मणीपुर चक्र ध्यान विधी
एक शांत कमरे का चुनाव करे कमरे मे रोशनी थोडी कम रखे.. अब प्राणायाम करे यानी ५ बार गहरी श्वास खीचे और जितना हो सके रोक कर रखे,,,, फिर धीरे- धीरे छोडे. इस तरह से ५ बार करे. अब मणीपुर चक्र की बीज मन्त्र रं का उच्चारण १ मिनट तक करे.. अब अपने छाती और पेट के बीच का स्थान जिसे मणीपुर चक्र या सूर्य चक्र कहते है, उस स्थान पर थोडा पिंच करे, जिससे कि हल्का सा दर्द हो. अब उस स्थान ध्यान केंद्रित करे. शुरु शुरु मे ध्यान भटक जायेगा. यह पहले दिन चलता रहेगा. इस तरह से पहले दिन यह अभ्यास ५-६ मिनट तक ही करे.
अब दूसरे दिन पुनः अभ्यास शुरु करे और १ मिनट तक रं बीज मन्त्र का उच्चारण करने के अपने मणीपुर चक्र पर पिंच करे और उस पर ध्यान केंद्रित करे... धीरे- धीरे मणीपुर चक्र पर कंपन सा महसूस होगा जो कि आगे चलकर बढता जायेगा.
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इस तरह से रोज ५ मिनट और २१ दिन तक अभ्यास नियमित करे... इस अभ्यास से आपका मणीपुर चक्र या सोलार चक्र चैतन्य होने लगता है.. मणीपुर चक्र का संबंध अग्नि तत्व से होता है... और अग्नि तत्व चैतन्य होने से उसका प्रभाव रोग प्रतोरोधक क्षमता पर पडता है.. इसकी वजह से ब्यक्ति अपना बिमारियो से बचाव करता है.. तंत्र बाधा तथा किसी भी प्रकार की निगेटिव उर्जा से शरीर को सुरक्षा मिलती है... इससे हीन भावना, डर, निराशा की भावना दूर होकर आत्मविश्वास , एकाग्रता, ईच्छाशक्ती बढ जाती है.. शारीरिक, मानसिक व अध्यात्मिक शक्तिया बढनी शुरु हो जाती है... इसलिये इस चक्र का नियमित अभ्यास करे और हर तरह की बुरी शक्तियो से, नकारात्मक उर्जा से, बिमारियो से दूर रहे... आशा है कि आप इस नियम का पालन व अभ्यास करके अपने आपको स्वस्थ व निरोगी बनायेंगे....