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 March 15, 2017 

मंत्र जप नियम

मंत्र जप क्या है? ... जब किसी भी मंत्र का बार-बार उच्चारण किया जाता है तब उसमे कंपन पैदा होता है. और शरीर के संबंधित भाग को वह उत्तेजित करता है. जैसे कि लक्ष्मी का मंत्र जपते है तो बार-बार जपने से जो कंपन यानी वायब्रेशन पैदा होता है, वह मष्तिष्क के ऐसे भाग को उत्तेजित करता है, जिसका संबंध निर्णय लेने की क्षमता पर पडता है, तब आप अपने कार्य क्षेत्र या व्यवसाय के क्षेत्र मे जो निर्णय लेते है वह अचूक होता है इससे पैसे आने के रस्ते खुलने शुरु हो जाते है. इसी तरह से माता सरस्वती माता सरस्वती का मंत्र जब बार बार जपते है, उससे जो कंपन तैयार होता है, उसका असर आपके गले व बुद्धि पर पडता है, जिससे मार्केटिंग क्षमता, भाषण कलॉ, अभिनय कलॉ, शिक्षा क्षेत्र, गायन तथा लेखन क्षेत्र ई. मे सफलता मिलनी शुरु हो जाती है. इसी तरह से जब हम किसी भी मन्त्र को बार-बार यानी हजारो बार जपते है, तो उससे निकलने वाली कंपन या उर्जा की शक्ति से हम अपनी मनोकामना की पुर्ति कर सकते है.

अब जानते है कि मन्त्र जप कितने प्रकार के होते है.

See mantra jap rules

मंत्र जप के ३ प्रकार होते है, पहला मानसिक जप, दूसरा वाचिक जप, तीसरा उपांशु जप.

मानसिक जपः देवी-देवताओ से संबंधित वैदिक मंत्र जपने मे किया जाता है. इसे मन ही मन जपा जाता है.

वाचिक जपः इसका उपयोग देवी-देवताओ से संबंधित तांत्रिक तथा वाम मार्गी मंत्र जपने मे किया जाता है. इसे जोर से बोलकर जपा जाता है. अघोर साधना, विद्वेषण, उच्चाटन, मारण मे वाचिक जप किया जाता है.

उपांशु जपः यह मनोकामना से संबंधित जैसे आकर्षण, वशीकरण, हेल्थ संबंधित मन्त्रो मे उपांशु जप किया जाता है, यह होठो को हिलाकर यानी बु्दबुदाकर जप किया जाता है, इसमे मन्त्र की आवाज सामने वाले को सुनाई नही देती सिर्फ उसके होठ हिलते हुये दिखाई देते है.

देवी-देवताओ से संबंधित मन्त्र अगर आप जप रहे तो उसे नियमित और समय पर जपे.

मन्त्र जपते समय बीच से न उठे

मन्त्र जपते समय फोन, मोबाईल, घर के दरवाजे की घंटी को बंद रखे.

घर मे अगर्बत्ती या इत्र का उपयोग करे, जिससे मन्त्र जपते समय आपका मन लगा रहे.

जपने वाले मन्त्र को किसी न बताये.

रोज नियमित संख्या मे ही मंत्र जपे. जितना आप जाप कर सकते है उतनी ही मात्रा मे रोज जपने का संकल्प करे.

कम से कम १ माला यानी १०८ बार मन्त्र जप अवश्य करे.

मन्त्र की जप संख्या जब बढने लगती है, तब शरीर मे कंपन या उर्जा बढने लगती है, उस समय आपको पसीना या चक्कर आना शुरु हो जाता है, इससे डरे नही अभ्यास चालू रखे.

इन सभी नियमो का पालन करेगे तो पुजा, साधना मे आप अवश्य सफल होंगे.

 May 28, 2014 

Type of Japa


Mantra marga or pujan via mantra primarily includes mantra japa or chanting of mantra. That is carried out in several strategies, type and levels. The repeated chanting of a mantra known as japa. There is 3 type wherein japa is completed:

Chanting the mantra loudly in a rhythm. That is known as Bahya jap (वाचिक जप). That is greatest fitted to suktas. In case of brief mantras which can be to be repeated many instances, it is seen as a preliminary/newbie’s stage of japa.

Not chanting aloud however it in a low voice or just recalling the mantra with lip movement. That is referred to as Upamsu japa (उपांशु जप).

Recalling the mantra inside, with out making any voice, lip motion or motion of tongue. That is known as Antarjapa (मानसिक जप). That is the state greatest recommended.