तंत्र मे सफलता के लिये कामाख्या साधना
योनी साधना
तांत्रिको और अघोरियों के गढ़ माने जाने वाले कामाख्या पीठ तंत्र क्षेत्र का तीर्थ माना जाता है. असम की राजधानी दिसपुर से लगभग ७-८ किलोमीटर दूर स्थित है। वहां से १०-११ किलोमीटर दूर नीलाचंल पर्वत है। जहां पर माता कामाख्या देवी सिद्ध पीठ है। यही मंदिर मे तंत्र की शक्ति माता कामख्या विराजमान है. यह शक्ति-पीठ ५१ शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। माता कामाख्या को तंत्र की जननी कहा जाता है.
धर्म पुराणों के अनुसार माना जाता है कि इस जगह भगवान शिव का मां सती के प्रति मोह भंग करने के लिए विष्णु भगवान ने अपने चक्र से माता सती के 51 भाग किए थे जहां जहॉ पर माता का शरीर गिरा वहॉ-वहॉ शक्तिपीठ बन गया। इस तरह से ५१ शक्ति पीठ का निर्माण हुआ. इनमे से जिस जगह पर पर माता की योनि गिरी, वह स्थान कामाख्या पीठ कहलाया. इसलिये यहा योनी की पूजा होती है. योनी ही सृष्ठी का प्रवेश द्वार है. इसलिये योनी पूजा ही तंत्र मे सफलता पाने का द्वार माना जाता है. इसलिये साधू-योगी, तांत्रिको के अलावा देश-विदेश के तांत्रिक भी इस साधना को संपन्न करना अपने जीवन का ध्येय समझते है. इसलिये जीवन मे एक बार भी माता कामाख्या के दर्शन हो जाये तो आप इसे अपना सौभाग्य समझिये.
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- शिव चरित्र के अनुसार, सती शक्ति पीठों की संख्या ५१ मानी जाती हैं.
- कालिका पुराण के अनुसार, सती शक्ति-पीठों की संख्या २६ मानी जाती हैं.
- श्री देवी भागवत, पुराण के अनुसार, सती शक्ति-पीठों की संख्या १०८ मानी जाती हैं.
- तंत्र चूड़ामणि तथा मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, सती शक्ति-पीठों की संख्या ५२ मानी जाती हैं.
बहुत कोशिश करने पर भी किसी साधक को तंत्र मे सफलता नही मिलती तो उसे माता कामाख्या की ही शरण मे ही आना होता है. जब कोई रास्ता न बचे तब इस साधना को संपन्न करना चाहिये. माता कामाख्या का नाम से कुछ लोगो मे डर है. मै याहा पर यही कहूगा कि ये माता डर दूर करने वाली मानी जाती है, ये आपको किसी भी प्रकार की तंत्र बाधा, नजर, नकारात्मक उर्जा तथा शत्रु से सुरक्षा प्रदान करती है. ये आपके पारिवारिक जीवन को खुशहाल बनाती है.
Kamakhya mantra;
ll त्रीं त्रीं त्रीं हूँ हूँ स्त्रीं स्त्रीं कामाख्ये प्रसीद
स्त्रीं स्त्रीं हूँ हूँ त्रीं त्रीं त्रीं स्वाहा ll
आईये अब जानते है कि माता कामाख्या की साधना के नियम क्या है?
- इस साधना को स्त्री पुरुष कोई भी कर सकता है.
- यह साधना २१ से ४१ दिनो की होती है.
- रात का समय साधना करने के लिये शुभ होता है
- इस साधना को शुरु करने के लिये कामाख्या दिक्षा गुरु से अवश्य लेना चाहिये.
- इस साधना मे यंत्र, माला, गुटिका, कामाख्या श्रन्गार, कामाख्या सिंदूर, कामाख्या आसन ईत्यादि का उपयोग किया जाता है
- साधना के प्रति व गुरु के प्रति पूर्ण श्रद्धा होनी चाहिये.
- साधना करने की प्रबल दिवानगी होनी चाहिये.
- याद रखे जब भी साधना करने की इच्छा अपने मन मे करेगे, तुरंत अडचन आनी शुरु हो जायेगी, इसलिये अपनी संकल्प शक्ति को मजबूत रखिये.
- इस साधना मे दक्षिण दिशा शुभ मानी जाती है.
- इस साधना मे लाल कपडे का उपयोग करे.
- साधना की सभी सामग्री कामाख्या मंत्र से प्राणप्रतिष्ठित होनी चाहिये.
आईये अब जानते है कि माता कामाख्या की साधना के लाभ क्या-क्या है?
- हर तरह की नजर दूर हो जाती है
- पति का संबंध अगर किसी दूसरी स्त्री से है तो वहा से वह वापस आने की संभावना बढ जाती है.
- तंत्र के नकारात्मक प्रभाव दूर होने लगते है
- पन-पसंद वर की प्राप्ती के लिये यह साधना बहुत ही उपयोगी है.
- परिवार के क्लेश समाप्त होने लगते है.
- वैवाहिक जीवन सुखमय हो जाता है.
- पति-पत्नि एक दूसरे से हमेशा वफादार रहते है.
- बडे से बडे तांत्रिक प्रभाव को भी इस साधना के द्वारा नष्ट किया जा सकता है.
- शत्रु अपने षडयंत्र मे कामयाब नही होते.
- घर मे सुख-शांती लौट आती है.
- ब्यापार तथा दुकान धंधे मे की गयी तंत्र बाधा समाप्त हो जाती है.
- आप इस साधना के द्वारा जरूरत मंद ब्यक्ति की मदत भी कर सकते है.
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ये साधना आप कही से भी संपन्न कर सकते है. आशा है कि आप इस साधना को आजमायेगे तथा माता कामाख्या के आशिर्वाद के साथ अपने घर-परिवार को सुरक्षित व खुशहाल रखेगे.










