विशुद्ध चक्र त्राटक
यह चक्र का स्थान कंठ में होता है। विशुद्ध चक्र पर त्राटक बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यह चैतन्य होने लगे तो व्यक्ति को वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है। इस चक्र के जागृत होने से ब्यक्ति दिर्घायु होता है , संगीत विद्या व कला के क्षेत्र सफलता प्राप्त होती है सीखने की क्षमता बढती है. व्यक्ति विद्वान होता है तथा अध्यन के क्षेत्र मे सफलता मिलती है. इस चक्र का ध्यान करने से दिव्य दृष्टि, दिव्य ज्ञान तथा समाज के लिए कल्याणकारी भावना पैदा होती है। विशुद्ध चक्र का अर्थ है "पूर्ण निरोगी या पूर्ण शुद्ध" . इसलिये इस चक्र पर त्राटक करने से मनुष्य मे रोग, दोष, भय, चिंता, शोक आदि दूर होकर वह लम्बी आयु को प्राप्त करता है। इस चक्र मे आकाश तत्व की प्रधानता होती है. यह तत्व शरीर मे प्राणशक्ति को बढाता है. इसी तत्व की वजह से मन को एकाग्र करने मे मदत मिलती है.
Know about vishuddha chakra tratak
एक शांत कमरे का चुनाव करे कमरे मे रोशनी थोडी कम रखे.. अब अपने ठीक सामने विशुद्ध चक्र का चित्र दिवार पर लगाकर जमीन पर या कुर्सी पर बैठ जाय. .. और हं बीज मन्त्र का उच्चारण १ मिनट तक करे.. अब एकटक उस चक्र को देखते रहे... देखते ही देखते विशुद्ध चक्र मे रोशनी दिखाई देने लगेगी.. पहले दिन यह अभ्यास ५ मिनट तक ही करे.... अब दुसरे दिन अभ्यास पुनः शुरु करे.. और हं बीज मन्त्र का उच्चारण १ मिनट तक करे.. और विशुद्ध चक्र पर त्राटक यानी एकटक देखते रहे.... इस तरह से रोज ५ मिनट और २१ दिन तक अभ्यास नियमित करे... इस अभ्यास से आपका विशुद्ध चक्र या सोलार चक्र चैतन्य होने लगता है.. विशुद्ध चक्र का संबंध आकाश तत्व से होता है... और आकाश तत्व चैतन्य होने से उसका प्रभाव आवाज या वाणी पर पडता है.. यह चक्र आपके अंदर के तमाम कमियो को दूर करने लगता है... मार्केटिंग क्षमता, भाषण देने की क्षमता मे बृद्धी होती है.. तथा आपको यह पता रहता है कि कब, किससे , कैसे बात करनी है... इसी वजह से आप अपना प्रभाव दूसरो पर डाल पाते है... इसलिये इस विशुद्ध चक्र का नियमित अभ्यास करे और पने क्षेत्र मे सफलता पाये...