा अर्जित कराने में नागकेसर के पुष्प चमत्कारी प्रभाव दिखलाते हैं।

 January 10, 2014 

हर प्रकार के तंत्र बाधा निवारण मंत्र- सियार सिंघी

बाए हाथ मे सियार सिंघी रखकर  दाहिने हाथ से काली हकीक की माला से ये मंत्र का जाप करे ।

मंत्र :- ॐ भ्रम भ्रम क्रीम हलीं फट ॥

चलते फिरते साधक इस मंत्र का जाप कर सकता है । या तो सियार सिंघी हो या फिर काली हकीक माला हो । दोनों हो तो सबसे अच्छा है । सिर्फ सियार सिंघी हो तो उसे हाथ मे पकड़ के मानसिक मंत्र जाप करे । अगर सिर्फ काली हकीक की माला हो तो उससे मंत्र का जाप करे ।