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 May 24, 2017 

कैसे जाने कि हमारा कौन सा चक्र खराब है

हमारा शरीर सूक्ष्म रूप मे स्थित ७ चक्रो के द्वारा संचालित होता है. इन ७ चक्रो के द्वारा हमारे शरीर के ५ तत्व और ३ शक्तिया जैसे कि तामसिक शक्ति, सात्विक शक्ति तथा राजसिक शक्ति संतुलित रहती है. और हम पूर्ण रूप से शारीरिक, मानसिक व अघ्यात्मिक रूप से स्वस्थ रहते है. किसी कारण से चक्रो का मार्ग अवरुद्ध हो जाये या ये चक्र काम करना कम कर दे या चक्रो का काम करना बंद हो जाय तो उस चक्र से संबंधित शरीर का भाग रोग ग्रस्त हो जाता है. या उस भाग पर कोई समस्या आ जाती है. और यह समस्या शारीरिक भी हो सकती है और मानसिक भी हो सकती है.

आज हम यह जानेगे कि अगर आप बिमार है चाहे वह बिमारी शारीरिक हो या मानसिक. आगे कुछ उदाहरण दे रहा हू इससे आप जान जायेगे कि आपका कौन सा चक्र खराब हुआ होगा.

See Kundalini chakra

  • यौन क्षमता की कमी हो
  • उत्साह का न होना
  • पेट के बल ज्यादा सोना या पेट के बल सोना अच्छा लगता हो
  • सेक्स मे आनंद न आना
  • पैरो मे खिचाव आना
  • गंदे सपने आना
  • किसी काम मे मन का न लगना
  • पढाई मे मन न लगना
  • हमेशा कामुक विचारो मे रहना
  • २४ घंटे किसी न किसी अपोजिट सेक्स के बारे सोचते रहना

इसके अलावा गुप्तांग से लेकर पैर के अगूठे तक के भाग मे कोई भी समस्या हो तो इसका मतलब यह है कि आपका मूलाधार या बेसिक चक्र खराब है या ये चक्र इनबैलेंस हो गया है.

  • मासिक धर्म की समस्या
  • पेट मे दर्द रहना
  • पेट मे मरोड रहना
  • पेट फूलना
  • खाना हजम न होना
  • किसी भी तरह का व्यसन करना
  • बुरी संगत
  • हर पल मुह से गालिया निकालते रहना
  • गर्भपात होते रहना
  • गर्भ न ठहर पाना
  • बच्चेदानी यानी गर्भाशय कमजोर होना
  • पेट से संबंधित सभी समस्या

इस तरह की समस्या का सामना आप कर रहे है तो इसका मतलब यह है कि आपका स्वाधिष्ठान या नाभी चक्र खराब है.

  • अनजाना भय
  • चोरी, लूट-मार का डर
  • भूत-प्रेत का डर
  • हत्या का डर
  • रात मे डरावने सपने
  • बार-बार बिमार पडना
  • किसी को अपने बारे मे बुरा कहते सुनाई देना
  • शरीर मे काले धब्बे दिखाई दे और कुछ दिन मे निकल जाये
  • बार-बार हादसे होते रहना
  • नजर लगना
  • तंत्र बाधा
  • चिडचिडापन
  • अचानक ही परिवार से या दूसरो से लडाई-झगडा करने लगना
  • दवा का शरीर मे काम न कर पाना

इस तरह की समस्या का सामना आप कर रहे है तो इसका मतलब यह है कि आपका मणीपुर या सोलर चक्र चक्र खराब है.

  • ब्लड प्रेशर की समस्या
  • छोटी-छोटी बातो पर गुस्सा आ जाना
  • हृदय समस्या
  • छाती मे दर्द बना रहना
  • अत्यधिक भावुक होना
  • किसी के भी ऊपर जल्द विश्वास कर लेना
  • बार-बार ठगे जाना
  • प्रेम मे धोखा खाना
  • हृदय और फेफडे से संबंधित सभी समस्या

इस तरह की समस्या का सामना आप कर रहे है तो इसका मतलब यह है कि आपका अनाहत या हार्ट चक्र खराब है.

  • आत्मबिश्वास की कमी
  • चार ब्यक्तियो के सामने बात न कर पाना
  • बचकानी हरकते करना या ऐसी बात करना जो आपकी उम्र से मैच नही करती
  • दुविधा मे होना यानी आप सोच नही पा रहे हो कि किस क्षेत्र मे जाऊ किस क्षेत्र मे नही
  • अपने अंदर की झुपी क्षमता को बाहर निकाल नही पा रहे हो
  • स्मरण समस्या
  • हृदय से संबंधित सभी समस्या

इस तरह की समस्या का सामना आप कर रहे है तो इसका मतलब यह है कि आपका विशुद्ध या थायराईड चक्र खराब है.

  • शरीर मे कंपन होना
  • तुतलाहत की समस्या
  • शरीर पर नियंत्रण न होना
  • ऑखो की समस्या
  • अपनी ही बात पर खरा न उतरना
  • पल-पल मे निर्णय बदलते रहना
  • ईच्छाशक्ति कमजोर होना
  • अपना वादा कभी भी पूरा न कर पाना
  • पूजा-पाठ- ध्यान न कर पाना
  • किसी भी कार्य को समय पर पूरा न कर पाना
  • माईग्रेन या आधाशीशी का दर्द
  • दिनो दिन ऑखे कमजोर होते जाना

इस तरह की समस्या का सामना आप कर रहे है तो इसका मतलब यह है कि आपका आज्ञा चक्र या थर्ड आई चक्र खराब है.

  • अध्यात्मिक क्षेत्र मे सफल न हो पाना
  • भविष्य के लिये किये गये सपने को पूरा न कर पाना.
  • अपने कार्य क्षेत्र को बदलते रहना
  • पूजा- पाठ- साधना मे सिद्धी न प्राप्त कर पाना
  • सिर से संबंधित सभी प्रकार की समस्या
  • जाने-अंजाने पाप करते रहना

इस तरह की समस्या का सामना आप कर रहे है तो इसका मतलब यह है कि आपका सहस्त्रार चक्र या्नी क्राऊन चक्र खराब है.

 May 24, 2017 

गणेश अंतर त्राटक या गणेश मानस ध्यान

भगवान गणेश सभी देवताओ मे पृथम देव माने जाते है आप किसी भी पद्धति से पूजा-साधना कर रहे हो चाहे वह वैदिक पद्धति हो या तांत्रिक पद्धति या फिर वामाचार पद्धति हर पद्धति मे सर्वपृथम भगवान गणेश की ही पूजा होती है. इसलिये प्रत्येक कार्य मे सफलता प्राप्त करने के भगवान गणेश की पुजा होती है.

अगर आप भगवान गणेश की साधना करना चाहते है तो आपको १२५००० जप कर सिद्धी प्राप्त करनी होगी. इसमे एक ब्यक्ति को साधना करने के लिये ७ से ८ महीने का समय लग जायगा. इस समय मै यह कहना चाहुंगा कि जो लाभ आप साधना से प्राप्त करना चाहते है, वही लाभ आप गणेश अंतर त्राटक से प्राप्त कर सकते है.

इसलिये आज हम बात करेगे गणेश अंतर त्राटक के लाभ की.

  • यह अंतर त्राटक आपके प्रभा-मंडल को बढाता है.
  • यह अंतर त्राटक आपके कार्य को सफल बनाता है.
  • पूजा-साधना मे सफलता मिलती है.
  • घर-परिवार मे सुख-शांती आती है
  • आपका शरीर तंत्र बाधा से सुरक्षित हो जाता है.
  • आपका शरीर बिमारियो से बचा रहता है.

अब जानते है कि गणेश अंतर त्राटक या गणेश मानस ध्यान कैसे करे.

एक शांत कमरे का चुनाव करे. दरवाजे की घंटी, मोबाईल फोन को बंद कर दे ढीले-ढाले वस्त्र पहने. एक कुर्सी पर या, जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाय. अपने ठीक सामने भगवान गणेश की मुर्ती या फोटो को रखे. अब अपने आज्ञा चक्र को पिंच करे और गणेश बीज मन्त्र " ग्लौम" का उचारण १ मिनट तक करे. अब एकटक कुछ सेकेंड उस चित्र या मुर्ती को देखते रहे. और आख बंद कर ले, और उस मुर्ती को या चित्र को अपने आखो के सामने लाने का प्रयास करे. आप देखेंगे कि कुछ सेकेंड के लिये वह चित्र या मुर्ती आपके आखो के सामने दिखाई देगी, फिर गायब हो जायेगी. पहले दिन यह अभ्यास ५-६ मिनट तक करना है.

अब दूसरे दिन पुनः निश्चित समय पर अभ्यास शुरु करे. अब अपने दोनो आखो के बीच यानी आज्ञा चक्र पर पिंच करे और १ मिनट तक काली बीज " ग्लौम" का उच्चारण करे.. अब उस चित्र को या मुर्ती को अपने आखो के सामने लाने का पुनः अभ्यास करे....

इस तरह से आप देखेंगे कि जैसे-जैसे आपका अभ्यास बढता जायेगा वैसे - वैसे आखे बंद करने के बाद भगवान गणेश का चित्र ज्यादा समय के लिये आपके सामने टिकना शुरु हो जायेगा. बस यही आपको चाहिये. जब आपका अभ्यास २१ से २५ दिन का हो जाय तो आप देखेंगे कि वह मुर्ती या चित्र आपकी आखो के सामने २ से ३ मिनट तक टिकना शुरु हो जायेगा.

याद रखे शुरुवात मे सिर्फ कुछ सेकेंड के लिये ही आपके आखो के सामने दिखाई देगा. २ से ३ मिनट तक दिखाई दे रहा है तो यह मान कर चलिये कि आपने बहुत ही अच्छा अभ्यास किया है. ऐसा करने से भगवान गणेश की जो खासियत है, या जो गुण है वह आपके अंदर आने शुरु हो जाते है. यानी आपकी बात-चीत का प्रभाव दूसरे होना शुरु हो जाता है, आपके चेहरे पर तेज आना शुरु हो जाता है. आप जिससे भी मिलेगे उसे आप प्रभावित कर देंगे. इसके आलवा नजर से भी बचाव होना शुरु हो जाता है.

See- Ganesha manas dhyan

अब हम जानेंगे कि इसका उपयोग कैसे करते है.

अगर आप इंटरव्यू देने जा रहे है तो अपने हाथ मे हल्दी का टुकडा रखे और १ मिनट " ग्लौम" मन्त्र का उच्चारण करे और भगवान गणेश को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और इंटरव्यू मे जाये.

अगर आप किसी बिजनेस मीटिंग मे जा रहे है तो पीले चावल हाथ मे लेकर या चावल मे थोडा हल्दी मिलाकर अपने हाथ मे ले. और १ मिनट " ग्लौम" मन्त्र का उच्चारण करे और भगवान गणेश को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और मीटिंग मे जाये.

अगर आपका बॉस आप पर भडका हुआ है, वाद-विवाद मे जाना है थोडे काले तिल हाथ मे ले. और १ मिनट " ग्लौम" मन्त्र का उच्चारण करे और भगवान गणेश को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और फिर जाये.

कोई खास क्लाईंट से मिलने जाना है तो छोटी सी चंदन की लकडी अपने हाथ मे ले. और १ मिनट " ग्लौम" मन्त्र का उच्चारण करे और भगवान गणेश को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और उस क्लाईंट से मिलने वही चंदन की लकडी जेब मे रखकर जाये.

आशा है आप इन विधियो को अपनायेंगे

 May 24, 2017 

बगलामुखी अंतर त्राटक या बगलामुखी मानस ध्यान

माता बगलामुखी दस महाविद्या मे ८वी महाविद्या मानी जाती है. इन्हे स्तम्भन की देवी भी कहा जाता है. शत्रुओ पर विजय प्राप्त करने लिये बगलामुखी से बढकर कोई साधना पूजा नही होती. इनके अलग-लग नाम है जैसे शत्रुनाशिनी, पीताम्बरा, ब्रम्हास्त्र विद्या, इसके अलावा इनका नाम है "विक्ट्री विनर" यानी कोई भी कार्य या क्षेत्र मे विजय प्राप्त करने के लिये इनकी साधना - पूजा की जाती है.

इनकी साधना बहुत ही मुश्किल होती है सामान्यतः गुरु से दिक्षा लेकर १२५००० से ५५०००० लाख मंत्र द्वारा इनकी सिद्दी प्राप्त की जाती है. इसमे करीब-करीब १०-११ महीने लग जाते है. इसलिये जो ब्यक्ति साधना नही कर सकते उन्हे बगलामुखी अंतर त्राटक या बगलामुखी मानस ध्यान करना चाहिये.

अब हम बात करेगे बगलामुखी अंतर त्राटक के लाभ की.

  • हर तरह के भय से मुक्ति मिलती है.
  • वाक सिद्धी यानी वाणी सिद्धी मिलती है
  • स्तम्भन करने की शक्ति मिल जाती है.
  • घर-परिवार मे सुख-शांती आती है
  • आपका शरीर तंत्र बाधा से सुरक्षित हो जाता है.
  • वाद-विवाद मे सफलता
  • ये हर तरह का दुख- समस्या तथा शत्रु पीडा को स्तंभित करती है.
  • सरकारी अडचनो से मुक्ति मिलनी शुरु हो जाती है
  • राजनीति क्षेत्र मे सफलता

अब जानते है कि बगलामुखी अंतर त्राटक या बगलामुखी मानस ध्यान कैसे करे.

एक शांत कमरे का चुनाव करे. दरवाजे की घंटी, मोबाईल फोन को बंद कर दे ढीले-ढाले वस्त्र पहने. एक कुर्सी पर या, जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाय. अपने ठीक सामने माता बगलामुखी की मुर्ती या फोटो को रखे. अब अपने आज्ञा चक्र को पिंच करे और बगलामुखी बीज मन्त्र " ह्लीं" का उचारण १ मिनट तक करे. अब एकटक कुछ सेकेंड उस चित्र या मुर्ती को देखते रहे. और आख बंद कर ले, और उस मुर्ती को या चित्र को अपने आखो के सामने लाने का प्रयास करे. आप देखेंगे कि कुछ सेकेंड के लिये वह चित्र या मुर्ती आपके आखो के सामने दिखाई देगी, फिर गायब हो जायेगी. पहले दिन यह अभ्यास ५-६ मिनट तक करना है.

अब दूसरे दिन पुनः निश्चित समय पर अभ्यास शुरु करे. अब अपने दोनो आखो के बीच यानी आज्ञा चक्र पर पिंच करे और १ मिनट तक काली बीज " ह्लीं" का उच्चारण करे.. अब उस चित्र को या मुर्ती को अपने आखो के सामने लाने का पुनः अभ्यास करे....

इस तरह से आप देखेंगे कि जैसे-जैसे आपका अभ्यास बढता जायेगा वैसे - वैसे आखे बंद करने के बाद माता बगलामुखी का चित्र ज्यादा समय के लिये आपके सामने टिकना शुरु हो जायेगा. बस यही आपको चाहिये. जब आपका अभ्यास २१ से २५ दिन का हो जाय तो आप देखेंगे कि वह मुर्ती या चित्र आपकी आखो के सामने २ से ३ मिनट तक टिकना शुरु हो जायेगा.

याद रखे ये चित्र या मुर्ती शुरुवात मे सिर्फ कुछ सेकेंड के लिये ही आपके आखो के सामने दिखाई देगा. लेकिन जब २ से ३ मिनट तक दिखाई देने लगे तो यह मान कर चलिये कि आपने बहुत ही अच्छा अभ्यास किया है. ऐसा करने से माता बगलामुखी की जो खासियत है, या जो गुण है वह आपके अंदर आने शुरु हो जाते है. यानी आपकी बात-चीत का प्रभाव दूसरे होना शुरु हो जाता है, आपके चेहरे पर तेज आना शुरु हो जाता है. आप जिससे भी मिलेगे उसे आप प्रभावित कर देंगे. यह अभ्यास आप रोज करते रहे.

See- Bagalamukhi Manas dhyan

अब हम जानेंगे कि इसका उपयोग कैसे करते है.

  • अगर आप किसी बहस या वाद-विवाद मे जा रहे है जहा लडाई-झगडा होने की शंका भी है हल्दी का टुकडा अपने हाथ मे लेकर १ मिनट तक " ह्लीं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता बगलामुखी को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और जाये.
  • अगर आप किसी बिजनेस मीटिंग मे जा रहे है तो चावल के साथ पीला फूल हाथ मे लेकर १ मिनट तक " ह्लीं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता बगलामुखी को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और मीटिंग मे जाये.
  • अगर आपका कोई सरकारी कार्य अटका हुआ है और रोज-रोज एक ऑफिस से दूसरी ऑफिस तक भाग-दौड हो रही हो तो थोडे सरसो या राई के दाने हाथ मे ले. और १ मिनट " ह्लीं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता बगलामुखी को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और फिर जाये.
  • कोई खास क्लाईंट से मिलने जाना है तो छोटी सी चंदन की लकडी अपने हाथ मे ले. और १ मिनट " ह्लीं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता बगलामुखी को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और उस क्लाईंट से मिलने वही चंदन की लकडी जेब मे रखकर जाये.
  • किसी वाद-विवाद या किसी समस्या के निपटरे के जब भी कोर्ट- कचहरी जाना पडे तो सबसे पहले सुपारी और हल्दी हाथ मे लेकर १ मिनट " ह्लीं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता बगलामुखी को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और जाये.
  • अगर राजनीति क्षेत्र की बात करे तो पीले कपडे पहनकर हाथ मे हल्दी का टुकडा लेकर १ मिनट " ह्लीं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता बगलामुखी को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर अपने जीत का आशिर्वाद मागे.
  • कोई ब्यक्ति आपके नौकरी क्षेत्र मे या ब्यवसाय क्षेत्र मे अगर बहुत परेशान कर रहा है, और उसके द्वारा आपको अपने जीवन शर्मिंदगी उठानी पड रही हो तो १ सूखी मिर्ची हाथ मे लेकर १ मिनट " ह्लीं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता बगलामुखी को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर अपनी समस्या के निवारण का आशिर्वाद मागे. और उस मिर्ची को पानी मे या आग मे डाल दे. याद रखे अगर आप सही है शतप्रतिशत आपकी मनोकामना पूर्ण होगी.

अब कुछ जरूरी बाते....

  • जिन ब्यक्ति को विश्वास नही है वे इसे मजाक समझे.
  • माता बगलामुखी बहुत ही स्ट्रांग- पॉवरफुल तांत्रोक्त देवी मानी जाती है, इसलिये पूर्ण श्रद्धा होने पर ही इस विधि को अपनाये
  • इस अभ्यास मे जैसे-जैसे सफलता मिलती जायेगी वैसे-वैसे आपका स्वभाव मधुर होता चला जाना चाहिये
  • आपके स्वभाव मे घमंड आते ही इस अभ्यास का असर खत्म होना शुरु हो जाता है
  • कोई आपको बला-बुरा या गाली भी दे तो अपना नियंत्रण न खोये.
  • गलत नियत से कभी भी कोई कार्य न करे.
  • इस अभ्यास के द्वारा आप दूसरे की भी मदत कर सकते है.
  • इस अभ्यास मे दिक्षा की जरूरत नही होती.

आशा है आप इन विधियो को अपनायेंगे और अपने जीवन मे सफल होगे. इसलिये पूर्ण श्रद्धा के साथ अभ्यास करे.

 May 24, 2017 

सरस्वती अंतर त्राटक या सरस्वती मानस ध्यान

हिन्दू समाज में माता सरस्वती को साहित्य, संगीत, कला तथा विद्या की देवी के रुप में माना जाता हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को माता सरस्वती का दिन माना जाता है. इनको अलग-अलग नाम से जाना जाता है जैसे... शारदा, वाणी, वाग्देवी, भारती, वागेश्वरी श्वेत वस्त्रधारिणी. आज के भौतिक युग मे हर ब्यक्ति सुख-समृद्धि पाने के लिये माता लक्ष्मी की आराधना करना चाहता है या उसे सिर्फ लक्ष्मी का ही नाम याद रहता है. अगर आपको पैसा मिलता है तो वह आपको नही आपकी योग्यता को मिलता है. अगर आप किसी क्षेत्र या ज्ञान मे अग्रणी है, तो ही आपको लोग नौकरी पर रखेगे या पैसा देगे. यानी आपके पास कोई टेलेंट या योग्यता है तो ही आपको पैसा मिलेगा.

टेलेंट या ज्ञान की देवी ही माता सरस्वती मानी जाती है. जिस साधक के ऊपर सरस्वती प्रसन्न है उस पर माता लक्ष्मी की कृपा हो ही जाती है. इसलिये मै आपको यह कहना चाहूगा कि लक्ष्मी की नही सरस्वती की साधना-पूजा करे तो माता लक्ष्मी की कृपा अपने-आप ही होती रहेगी. यानी आप अपनी योग्यता पर ही ध्यान दे लक्ष्मी कृपा तो अपने आप हो जायेगी.

आज अगर आप अच्छा-खासा कमा रहे है या अगर आज कोई ब्यक्ति भौतिक रूप से संपन्न है तो यह मानकर चलिये कि उस पर माता सरस्वती की कृपा

माता सरस्वती की साधना भी होती है, लेकिन कुछ लोगो को साधना मे रुचि न होने के कारण मै आपको सरस्वती अंतर त्राटक यानी सरस्वती मानस ध्यान के बारे मे बताने जा रहा हु. आप सरस्वती मानस ध्यान कर अपनी योग्यता तथा ज्ञान को बढा सकते है.

See - Saraswati manas dhyan

अब हम बात करेगे सरस्वती अंतर त्राटक के लाभ की.

  • स्मरणशक्ति बढती है
  • वाक सिद्धी यानी वाणी सिद्धी मिलती है
  • सीखने की क्षमता बढती है
  • मस्तिस्क मै बैलेंस आना शुरु हो जाता है
  • यह बच्चे-बडे, स्त्री-पुरुष सबके लिये समान रूप से उपयोगी है
  • उच्च शिक्षा मे सफलता
  • विदेश मे शिक्षा पाने की संभावना बढ जाती है
  • गायन क्षेत्र मे सफलता
  • अभिनय क्षेत्र मे सफलता.
  • किसी भी प्रकार की कला के क्षेत्र मे सफलता

अब जानते है कि सरस्वती अंतर त्राटक या सरस्वती मानस ध्यान कैसे करे.

एक शांत कमरे का चुनाव करे. दरवाजे की घंटी, मोबाईल फोन को बंद कर दे ढीले-ढाले वस्त्र पहने. एक कुर्सी पर या, जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाय. अपने ठीक सामने माता सरस्वती की मुर्ती या फोटो को रखे. अब अपने आज्ञा चक्र को पिंच करे और सरस्वती बीज मन्त्र " ऐं" का उचारण १ मिनट तक करे. अब एकटक कुछ सेकेंड उस चित्र या मुर्ती को देखते रहे. और आख बंद कर ले, और उस मुर्ती को या चित्र को अपने आखो के सामने लाने का प्रयास करे. आप देखेंगे कि कुछ सेकेंड के लिये वह चित्र या मुर्ती आपके आखो के सामने दिखाई देगी, फिर गायब हो जायेगी. पहले दिन यह अभ्यास ५-६ मिनट तक करना है.

अब दूसरे दिन पुनः निश्चित समय पर अभ्यास शुरु करे. अब अपने दोनो आखो के बीच यानी आज्ञा चक्र पर पिंच करे और १ मिनट तक काली बीज " ऐं" का उच्चारण करे.. अब उस चित्र को या मुर्ती को अपने आखो के सामने लाने का पुनः अभ्यास करे....

इस तरह से आप देखेंगे कि जैसे-जैसे आपका अभ्यास बढता जायेगा वैसे - वैसे आखे बंद करने के बाद माता सरस्वती का चित्र ज्यादा समय के लिये आपके सामने टिकना शुरु हो जायेगा. बस यही आपको चाहिये. जब आपका अभ्यास २१ से २५ दिन का हो जाय तो आप देखेंगे कि वह मुर्ती या चित्र आपकी आखो के सामने २ से ३ मिनट तक टिकना शुरु हो जायेगा.

याद रखे चित्र या मुर्ति शुरुवात मे सिर्फ कुछ सेकेंड के लिये ही आपके आखो के सामने दिखाई देगा. यही चित्र २ से ३ मिनट तक दिखाई दे रहा है तो यह मान कर चलिये कि आपने बहुत ही अच्छा अभ्यास किया है. ऐसा करने से माता सरस्वती की जो खासियत है, या जो गुण है वह आपके अंदर आने शुरु हो जाते है. आपका ब्यक्तित्व प्रभावशाली बनना शुरु हो जाता है.

अब हम जानेंगे कि इसका उपयोग कैसे करे.

अगर आप किसी इंटरव्यू के लिये जा रहे है तो एक तुलसी का पत्ता अपने हाथ मे लेकर १ मिनट तक " ऐं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता सरस्वती को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और जाये.

अगर आप किसी स्कूल, कॉलेज, युनिवर्सिटी मे एज्जाम देने जा रहे है तो चावल के साथ पीला फूल हाथ मे लेकर १ मिनट तक " ऐं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता सरस्वती को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और जाये.

अगर आप गायन क्षेत्र मे अपनी शुरुवात करने जा रहे तो थोडे सफेद फूल हाथ मे ले. और १ मिनट " ऐं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता सरस्वती को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और वही फूल माता सरस्वती चढा दे फिर जाये.

अगर आप अभिनय क्षेत्र मे अपनी शुरुवात करने जा रहे तो छोटी सी चंदन की लकडी अपने हाथ मे ले. और १ मिनट " ऐं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता सरस्वती को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और वही चंदन की लकडी जेब मे रखकर जाये.

किसी वाद-विवाद मे जाना हो या कही भाषण देना है तो पहले सुपारी हाथ मे लेकर १ मिनट " ऐं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता सरस्वती को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और जाये.

सुबह-सुबह अगर आप अपने ऑफिस, दुकान या अपने ब्यवसाय के लिये जा रहे तो हल्दी का टुकडा लेकर १ मिनट " ऐं" मन्त्र का उच्चारण करे और माता सरस्वती को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और अपने ऑफिस- दुकान या कार्य क्षेत्र मे जाये.

अब कुछ जरूरी बाते....

  • जिन ब्यक्ति को विश्वास नही है वे इसे मजाक समझे.
  • माता सरस्वती बहुत ही स्ट्रांग- पॉवरफुल वैदिक देवी मानी जाती है, इसलिये पूर्ण श्रद्धा होने पर ही इस विधि को अपनाये
  • इस अभ्यास मे जैसे-जैसे सफलता मिलती जायेगी वैसे-वैसे आपका स्वभाव मधुर होता चला जाना चाहिये
  • आपके स्वभाव मे घमंड आते ही इस अभ्यास का असर खत्म होना शुरु हो जाता है
  • कोई आपको बला-बुरा या गाली भी दे तो अपना नियंत्रण न खोये.
  • इस अभ्यास के द्वारा आप दूसरे की भी मदत कर सकते है.
  • इस अभ्यास को स्त्री-पुरुष-बच्चे कोई भी कर सकता है.
  • इस अभ्यास के लिये दिक्षा की जरूरत नही होती.

आशा है आप इन विधियो को अपनायेंगे और अपने जीवन मे सफल होगे. इसलिये पूर्ण श्रद्धा के साथ अभ्यास करे.

 May 24, 2017 

स्वाधिष्ठान चक्र को बैलेंस करे! स्वाधिष्ठान चक्र की समस्या और उपाय

स्वाधिष्ठान चक्र- इसे नेवल चक्र, नाभी चक्र भी कहते है. यह चक्र नाभी के बीच मे यानी मणीपुर चक्र के नीचे व मूलाधार चक्र के ऊपर स्थित होता है यह चक्र जल तत्व प्रधान होता है. इसका बीज मन्त्र "वं" माना जाता है. यह प्राणशक्ति को अपने आस-पास के शरीर के भाग मे प्रवाहित करता है. जिससे वे भाग चैतन्य रहते है. एक बच्चा मॉ से नाभी के माध्यम से जुडा रहता है वही से वह अपनी मा से मानसिक व अध्यात्मिक संस्कार लेता रहता है. यू कहे तो बच्चा मा से अच्छे बुरे संस्कार लेता रहता है. यही कारण है कि एक गर्भवती स्त्री को डॉक्टर टेंशन न लेने, अच्छी बाते सोचने व अच्छी बाते देखने के लिये कहते है.

यह चक्र जब सही तरह से चैतन्य होता है तब यह आपके विकास को रोकने वाले दुर्गुणो को जैसे आलस्य, भय, संदेह, बदला, ईर्ष्या और लोभ को नष्ट करने का कार्य करता है.

जब यह चक्र खराब हो जाता है या गलत ढंग से कार्य करता है..... तब शारीरिक व मानसिक समस्याये शुरु हो जाती है, जैसे....

  • बुरी संगत, बुरे लोगो की संगत
  • नशीले पदार्थो का सेवन
  • व्यसन करना
  • बुरी आदते
  • पैर के पंजे, तलुवो मे दर्द
  • सीखने की क्षनता कमजोर होना
  • स्मरण समस्या
  • गर्भधारण मे समस्या
  • मासिकधर्म की समस्या
  • भोजन का शरीर मे न लगना
  • ठंडी चीज खाने से बिमार हो जाना
  • सर्दी-जुखाम तथा छीक से हमेशा परेशान रहना
  • नाभी का खिसक जाना
  • किसी को सताने पर आनंद आना
  • किसी की तकलीफ देखकर आनंद आना
  • पेट से संबंधित सभी बिमारियां

इनमे से कोई भी समस्या का सामना आप कर रहे है या इनमे से कोई आदत है तो इसका मतलब यह है कि आपका स्वाधिष्ठान चक्र खराब है.

See- Swadhishthana chakra balancing

आइये अब जानते है कि इस चक्र को बैलेंस कैसे करते है....

एक शांत कमरे का चुनाव करे. दरवाजे की घंटी, मोबाईल फोन को बंद कर दे ढीले-ढाले वस्त्र पहने. एक कुर्सी पर या, जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाय. अपने ठीक सामने स्वाधिष्ठान चक्र का चित्र ले ले. और दिवार पर लगा दे चिपका दे. अब अपने स्वाधिष्ठान चक्र पर ध्यान देते हुये " वं" बीज मन्त्र का उच्चारण करे. " वं" बीज मन्त्र जल तत्व और स्वाधिष्ठान चक्र का बीज मन्त्र माना जाता है. इसलिये अपने स्वाधिष्ठान पर यानी नाभी स्थान पर ध्यान देते हुये " वं" बीज मंत्र का एक मिनट तक उच्चारण करते रहे. अब १० बार क्लीनिंग प्राणयाम करे यानी जोर से गहरी स्वास खीचे जितने देर तक हो सके रोक कर रखे. जब दम घुटने लगे तब श्वास धीरे-धीरे छोडे. इस तरह से यह १ प्राणायाम हुआ. ऐसे आपको १० प्राणायाम करना है.

यह अभ्यास कुछ दिन तक यानी कम से कम २१ दिन तक करे. ऐसा नियमित अभ्यास करने से स्वाधिष्ठान चक्र बैलेंस होना शुरु हो जाता है. यह अभ्यास आप तब तक चालू रखे जब तक आपको अपनी समस्या मे लाभ न मिलने लगे.

आशा है कि इस विधी का लाभ उठायेंगे...इसलिये पूर्ण श्रद्धा के साथ अभ्यास करे

 May 24, 2017 

शिव लिंग अंतर त्राटक या शिव लिंग मानस ध्यान

हिन्दू समाज में भगवान शिवा को को पारिवारिक देवता तथा संहार के देवता के रूप मे माना जाता है. तंत्र मे इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है. मंत्र-तंत्र की रचना भी इन्ही से मानी जाती है. क्योकि ॐ बीज मन्त्र भगवान शिव का ही माना जाता है और ॐ के बिना मंत्र रचना पूर्ण हो ही नही सकती. भगवान शिव की पूजा २ रूपो मे की जाती है.

पहला भगवान शिव के शरीर के रूप मे पूजा व दूसरा शिव लिंग के रूप मे पूजा.

आज हम बात करेगे भगवान शिवलिंग मानस ध्यान या शिवलिंग अंतर त्राटक की.

अब हम जानेंगे शिवलिंग मानस ध्यान या शिवलिंग अंतर त्राटक के लाभ की

  • शिवलिंग मानस ध्यान या शिवलिंग अंतर त्राटक से मन शांत बना रहता है
  • स्वभाव मे नरमी आ जाती है
  • नियमित शिवलिंग मानस ध्यान या शिवलिंग अंतर त्राटक करने से दरिद्रता समाप्त होने लगती है.
  • विचारो मे गंदगी खत्म होने लगती है, तथा ब्यक्ति बुरे मार्ग मे जाने से बच जाता है.
  • शरीर मे रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढने की वजह से ब्यक्ति बिमारियो से दूर रहता है या बिमार होने पर जल्दी स्वस्थ होने लगता है.
  • जीवन मे आने वाली परेशानियो का सामना करने की हिम्मत बढ जाती है
  • अध्यात्मिक शक्ति बढती है.
  • आकर्षक ब्यक्तित्व के साथ मान-सम्मान की प्राप्ती होती है.
  • बात-चीत मे आकर्षण की शक्ति बढने लगती है.
  • ब्यक्ति की कमिया तथा बुराईयां दूर होने लगती है.
  • पारिवारिक क्लेश नष्ट होने लगते है.
  • वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है.
  • मन-पसंद जीवनसाथी की प्राप्ती होती है.
  • किसी प्रकार की नकारात्मक उर्जा पास नही आती.
  • घर के अंदर की नकारात्मक उर्जा नष्ट होने लगती है.

यहा मै उन लोगो के लिये ये विधि बता रहा हू जो किसी कारणवश शिव साधना नही करना चाहते या उसमे रुचि नही है. तो यह शिवलिंग मानस ध्यान........ शिव साधना की तुलना मे आसान रहता है.

See - Shivaling manas dhyan

अब जानते है कि शिव लिंग अंतर त्राटक या शिव लिंग मानस ध्यान कैसे करे.

एक शांत कमरे का चुनाव करे. दरवाजे की घंटी, मोबाईल फोन को बंद कर दे ढीले-ढाले वस्त्र पहने. एक कुर्सी पर या, जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाय. अपने ठीक सामने काले पत्थर का शिव लिंग रखे या दिवार पर शिवलिंग का चित्र लगा ले. काले पत्थर का शिवलिंग आसानी से पूजा की दुकानो मे मिल जाता है. और शिवलिंग का चित्र आसानी से इंटरनेट से प्राप्त कर सकते है. अब अपने आज्ञा चक्र को पिंच करे यानी दोनो आखो के बीच के स्थान को पिंच करे और भगवान शिव का पंचाछर बीज मन्त्र " ॐ नमः शिवाय " का उचारण १ मिनट तक करे. अब एकटक कुछ सेकेंड उस शिवलिंग को देखते रहे. और आख बंद कर उस शिवलिंग को अपने आखो के सामने लाने का प्रयास करे. आप देखेंगे कि कुछ सेकेंड के लिये वह शिवलिंग आपके आखो के सामने दिखाई देगा, फिर गायब हो जायेगा. पहले दिन यह अभ्यास ५-६ मिनट तक करना है.

अब दूसरे दिन पुनः निश्चित समय पर अभ्यास शुरु करे. अब अपने दोनो आखो के बीच यानी आज्ञा चक्र पर पिंच करे और १ मिनट तक काली बीज " ॐ नमः शिवाय " का उच्चारण करे.. अब उस शिवलिंग को अपने आखो के सामने लाने का पुनः अभ्यास करे....

इस तरह से आप देखेंगे कि जैसे-जैसे आपका अभ्यास बढता जायेगा वैसे - वैसे आखे बंद करने के बाद शिवलिंग ज्यादा समय के लिये आपके सामने टिकना शुरु हो जायेगा. बस यही आपको चाहिये. जब आपका अभ्यास २१ से २५ दिन का हो जाय तो आप देखेंगे कि वह शिवलिंग आपकी आखो के सामने २ से ३ मिनट तक टिकना शुरु हो जायेगा.

याद रखे शिवलिंग शुरुवात मे सिर्फ कुछ सेकेंड के लिये ही आपके आखो के सामने दिखाई देगा. यही चित्र २ से ३ मिनट तक दिखाई दे रहा है तो यह मान कर चलिये कि आपने बहुत ही अच्छा अभ्यास किया है. ऐसा करने से शिवलिंग की जो खासियत है, या जो गुण है वह आपके अंदर आने शुरु हो जाते है.

अब हम जानेंगे कि इसका उपयोग कैसे करे.

अगर आपके परिवार मे अशांती या क्लेश है, परिवार के लोग आपस मे ही लड रहे है तो सोमवार के दिन एक तीन पत्तो वाला बेलपत्र अपने हाथ मे लेकर १ मिनट तक " ॐ नमः शिवाय " मन्त्र का उच्चारण करे और शिवलिंग को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर अपने परिवार की सुख-शांती की मनोकामना करे. ऐसा ७ सोमवार करे.

वैवाहिक जीवन मे समस्या है तो शुक्रवार के दिन चादी का सिक्का हाथ मे लेकर १ मिनट तक " ॐ नमः शिवाय " मन्त्र का उच्चारण करे और शिवलिंग को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर अपने सुखी जीवन का आशिर्वाद माग.ऐसा ५ शुक्रवार करे.

आप या आपके परिवार मे कोई न कोई बिमार रहता हो तो सोमवार के दिन बेलपत्र और हल्दी हाथ मे ले. और १ मिनट " ॐ नमः शिवाय " मन्त्र का उच्चारण करे और शिवलिंग को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर अपने या अपने परिवार के लोगो के स्वस्थ जीवन कामना करे. और वह बेलपत्र और हल्दी अपने घर के मंदिर मे चढा दे. ऐसा ७ सोमवार करे.

मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिये सोमवार के दिन चंदन की लकडी अपने हाथ मे ले. और १ मिनट " ॐ नमः शिवाय " मन्त्र का उच्चारण करे और शिवलिंग को अपने आखो के सामने ध्यान मे लाकर यानी मानस त्राटक कर आशिर्वाद मागे और वही चंदन की घर के मंदिर मे रख दे. ऐसा ५ सोमवार करे.

अगर ये सब उपाय न भी करे सिर्फ अभ्यास करते रहे तो भी घर मे सुख-शांती बनी रहती है तथा मनोकामना पूर्ण होने लगती है.

अब कुछ जरूरी बाते....

  • अगर सिर्फ शिवलिंग से मानस ध्यान करना है तब तांबा, पीतल का या सफेद पत्थर का शिवलिंग न ले, सिर्फ काला शिवलिंग ले.
  • पूर्ण श्रद्धा होने पर ही इस विधि को अपनाये
  • इस अभ्यास मे जैसे-जैसे सफलता मिलती जायेगी वैसे-वैसे आपका स्वभाव मधुर होता चला जाना चाहिये
  • आपके स्वभाव मे घमंड आते ही इस अभ्यास का असर खत्म होना शुरु हो जाता है
  • कोई आपको बला-बुरा या गाली भी दे तो अपना नियंत्रण न खोये.
  • इस अभ्यास के द्वारा आप दूसरे की भी मदत कर सकते है.
  • इस अभ्यास को स्त्री-पुरुष कोई भी कर सकता है.
  • इस अभ्यास के लिये दिक्षा की जरूरत नही होती.

कुछ लोग ये कहते है कि आप जानकारी जरूर दीजिये लेकिन विधि क्यो बताते है. मै लोगो को जबाब नही देना चाहता. पर मै यहा पर यह कहता हु कि अगर कुछ लोग इस विधी का कुछ प्रतिशत भी लाभ उठा लेते है, तो उन्हे दूसरे के पास जाकर पैसे खर्च करने की जरूरत नही पडेगी. मैने ४० वर्षो के अभ्यास मे जो कुछ भी सीखा है, अगर वह मै आप लोगो मे बॉट रहा हु तो मुझे पता है यह ज्ञान बाटने पर समाप्त नही होगा बल्कि बढेगा. .

आशा है आप इन विधियो को अपनायेंगे और अपने जीवन मे सफल होगे. इसलिये पूर्ण श्रद्धा के साथ अभ्यास करे

 May 24, 2017 

मणिपुर चक्र को बैलेंस करे! मणिपुर चक्र की समस्या और उपाय

मणीपुर चक्र- इसे सूर्य चक्र, सोलर चक्र या सुरक्षा चक्र भी कहते है. यह चक्र नाभ चक्री के ऊपर और हृदय चक्र के नीचे होता है. यह अग्नि जल तत्व प्रधान होता है. इसका बीज मन्त्र " रं" माना जाता है. यह प्राणशक्ति को अपने आस-पास के शरीर के भाग मे प्रवाहित करता है. जिससे वे भाग चैतन्य रहते है.

अगर आप बिमार है फिर चाहे वह शारीरिक समस्या हो या मानसिक समस्या. इसका अर्थ यह है कि आपका मणिपुर चक्र खराब है. ब्रम्हांड से प्राणशक्ति को खीच यह चक्र बाकी के चक्रो मे उर्जा को प्रवाहित करता है, किसी कारण से यह चक्र कार्य न कर पाये तब बाकी के चक्रो को उर्जा मिलनी बंद हो जाती है या कम उर्जा मिलती है, इससे उन चक्रो से संबंधित भाग मे शारीरिक समस्याये या मानसिक समस्याये उत्पन्न हो जाती है.

जब यह चक्र खराब हो जाता है या गलत ढंग से कार्य करता है.....तो आईये जानते है इसके क्या कारण है. जैसे....

  • स्वयं पर भरोसा न होना यानी आत्मविश्वास की कमी.
  • सही निर्णय न ले पाना
  • मधुमेह की समस्या
  • ब्लडप्रेशर की समस्या
  • असुरक्षा की भावना
  • किसी अनहोनी का डर
  • डरावने सपने आना
  • चोरी, लूट-मार का डर
  • ब्लैकमैजिक या तंत्र बाधा की समस्या
  • भूत-प्रेत का डर
  • अकेले रहने पर डर लगना
  • अनजाना भय
  • हत्या का डर
  • बार-बार बिमार पडना पर कारण समझ मे न आना
  • किसी को अपने बारे मे बुरा कहते सुनाई देना
  • शरीर मे काले धब्बे दिखाई दे और कुछ दिन मे निकल जाये
  • बार-बार हादसे होते रहना
  • नजर लगना
  • चिडचिडापन
  • अचानक ही परिवार से या दूसरो से लडाई-झगडा करने लगना
  • बिमारी मे दवा का असर न हो पाना

इनमे से कोई भी समस्या का सामना आप कर रहे है तो इसका मतलब यह है कि आपका मणिपुर चक्र खराब है.

See- Manipur chakra balancing

आइये अब जानते है कि इस चक्र को बैलेंस कैसे करते है....

एक शांत कमरे का चुनाव करे. दरवाजे की घंटी, मोबाईल फोन को बंद कर दे ढीले-ढाले वस्त्र पहने. एक कुर्सी पर या, जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाय. अपने ठीक सामने मणिपुर चक्र का चित्र ले ले. और दिवार पर लगा दे चिपका दे. अब अपने मणिपुर चक्र पर ध्यान देते हुये " रं" बीज मन्त्र का उच्चारण करे. " रं" बीज मन्त्र अग्नि तत्व और मणिपुर चक्र का बीज मन्त्र माना जाता है. इसलिये अपने मणिपुर पर यानी छाती के नीचे तथा नाभी के ऊपर ध्यान देते हुये " रं" बीज मंत्र का एक मिनट तक उच्चारण करते रहे. अब १० बार क्लीनिंग प्राणयाम करे यानी जोर से गहरी स्वास खीचे जितने देर तक हो सके रोक कर रखे. जब दम घुटने लगे तब श्वास धीरे-धीरे छोडे. इस तरह से यह १ प्राणायाम हुआ. ऐसे आपको १० प्राणायाम करना है.

यह अभ्यास कुछ दिन तक यानी कम से कम २१ दिन तक करे. ऐसा नियमित अभ्यास करने से मणिपुर चक्र बैलेंस होना शुरु हो जाता है. यह अभ्यास आप तब तक चालू रखे जब तक आपको अपनी समस्या मे लाभ न मिलने लगे.

आशा है कि इस विधी का लाभ उठायेंगे...इसलिये पूर्ण श्रद्धा के साथ अभ्यास करे.

 May 24, 2017 

कामदेव अंतर त्राटक या कामदेव मानस ध्यान

आज हम जानेगे कि अपने अंदर कामदेव की क्षमता को कैसे लाये. कामदेव को हिंदू शास्त्रों में प्रेम और काम का देवता माना गया है। उनका स्वरूप युवा और आकर्षक है। इनकी पत्नी का नाम रति है इनका असर इतना तेज होता है कि बडे से बडा कवच भी इनके प्रभाव को रोक नही पाता. ये अपने प्रभाव से किसी भी मानव, रिषी, मुनी, देव-दानव, यक्ष, तथा संसार के सभी लोगो की तपस्या को भंग करने की क्षमता रखता है. इनके बहुत से नाम है जैसे मदन, अनंग, पुष्पवान, कंदर्प ईत्यादि. ये भगवान श्री कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के अवतार माने जाते है.

कामदेव के बारे मे एक कथा कही गयी है अपने पिता दक्ष के द्वारा भगवान शिव का अपमान करने के कारण माता सती ने वही यज्ञ कुंड मे अपने प्राण त्याग दिये. सती के वियोग मे भगवान शिव तपस्या मे लीन हो गये. वही सती दूसरे जन्म मे हिमवान की पुत्री पार्वती के रूप मे जन्म लिया. तब उन्होने भगवान शिव से विवाह करने के लिये भगवान शिव की आराधना शुरु की. लेकिन भगवान शिव की माता पार्वती की आराधना से कुछ भी फर्क नही पड रहा था, यह देखकर ब्रम्हा जी ने भगवान शिव की तपस्या को भंग करने के लिये व हृदय मे माता पार्वती के प्रति प्रेम जगाने के उद्देश्य से कामदेव को कैलास पर्वत भेजा, कामदेव ने भगवान शिव पर पुष्प बाण चलाया, जिससे शिवजी की तपस्या भंग हो गयी पर वे क्रोधित हो गये और गुस्से मे उनका तीसरा नेत्र खुल गया और देखते ही देखते कामदेव भस्म हो गये. यह देखकर कामदेव की पत्नि रति विलाप करने लगी, रोने लगी और भगवान शिव से उनके पति को जीवित करने की विनंती करने लगी. जब भगवान शिव का क्रोध शांत हुआ तब उन्होने रति से कहा कि वापस कामदेव को शरीर मे जीवित नही करूगा लेकिन ये लोगो के मस्तिष्क मे जीवित रहेगे.

यही कारण है कि कामेच्छा या काम की भावना लोगो के मस्तिष्क मे रहती है. अगर ये कामेच्छा निर्जीव हो जाय तब मानव भी निर्जीव जैसा ही हो जाता है.

आजके युग मे सुंदर दिखना कौन नही चाहता. चाहे वह स्त्री हो या पुरुष हो, हर ब्यक्ति चाहता है कि लोग उन्ही की सुने, उन्ही को माने, उन्ही को मान-सम्मान मिले, उन्ही को देखे. अगर हम पुरुष की बात करे तो पुरुष चाहता है सब स्त्री-पुरुष उसे देखकर, उसकी बातो को सुनकर तथा उससे मिलकर प्रभावित हो जाये. खासकर उनमे स्त्रियो को आकर्षित करने की चाहत ज्यादा रहती है. और स्त्री चाहती है कि उनका शरीर आकर्षक व सौंदर्य से भरा हो.सबके निगाहो मे वही हो.

इनमे से कुछ लोगो के अंदर प्राकृतिक रुप मे ये क्षमताये पहले से ही मौजूद होती है. इसलिये वे जिस क्षेत्र मे भी जाते है उस क्षेत्र मे अपना प्रभाव दूसरो पर डालते रहते है और तरक्की करते रहते है.... लेकिन बहुत बडी संख्या मे स्त्री और पुरुष के अंदर ये क्षमता नही होती. इससे वे अपने जीवन मे कुछ कमी महसूस करते रहते है. सही ढंग से तरक्की न कर पाने की वजह ये हीन-भावना के शिकार होने लगते है. और आज के प्रतिष्पर्धा से भरी दुनिया मे वे पिछडने लगते है.

आईये जानते है कि कामदेव का स्थान कहा-कहा पर होता है....

  • कामदेव का स्थान स्त्री मे होता है
  • सुंदर-सुगंधित फूलो मे
  • गीत मे
  • संगीत मे
  • पक्षियो कि मीठी-मीठी आवाज मे
  • बसंत के महीने मे
  • आकर्षक वस्त्रो मे
  • खूबसूरत आभूषणो मे
  • कामुक ब्यक्ति की संगति मे
  • शरीर मे कपडो के अंदर छुपे अंगो मे
  • मंद मंद हवा मे
  • सुण्दर स्थान मे
  • झरने के पास मे
  • इसके अलावा,,,,स्त्री मे खासकर ऑखे, माथा, भौहे, गाल तथा होठो पर कामदेव का विशेष स्थान माना जाता है.

अब हम बात करेगे कामदेव मानस ध्यान के लाभ की.

  • यह स्त्रियो को भरपूर यौवन प्रदान करता है
  • पुरुषो मे आकर्षक ब्यक्तित्व बनाता है
  • समाज में अपनी प्रतिष्ठा बढाने का मौका प्रदान करता है
  • आपकी बातो मे या हाव-भाव जबर्दस्त आकर्षण छुपा रहता है.
  • यह एंटी-एजिंग शक्ति प्रदान करता है यानी उम्र का प्रभाव शरीर पर कम होता है.
  • आपको सुंदर, आकर्षक दिखने मे मदत करता है.
  • हीन-भावना दूर कर आत्मविश्वास को बढाता है.
  • यौन क्षमता मे बृद्धी
  • यौन समस्या मे लाभ
  • गुप्त अंग की समस्या से लाभ
  • ठंडेपन की समस्या से लाभ

अब जानते है कि कामदेव अंतर त्राटक या कामदेव मानस ध्यान कैसे करे.

See Kamdev manas dhyan

एक शांत कमरे का चुनाव करे. दरवाजे की घंटी, मोबाईल फोन को बंद कर दे ढीले-ढाले वस्त्र पहने. एक कुर्सी पर या, जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाय. अपने ठीक सामने माता कामदेव की मुर्ती या चित्र को रखे. अब अपने आज्ञा चक्र को पिंच करे और कामदेव बीज मन्त्र "क्लीं कामदेवाय नमः" का उचारण १ मिनट तक करे. अब एकटक कुछ सेकेंड उस चित्र या मुर्ती को देखते रहे. और आख बंद कर ले, और उस मुर्ती को या चित्र को अपने आखो के सामने लाने का प्रयास करे. आप देखेंगे कि कुछ सेकेंड के लिये वह चित्र या मुर्ती आपके आखो के सामने दिखाई देगी, फिर गायब हो जायेगी. पहले दिन यह अभ्यास ५-६ मिनट तक करना है.

अब दूसरे दिन पुनः निश्चित समय पर अभ्यास शुरु करे. अब अपने दोनो आखो के बीच यानी आज्ञा चक्र पर पिंच करे और १ मिनट तक कामदेव बीज "क्लीं कामदेवाय नमः" का उच्चारण करे.. अब उस चित्र को या मुर्ती को अपने आखो के सामने लाने का पुनः अभ्यास करे....

इस तरह से आप देखेंगे कि जैसे-जैसे आपका अभ्यास बढता जायेगा वैसे - वैसे आखे बंद करने के बाद माता बगलामुखी का चित्र ज्यादा समय के लिये आपके सामने टिकना शुरु हो जायेगा. बस यही आपको चाहिये. जब आपका अभ्यास २१ से २५ दिन का हो जाय तो आप देखेंगे कि वह मुर्ती या चित्र आपकी आखो के सामने २ से ३ मिनट तक टिकना शुरु हो जायेगा.

याद रखे ये चित्र या मुर्ती शुरुवात मे सिर्फ कुछ सेकेंड के लिये ही आपके आखो के सामने दिखाई देगा. लेकिन जब २ से ३ मिनट तक दिखाई देने लगे तो यह मान कर चलिये कि आपने बहुत ही अच्छा अभ्यास किया है. ऐसा करने से कामदेव की जो खासियत है, या जो गुण है वह आपके अंदर आने शुरु हो जाते है. यानी आपकी बात-चीत का प्रभाव दूसरे होना शुरु हो जाता है, आपके चेहरे पर तेज आना शुरु हो जाता है. आप जिससे भी मिलेगे उसे आप प्रभावित कर देंगे. यह अभ्यास आप रोज करते रहे.

अब हम जानेंगे कि इसका उपयोग कैसे करते है.

अगर आपकी कोई मनोकामना है तो सबसे पहले चंदन की लकडी का छोटा टुकडा अपने हाथ मे ले और १ मिनट तक "क्लीं कामदेवाय नमः" का उच्चारण करे. जब कामदेव का प्रतिबिम्ब आपकी आखो के सामने आ जाय तब आप अपनी मनोकामना अपने मन मे करे. और वह चंदन का टुकडा घर के मंदिर मे रख दे.

याद रखे सिर्फ सही और उचित कार्य के लिये इस विधि का उपयोग करे, गलत नियत से किया गया कार्य नुकसान पहुचाता है. आगे और भी विधि है लेकिन यह बताई नही जा रही है.

अब कुछ जरूरी बाते....

  • कामदेव बहुत ही स्ट्रांग- पॉवरफुल देवता माने जाते है, इसलिये पूर्ण श्रद्धा होने पर ही इस विधि को अपनाये
  • इस अभ्यास मे जैसे-जैसे सफलता मिलती जायेगी वैसे-वैसे आपका स्वभाव मधुर होता चला जाना चाहिये
  • आपके स्वभाव मे घमंड आते ही इस अभ्यास का असर खत्म होना शुरु हो जाता है
  • कोई आपको बला-बुरा या गाली भी दे तो अपना नियंत्रण न खोये.
  • गलत नियत से कभी भी कोई कार्य न करे.
  • इस अभ्यास के द्वारा आप दूसरे की समस्या भी मदत कर सकते है.
  • इस अभ्यास मे दिक्षा की जरूरत नही होती.

आशा है आप इन विधियो को अपनायेंगे और अपने जीवन मे सफल होगे. इसलिये पूर्ण श्रद्धा के साथ अभ्यास करे

 May 24, 2017 

अप्सरा साधना और नियम

आज हम अप्सरा साधना तथा उसके नियम की बात करेगे ये सब जानकारी आपको सिर्फ ज्ञान बढाने के उद्देश्य से दिया जा रहा है. प्रत्येक धर्म मे यह कहा जाता है कि स्वर्ग मे जाने वालो को भोगविलास तथा दिव्यसुख की प्राप्ती होती है. अप्सराये उनका मनोरंजन करती है. यूनानी शास्त्रो मे अप्सराओ को "निफ" नाम से जाना जाता है. ये अत्यंत रूपवती और दिव्य शक्तियो से संपन्न होती है. इन अप्सराओ को इस्लाम मे "हूर" कहा गया है. इनका कार्य नृत्य, गायन, वादन कर सबका मनोरंजन करना होता है. ये अत्यंत खूबसूरत तथा भरपूर यौवन से भरी हुयी षोडस वर्षीया अप्सरा होती है. षोडस वर्षीया का अर्थ है कि १६ वर्ष के ऊपर न हो. इनके शरीर से निकलने वाली खुशबू लोगो को आकर्षित करती रहती है. ये अगर साधक के ऊपर प्रसन्न हो जाय तो उनको कभी धोखा नही देती और भरपूर सुख प्रदान करती रहती है. इसके अलावा इन्हे रिषी-मुनी की तपस्या को भंग करने के लिये भी भेजा जाता था. इनमे से प्रमुख अप्सराओ के नाम है रंभा, मेनका, तिलोत्तमा, उर्वशी. देखा जाय तो हमारे भारतीय समाज मे अप्सराये रूप और सौंदर्य की पर्याय बन चुकी है.

अब हम जानना चाहेगे कि इनकी साधना इस कलियुग मे लोग क्यो करते है?

जब भी कोई ब्यक्ति किसी देवी-देवता, यक्ष, गंधर्य, अपसरा की साधना करता है तो उनके गुण उस साधक मे आने शुरु हो जाते है जैसे कि...

अगर हम माता लक्ष्मी की साधना करते है तो लक्ष्मी के गुण जैसे बुद्धी का सही उपयोग, सही समय मे सही निर्णय लेना, भौतिक सुख, ब्यापार मे बृद्धी ईत्यादि गुण होने की वजह से यही गुण साधक को भी मिलने लगते है.

हनुमान की साधना करते है तो उनके गुण जैसे आत्मविश्वास, पराक्रम, शक्ति, विजय तथा ब्रम्हचर्य जैसे गुण होने की वजह से साधक को भी वही गुण मिलने लगते है.

इसी तरह से अप्सरा की साधना करने से उनके गुण जैसे कि रूप, सुंदरता, यौवन, हमेशा आनंद मे रहना, सौंदर्य, सम्मोहन, आकर्षण, हमेशा जवान दिखना ईत्यादि गुण होने की वजह से वही गुण साधक मे भी आने लगते है. इसीलिये आज के युग मे अप्सरा की साधना स्त्री तथा पुरुष करने लगे है.

See apsara sadhana rules

आईये जानते है क्या क्या लाभ मिलते है इस अप्सरा साधना से....

  • स्त्री तथा पुरुष मे आकर्षण शक्ति बढ जाती है
  • पुरुषो मे यौन क्षमता बढ जाती है
  • स्त्रियो को भरपूर यौवन की प्राप्ति होती है.
  • आपकी बातो मे या हाव-भाव जबर्दस्त आकर्षण छुपा रहता है.
  • यह एंटी-एजिंग शक्ति प्रदान करता है यानी उम्र का प्रभाव शरीर पर कम होता है.
  • आपको सुंदर, आकर्षक दिखने मे मदत करता है.
  • हीन-भावना दूर कर आत्मविश्वास को बढाता है.
  • यौन क्षमता मे बृद्धी
  • यौन समस्या मे लाभ
  • गुप्त अंग की समस्या से लाभ
  • ठंडेपन की समस्या से लाभ
  • शरीर मे आनंद, चेतना तथा स्फूर्ति बनी रहती है.
  • कला के क्षेत्र कार्य करने वालो के लिये ये साधना बहुत ही लाभकारी है.

अप्सरा साधना के नियम

  • अप्सरा साधना स्त्री पुरुष कोई भी संपन्न कर सकता है.
  • १८ वर्ष से लेकर ६०-७० वर्ष तक के ब्यक्ति अप्सरा साधना कर सकते है.
  • ये साधना किसी के मार्ग-दर्शन मे ही करे.
  • आखे बंद कर मंत्र जप करे
  • किसी जानकार गुरु से दिक्षा अवश्य प्राप्त कर ले.
  • इनकी साधना बीच मे न छोडे.
  • स्त्रियो को मासिक धर्म के कारण ३ दिन की छूट होती है.
  • साधना एक निश्चित समय पर ही शुरु करे. १०-१५ मिनट आगे पीछे चल जाता है.
  • साधना मे उपांशु जाप का प्रयोग करे यानी बुदबुदाकर जाप करे और आपके होठ हिलते रहने चाहिये.
  • जल्दबाजी न करे. साधना जितने दिन की बताई गयी है उतने दिन अवश्य करे.
  • कुछ साधको को बीच मे ही ऐसा लगता है कि साधना सफल हो गयी है इसलिये साधना रोके नही. अप्सराये परिक्षा भी लेती रहती है.
  • साधना के प्रति पूर्ण विश्वास होना जरूरी है
  • साधना के दौरान अपनी कामेच्छा पर नियंत्रण रखे. साधना मे वासना का कोई स्थान नही है इसलिये मन पर नियंत्रण रखे.
  • कई साधक अप्सराओ के साथ शारीरिक संबंध की कल्पना भी करने लगते है. इसलिये ऐसी भावनाओ से बचे क्योकि ऐसी भावनाये साधना को असफल बनाती है.
  • साधना के दौरान खुशबू आने का अहसास होता है
  • किसी को अपने आस-पास चलने का अहसास होता है. कुछ भी हो अपनी आख न खोले.
  • कहा जाता है कि जब तक अप्सरा द्वारा वचन न दिया जाय तब तक उसकी बातो पर विश्वास न करे.

आशा है कि ये नियम आपके लिये उपयोगी साबित होगे.

 May 10, 2017 

महाकाली अंतर त्राटक

माता काली महाविद्या मे पृथम महाविद्या मानी जाती है. माता काली आकर्षण- वशीकरण तथा शत्रु नाश की शक्ति साधक को प्रदान करती है, इसके अलावा महाकाली का साधक भौतिक रूप से संतुष्ट रहता है. क्योकि काली पृथम महाविद्या है इसलिये इनकी साधना आसान नही होती. गुरु से दिक्षा लेकर ३ से ५ लाख जप करके इसे सिद्ध किया जा सकता है. अगर अकेला ब्यक्ति इस साधना को सिद्ध करना चाहे है तो उसे कम से कम १ से २ साल तक का समय लग जायेगा. महाकाली साधना बहुत प्रभावशाली होती पर इसकी सिद्दी उतनी ही मुश्किल होती है.

त्राटक का अर्थ एकाग्रता होता है. त्राटक का यह नियम है कि जब आप जिस किसी वस्तु पर त्राटक करते है, तो उसकी खासियत या गुण को अपने अंदर ले लेते है. जैसे कि अगर आप अगरबत्ती पर त्राटक करेगे तो आप देखेगे कि आपकी आखो मे थोडा कचरा जमा हो गया है. वही आप मोमबत्ती पर त्राटक करेगे तो आप देखेगे कि आपकी आखो मे कुछ कचरा आ गया है. अब आप मिट्टी के तेल के दिये पर त्राटक करेगे तो आप देखेगे कि आपकी आखे कचरे-गंदगी से भर गयी है. वही अगर आप शुद्ध घी के दिये पर त्राटक करे तो आप देखेगे कि आपकी आखे स्वच्छ रहती है. कहने का अर्थ यह है कि आप जिस भी वस्तु पर त्राटक करेगे उसके गुण व दुर्गुण आपमे आ जायेगे.

इसलिये आज हम बात करेगे महाकाली मुर्ति त्राटक की. जो लाभ महाकाली की साधना करके पाया जा सकता है, वही लाभ काली मुर्ति पर त्राटक से या काली मानस ध्यान से प्राप्त किया जा सकता है.

अब जानते है काली अंतर त्राटक या काली मानस ध्यान से लाभ.

  • यह अंतर त्राटक आपके प्रभा-मंडल को बढाता है.
  • यह अंतर त्राटक आपके अदर की रोग-प्रतिरोधक को शक्ति को बढाता है.
  • इससे आपके अंदर आत्म-विश्वास व मन पर नियंत्रण बढता है,
  • तंत्र बाधा से सुरक्षा मिलती है.
  • आकर्षण शक्ति बढ जाती है.

अब जानते है कि काली अंतर त्राटक या काली मानस ध्यान कैसे करे.

एक शांत कमरे का चुनाव करे. दरवाजे की घंटी, मोबाईल फोन को बंद कर दे ढीले-ढाले वस्त्र पहने. एक कुर्सी पर या, जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाय. अपने ठीक सामने माता काली की मुर्ती या फोटो को रखे. अब अपने आज्ञा चक्र को पिंच करे और काली बीज मन्त्र "क्लीं" का उचारण १ मिनट तक करे. अब एक टक कुछ सेकेंड उस चित्र या मुर्ती को देखते रहे. और आख बंद कर ले, और उस मुर्ती को या चित्र को अपने आखो के सामने लाने का प्रयास करे. आप देखेंगे कि कुछ सेकेंड के लिये वह चित्र या मुर्ती आपके आखो के सामने दिखाई देगी, फिर गायब हो जायेगी. पहले दिन यह अभ्यास ५-६ मिनट तक करना है.

अब दूसरे दिन पुनः निश्चित समय पर अभ्यास शुरु करे. अब अपने दोनो आखो के बीच यानी आज्ञा चक्र पर पिंच करे और १ मिनट तक काली बीज "क्लीं" का उच्चारण करे.. अब उस चित्र को या मुर्ती को अपने आखो के सामने लाने का पुनः अभ्यास करे....

इस तरह से आप देखेंगे कि जैसे-जैसे आपका अभ्यास बढता जायेगा वैसे - वैसे आखे बंद करने के बाद माता काली का चित्र ज्यादा समय के लिये आपके सामने टिकना शुरु हो जायेगा. बस यही आपको चाहिये. जब आपका अभ्यास २० से २८ दिन का हो जाय तो आप देखेंगे कि वह मुर्ती या चित्र आपकी आखो के सामने २ से ३ मिनट तक टिकना शुरु हो जायेगा.

याद रखे शुरुवात मे सिर्फ कुछ सेकेंड के लिये ही आपके आखो के सामने दिखाई देगा. २ से ३ मिनट तक दिखाई दे रहा है तो यह मान कर चलिये कि आपने बहुत ही अच्छा अभ्यास किया है. ऐसा करने माता की जो काशियत है, या जो गुण है वह आपके अंदर आने शुरु हो जाते है. यानी आपकी बात-चीत का प्रभाव दूसरे होना शुरु हो जाता है,आप जिससे भी मिलेगे उसे आप प्रभावित कर देंगे. इसके आलवा शत्रु कोई षडयंत्र आपके खिलाफ रचते है, तो वे उसमे सफल नही होते. यहा तक कि आपके ऊपर तांत्रिक प्रभाव है, तो वह भी नष्ट होना शुरु हो जाता है.

See Kali Anter tratak

यह विधी बहुत ही प्रभावी है, इसलिये पूर्ण श्रद्धा के साथ अभ्यास करे.