महाविद्या छिन्नमस्ता माता कवच स्त्रोत
सूर्यास्त के बाद इस कवच का ११ पाठ नियमित रूप से करे. रोग बाधा, तंत्र बाधा, शत्रु बाधा सब दूर रहेंगे.
हुं बीजात्मका देवी मुण्डकर्तृधरापरा।
हृदय पातु सा देवी वर्णिनी डाकिनीयुता।।
श्रीं ह्रीं हुं ऐं चैव देवी पुर्व्वास्यां पातु सर्वदा।
सर्व्वांगं मे सदा पातु छिन्नमस्ता महाबला।।
वज्रवैरोचनीये हुं फट् बीजसमन्विता।
उत्तरस्यां तथाग्नौ च वारुणे नैऋर्तेऽवतु।।
इन्द्राक्षी भैरवी चैवासितांगी च संहारिणी।
सर्व्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै।।
इदं कवचमज्ञात्वा यो जपेच्छिन्नमस्तकाम्।
न तस्य फलसिद्धिः स्यात्कल्पकोटिशतैरपि।।
।। इति छिन्नमस्ता कवच सम्पूर्णं ।।