अष्ट-यक्षिणी की रहस्यमयी शक्तिया
आज हम यक्षिणी और उनकी रहस्यमयी शक्तियो के बारे मे जानेगे. हमारे शास्त्रो मे इनके नाम बार-बार आते है जैसे कि देवी-देवता के अलावा, दैत्य, दानव, राक्षस, यक्ष, गंधर्व, अप्सराएं, पिशाच, किन्नर, वानर, रीझ, भल्ल, किरात, नाग, भूत-प्रेत आदि। ये सभी रहस्यमयी ताकते इंसानो से कुछ अलग थे। और ये सभी इंसानो की यहॉ तक कि देवताओ की भी किसी न किसी प्रकार से मदत करते थे. सात्विक गुणो मे देवी-देवताओ के बाद यक्ष - यक्षिणी का ही नाम आता है। इनमे से किसी को भी हमारा आज का विज्ञान स्वीकार नही करता यहा तक कि देवी-देवताओ को भी विज्ञान नही मानता.
लेकिन आज हम इनके बारे मे विज्ञान की दृष्टी से नही बल्कि अपने शास्त्रो की दृष्टी से जानेगे.
इनमे यक्ष-यक्षणी, गंधर्व, अप्सराये,किन्नर ये सभी सात्विक गुण वाले होते है. तथा अन्य सभी तमोगुण यानी तामसिक गुण वाले होते है.
लोग यक्ष-यक्षणी को भूत-प्रेत की तरह से मानते है, लेकिन यह सही नही है. आज हम कुबेर को भगवान की तरह ही मानते है जो कि ये यक्ष पजाति से है. और इन्हे यक्षराज भी कहा जाता है. संपूर्ण सृष्ठी मे जो अचल संपति है वह इन्ही की मानी जाती है. इनकी पूजा साधना लोग भौतिक सुख प्राप्त करने के लिये करते है. शास्त्रानुसार एक यक्ष ने ही अग्नि, इंद्र, वरुण और वायु का घमंड चूर-चूर कर दिया था।
लेकिन आज हम यक्षिणी की बात करेगे. शास्त्रानुसार 8 यक्षिणियां प्रमुख मानी जाती है. इनकी पूजा - साधना भी देवताओ की तरह ही होती है, जिससे ये प्रसन्न होकर संपूर्ण सुख की प्राप्ति कराते है. इनकी साधना स्त्री-पुरुष दोनो ही कर सकते है.
यक्षिणी साधक के सामने एक बहुत ही सौम्य और सुन्दर स्त्री के रूप में प्रस्तुत होती है। किसी योग्य गुरु या जानकार से पूछकर ही यक्षिणी साधना करनी चाहिए। यहां प्रस्तुत है यक्षिणियों की रहस्यमयी जानकारी।
याद रखे यह शास्त्रो के माध्यम से यह मात्र जानकारी आपको दी जा रही है साधक अपने विवेक से काम लें। यह साधना तीन रूप मे की जाती है, इस साधना को माता के रूप मे, बहन के रूप मे या प्रेमिका के रूप मे संपन्न की जाती है.
इन ऑठो यक्षिणियो की एक साथ मे भी साधना की जाती है जिसे अष्ट-यक्षिणी साधना कहते है. इनका मन्त्र है ... "ॐ ऐं श्रीं अष्ट यक्षिणी सिद्धिं सिद्धिं देहि नम" . अब जानते है आठो यक्षिणियो का स्वभाव.
सुर सुन्दरी यक्षिणी : इस यक्षिणी के बारे मे कहा जाता है कि इनकी साधना आप जिस रूप मे करना चाहते है ये उस रूप मे आकर स्वप्न के के माध्यम से आपकी सहायता करती है. यदि इनकी साधना पुरे नियम से व अच्छे उद्देश्य से कर रहे है तो साधना सिद्ध होने के बाद साधक को ऐश्वर्य, धन, संपत्ति आदि प्रदान करती है. ये अप्सरा की तरह से सुंदर होने की वजह से इन्हे सुर-सुंदरी कहा जाता है. सुर सुंदरी यक्षिणी का मंत्र है "ॐ ऐं ह्रीं आगच्छ सुर सुन्दरी स्वाहा "
मनोहारिणी यक्षिणी : मनोहारिणी यक्षिणी का चेहरा अण्डाकार, नेत्र हरिण के समान और रंग गौरा माना जाता है. इस यक्षिणी की साधना सिद्ध होने के बाद साधक का संपूर्ण शरीर संमोहक बन जाता है, उसकी जबर्दस्त आकर्षण शक्ति बढ जाती है. इसके अलावा यक्षिणी के द्वारा उसे भौतिक सुख की भी प्राप्ती होती है. इस साधना के दौरान साधक को चंदन की खुशबु का लगातार अहसास होता रहता है. मनोहारिणी यक्षिणी का मंत्र है "ॐ ह्रीं आगच्छ मनोहारिणी स्वाहा "
कनकावती यक्षिणी :यह खूबसूरत यक्षिणी लाल रंग के वस्त्र धारण किये रहती है। कनकावती यक्षिणी साधना को सिद्ध करने के बाद साधक में तेज- चमक बढ जाती है, उसकी आकर्षण शक्ति इतनी बढ जाती है कि वह अपने विरोधी को भी मोहित करने की क्षमता प्राप्त कर लेता है। इसके अलावा ये यक्षिणी साधक की प्रत्येक मनोकामना को पूर्ण करने मे मदत करती है। कनकावती यक्षिणी का मंत्र है "ॐ ह्रीं हूं रक्ष कर्मणि आगच्छ कनकावती स्वाहा"
कामेश्वरी यक्षिणी : इस यक्षिणी का स्वभाव चंचल होता है. ये यक्षिणी पुरुष साधक को यौन समस्याओ को समाप्त करके पौरुष प्रदान करती है तथा स्त्री साधक को प्रबल आकर्षण प्रदान करती है. इसके अलावा साधक भौतिक रूप से भी सफल होने लगता है. कामेश्वरी यक्षिणी का मंत्र है "ॐ क्रीं कामेश्वरी वश्य प्रियाय क्रीं ॐ "
रति प्रिया यक्षिणी : इस यक्षिणी की देह स्वर्ण के समान होती है इस यक्षि़णी साधक को हर क्षेत्र मे आनंद प्रदान करती रहती है. ये अपने साधक यानी किसी भी स्त्री-पुरुष को कामदेव- रति के समान आकर्षण तथा सौंदर्य प्रदान करती है. रति प्रिया यक्षिणी का मंत्र है "ॐ ह्रीं आगच्छ आगच्छ रति प्रिया स्वाहा "
पदमिनी यक्षिणी : ये श्यामवर्णा, सुंदर नेत्र और सदा प्रसन्नचित्र करने वाली यह यक्षिणी व अत्यक्षिक सुंदर देह वाली मानी गई है। पद्मिनी यक्षिणी अपने साधक में आत्मविश्वास व स्थिरता प्रदान करती है तथा सदैव उसे मानसिक शक्ति प्रदान करती हुई साधक को अपने क्षेत्र मे सफलता की ओर ले जाती है. यह हमेशा साधक के हर कदम पर उसका मनोबल को बढ़ाती रहती है। पद्मिनी यक्षिणी का मंत्र है "ॐ ह्रीं आगच्छ आगच्छ पद्मिनी स्वाहा "
नटी यक्षिणी : कहा जाता है कि नटी यक्षिणी को विश्वामित्र ने भी सिद्ध किया था। यह यक्षिणी अपने साधक को शत्रुओ से सुरक्षा प्रदान करती है तथा हर तरह की दुर्घटना मे भी रक्षा करती है. नटी यक्षिणी का मंत्र है "ॐ ह्रीं आगच्छ आगच्छ नटी स्वाहा "
अनुरागिणी यक्षिणी : ये सफेद चमकीले वस्त्र धारण करती है. यदि इनकी साधना सिद्ध हो जाय तो साधक को धन, मान, यश आदि से तृप्त कर देती है।अनुरागिणी यक्षिणी का मंत्र है "ॐ ह्रीं अनुरागिणी आगच्छ स्वाहा"
आशा है कि ये जानकारी आपके लिये उपयोगी होगी. इसे अपने विवेक के आधार पर ही किसी के मार्ग दर्शन मे करने की कोशिश करनी चाहिये.