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 May 8, 2017 

तंत्र मे सफलता के लिये कामाख्या साधना

योनी साधना

तांत्रिको और अघोरियों के गढ़ माने जाने वाले कामाख्या पीठ तंत्र क्षेत्र का तीर्थ माना जाता है. असम की राजधानी दिसपुर से लगभग ७-८ किलोमीटर दूर स्थित है। वहां से १०-११ किलोमीटर दूर नीलाचंल पर्वत है। जहां पर माता कामाख्या देवी सिद्ध पीठ है। यही मंदिर मे तंत्र की शक्ति माता कामख्या विराजमान है. यह शक्ति-पीठ ५१ शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। माता कामाख्या को तंत्र की जननी कहा जाता है.

धर्म पुराणों के अनुसार माना जाता है कि इस जगह भगवान शिव का मां सती के प्रति मोह भंग करने के लिए विष्णु भगवान ने अपने चक्र से माता सती के 51 भाग किए थे जहां जहॉ पर माता का शरीर गिरा वहॉ-वहॉ शक्तिपीठ बन गया। इस तरह से ५१ शक्ति पीठ का निर्माण हुआ. इनमे से जिस जगह पर पर माता की योनि गिरी, वह स्थान कामाख्या पीठ कहलाया. इसलिये यहा योनी की पूजा होती है. योनी ही सृष्ठी का प्रवेश द्वार है. इसलिये योनी पूजा ही तंत्र मे सफलता पाने का द्वार माना जाता है. इसलिये साधू-योगी, तांत्रिको के अलावा देश-विदेश के तांत्रिक भी इस साधना को संपन्न करना अपने जीवन का ध्येय समझते है. इसलिये जीवन मे एक बार भी माता कामाख्या के दर्शन हो जाये तो आप इसे अपना सौभाग्य समझिये.

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  • शिव चरित्र के अनुसार, सती शक्ति पीठों की संख्या ५१ मानी जाती हैं.
  • कालिका पुराण के अनुसार, सती शक्ति-पीठों की संख्या २६ मानी जाती हैं.
  • श्री देवी भागवत, पुराण के अनुसार, सती शक्ति-पीठों की संख्या १०८ मानी जाती हैं.
  • तंत्र चूड़ामणि तथा मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, सती शक्ति-पीठों की संख्या ५२ मानी जाती हैं.

बहुत कोशिश करने पर भी किसी साधक को तंत्र मे सफलता नही मिलती तो उसे माता कामाख्या की ही शरण मे ही आना होता है. जब कोई रास्ता न बचे तब इस साधना को संपन्न करना चाहिये. माता कामाख्या का नाम से कुछ लोगो मे डर है. मै याहा पर यही कहूगा कि ये माता डर दूर करने वाली मानी जाती है, ये आपको किसी भी प्रकार की तंत्र बाधा, नजर, नकारात्मक उर्जा तथा शत्रु से सुरक्षा प्रदान करती है. ये आपके पारिवारिक जीवन को खुशहाल बनाती है.

Kamakhya mantra;

ll त्रीं त्रीं त्रीं हूँ हूँ स्त्रीं स्त्रीं कामाख्ये प्रसीद

स्त्रीं स्त्रीं हूँ हूँ त्रीं त्रीं त्रीं स्वाहा ll

आईये अब जानते है कि माता कामाख्या की साधना के नियम क्या है?

  • इस साधना को स्त्री पुरुष कोई भी कर सकता है.
  • यह साधना २१ से ४१ दिनो की होती है.
  • रात का समय साधना करने के लिये शुभ होता है
  • इस साधना को शुरु करने के लिये कामाख्या दिक्षा गुरु से अवश्य लेना चाहिये.
  • इस साधना मे यंत्र, माला, गुटिका, कामाख्या श्रन्गार, कामाख्या सिंदूर, कामाख्या आसन ईत्यादि का उपयोग किया जाता है
  • साधना के प्रति व गुरु के प्रति पूर्ण श्रद्धा होनी चाहिये.
  • साधना करने की प्रबल दिवानगी होनी चाहिये.
  • याद रखे जब भी साधना करने की इच्छा अपने मन मे करेगे, तुरंत अडचन आनी शुरु हो जायेगी, इसलिये अपनी संकल्प शक्ति को मजबूत रखिये.
  • इस साधना मे दक्षिण दिशा शुभ मानी जाती है.
  • इस साधना मे लाल कपडे का उपयोग करे.
  • साधना की सभी सामग्री कामाख्या मंत्र से प्राणप्रतिष्ठित होनी चाहिये.

आईये अब जानते है कि माता कामाख्या की साधना के लाभ क्या-क्या है?

  • हर तरह की नजर दूर हो जाती है
  • पति का संबंध अगर किसी दूसरी स्त्री से है तो वहा से वह वापस आने की संभावना बढ जाती है.
  • तंत्र के नकारात्मक प्रभाव दूर होने लगते है
  • पन-पसंद वर की प्राप्ती के लिये यह साधना बहुत ही उपयोगी है.
  • परिवार के क्लेश समाप्त होने लगते है.
  • वैवाहिक जीवन सुखमय हो जाता है.
  • पति-पत्नि एक दूसरे से हमेशा वफादार रहते है.
  • बडे से बडे तांत्रिक प्रभाव को भी इस साधना के द्वारा नष्ट किया जा सकता है.
  • शत्रु अपने षडयंत्र मे कामयाब नही होते.
  • घर मे सुख-शांती लौट आती है.
  • ब्यापार तथा दुकान धंधे मे की गयी तंत्र बाधा समाप्त हो जाती है.
  • आप इस साधना के द्वारा जरूरत मंद ब्यक्ति की मदत भी कर सकते है.

See Kamakhya Sadhana with Diksha

ये साधना आप कही से भी संपन्न कर सकते है. आशा है कि आप इस साधना को आजमायेगे तथा माता कामाख्या के आशिर्वाद के साथ अपने घर-परिवार को सुरक्षित व खुशहाल रखेगे.

 May 4, 2017 

कर्ण पिशाचिनी साधना

भूतकाल-वर्तमान काल की घटना को जाने!

रहस्यमयी कर्ण पिशाचिनी विद्या- एक ऐसी विद्या जिसकी सिद्धी कर ली जाय तो सामने वाले ब्यक्ति का भूतकाल व वर्तमान काल को जाना जा सकता है. यह एक ऐसी साधना है जिसे सिद्ध करने के लिये हर क्षेत्र के लोग लालायित रहते है. इसकी साधना दो पद्धति से की जाती है, पहला है तंत्र मार्ग से तथा दूसरा है वाम मार्ग से.

एक आम ब्यक्ति चाहे वह ग्रहस्थ हो या किसी भी क्षेत्र से जुडा हो तंत्र मार्ग से कर्ण पिशाचिनी साधना कर सकता है. और वाम मार्ग से कर्ण पिशाचिनी की साधना करना सिर्फ औघड यानी अघोरियो को ही इजाजत होती है. एक आम ब्यक्ति वाम मार्ग से साधना नही कर सकता. वह तभी साधना कर सकता जब वह ग्रहस्थ जीवन का त्याग कर चुका हो. और उसे वाम मार्ग की दिक्षा मिली हो.

तो आज हम बात करेगे तंत्र मार्ग की..... लोगो के मन मे कर्ण-पिशाचिनी के प्रति बेहद डर की भावना भरी हुयी है कि उन्हे कही कोई नुकसान न हो जाये. . लेकिन सही मार्ग-दर्शन मे, गुरु के दिशा-निर्देश मे यह साधना की जाय तो बिना नुकसान के सफलता भी मिल जाती है. योग्य गुरु कर्ण-पिशाचिनी के मंत्र मे विशिष्ठ बीज मंत्र मिलाकर देते है जिससे इससे नुकसान की संभावना समाप्त हो जाती है. यह साधना पारलौकिक शक्तियों को अपने वश में करने के लिये जानी जाती है. इस साधना के द्वारा ब्यक्ति की बहुत ही ब्यक्तिगत जानकारी भी हासिल की जा सकती है, इसलिये साधक को गुरु से कर्ण-पिशाचिनी साधना की संपूर्ण विधि को समझकर ही साधना की शुरुवात करनी चाहिये.

See Karana-pishachini sadhana

See Karna pishachini sadha with diksha

आईये अब जानते है कि कर्ण-पिशाचिनी साधना के लिये क्या करे या क्या न करे.

  • सबसे पहले कर्ण-पिशाचिनी साधना की दिक्षा किसी योग्य जानकार ब्यक्ति से लेनी चाहिये, जिससे कि आप उनके मार्ग-दर्शन मे साधना संपन्न कर सके.
  • साधना काल मे स्त्री से संबंध न रखे. यानी पूर्ण ब्रम्हचर्य रखे.
  • इस साधना को स्त्री और पुरुष दोनो ही कर सकते है.
  • साधना काल मे तीखी-मिर्च-मसालो को अपने भोजन से दूर रखे.
  • ब्यसन-धूम्रपान तथा मद्यपान से दूर रहे.
  • साधना के दौरान मांसाहारी भोजन से दूर रहे.
  • स्त्रियो के लिये मासिक-धर्म के दौरान साधना वर्जित है इसलिये ३ दिन साधना रोककर चौथे दिन से साधना शुरु करे.
  • याद रखे इस कर्ण-पिशाचि्नी साधना को साधक देवी के रूप मे मानकर साधना करे.
  • इस साधना का समय सूरज डूबने के बाद का होता है.
  • जो साधना सामग्री का उपयोग कर रहे है, ध्यान रखे कि वह प्राणप्रतिष्ठित होनी चाहिये.
  • इस साधना मे यंत्र, माला, गुटिका, श्रंगार, आसन, कवच ईत्यादि का उपयोग किया जाता है.
  • यह साधना २१ से ४१ दिन की होती है.
  • नियमित व एक ही जगह पर साधना संपन्न करे, साधना की जगह को बदले नही.
  • इस साधना के प्रति अपनी पूरी श्रद्धा बनाये रखे.
  • इस साधना की जानकारी हमेशा गुप्त रखे.
  • आप इस साधना को नही मानते यह अच्छी बात है पर मजाक मे इस साधना को कभी न ले.
  • आप इस साधना के प्रति गंभीर हो तभी इस साधना की तरफ बढे.
  • इस साधना का उपयोग गलत नीयत से कभी न करे.

यह साधना वही ब्यक्ति कर सकता है जो निडर हो और गंभीरता से साधना करना चाह रहा हो. नीचे डिस्क्रिप्शन मे इस साधना की सामग्री का लिंक दिया गया है, आशा है कि आप इस रहयमयी व अलौकिक साधना को सीखकर समाज मे अच्छे कार्य करेंग

 May 2, 2017 

पंचांगुली साधना के रहस्य

पंचांगुली साधना - इसे हम पंचांग की देवी की साधना भी कह सकते है, यह एक ऐसी विद्या है जो मनुष्य की चैतन्य शक्ती को जाग्रत कर देती है. जिससे वह सामने वाले के मष्तिष्क व विचारो से जुडने लगता है. और भविष्य के अज्ञात रहस्य उसके सामने खुलने शुरु हो जाते है. इस पंचांगुली विद्या को प्रमुख रूप से प्रचारित करने वाले रिषी कणाद, अंगिरस व अत्रेय माने जाते है. आज के युग मे भी लोग इस पंचांगुली साधना को सिद्ध कर रहे है. हर मनुष्य के मन मे भविष्य जानने की उत्सुकता बनी रहती या भविष्य के गर्भ मे जाने की व जानने की ललक बनी रहती है. वह चाहता है कि कोई ऐसी ब्रम्हांड की शक्ति से वह जुड जाय कि किसी की भी ब्यक्ति के भूत- भविष्य- वर्तमान को जान सके.

आज बहुत सी पद्ध्तिया आ चुकी है जो कि भूत- भविष्य- वर्तमान का ज्ञान कराती है. जैसे एस्ट्रोलोजी, पामेस्ट्री, नंबरोलोजी, रमल शास्त्र, टैरो कार्ड रीडिंग, स्वर शास्त्र, कौडी विज्ञान इसके अलावा बहुत सी पद्धतिया प्रचलित है.

माता पंचांगुली काल ज्ञान की देवी है. इनकी साधना की सिद्धी के द्वारा साधक को आने वाली दुर्घटना या होने वाली दुर्घटना का अहसास होने लगता है. तथा पंचांगुली साधना के द्वारा ब्यक्ति... ज्योतिष, पामेस्ट्री, न्यूम्रोलोजी, रमल शास्त्र, टैरो रीडिंग, प्लानचेट, कौडी विज्ञान मे पारंगत हो जाता है. अगर आप किसी ब्यक्ति को अध्यात्मिक उपचार करते है जैसे रेकी हीलिंग, प्राणिक हीलिंग, डिस्टेंस हीलिंग, फोटो थेरिपी, टेली पैथी. ...... तो आप देखेंगे कि इस साधना को सिद्ध करने के बाद आपकी उपचार करने की क्षमता १० गुना ज्यादा बढ जाती है. इसके अलावा जब भी आप सामने वाले ब्यक्ति को कोई राय - उपाय या मशवरा देते है, तो आप देखेंगे कि आपके दिये हुये उपाय उस ब्यक्ति के लिये अचूक होते है.

See about Panchanguli sadhana

अब पृश्न यह उठता है कि ऐसा क्यो होता है तो यहा पर यही कहा जा सकता है कि ब्रम्हांड की उर्जा आपके मष्तिष्क के माध्यम से सामने वाले ब्यक्ति के मष्तिष्क से जुडने लगती है. जब सामने वाला ब्यक्ति आपसे कोई पृश्न करता है उस समय आप सामने वाले ब्यक्ति के बारे मे सोचे तो तुरंत ही उस ब्यक्ति का ब्यवहार व स्वभाव का अंदाज आना शुरु हो जाता है. ऐसे समय आप अपने बारे मे उसके मन मे पॉजीटिव व निगेटिव विचारो को भी जान सकते है. जिससे आप उस ब्यक्ति से सतर्क रह सकते है. और इसके अलावा उस ब्यक्ति के पूछे गये पृश्न के समाधान मे आप जो भी उपाय उसे बतायेगे वह उस ब्यक्ति के लिये अचूक होगा. यहा तक की आप किसी मीटिंग या बिजनेस संबंधित मीटिंग मे बैठे है तो इस साधना के द्वारा आपको सामने वाले के मन मे अपने प्रति निगेटिव या पॉजीटिव विचारो को पढना आसान हो जाता है. जैसे यह आपको कही बिजनेस मे धोका तो नही देगा या फसाने की कॉइ चाल तो नही है? इस सब बातो का अंदाज आ जाता है. इससे आप बडे नुकसान से बच जाते है.

कहने का अर्थ यही है कि पंचांगुली साधना के द्वारा आप अपनी अध्यात्मिक क्षमता व उपचार करने की क्षमता को बढा सकते है. आपकी इंट्यूशन पॉवर बढ जाती है. मेरी राय मे जितने भी एस्ट्रोलॉजर, हीलर, अध्यात्मिक उपचार करने वाले लोग है, उन्हे यह साधना अवश्य करनी चाहिये तथा समाज मे लोगो की मदत करनी चाहिये

 May 1, 2017 

साधना सिद्धी के नियम जाने!

मंत्र साधना मे अथाह शक्ति है लेकिन इसके साथ ही कुछ नियम भी है, अगर इस नियम का पालन विधिवत करते है तो सफलता निश्चित मिलती है. अगर नियम का पालन नही किया जाय तो सफलता की जगह नुकसान होने की संभावना बनी रहती है. इसलिये गुरु के मार्ग-दर्शन और साधना के नियम का पालन कर आप सफलता प्राप्त कर सकते है. विधिवत की गई साधना से इष्‍ट देवता की कृपा बनी रहती है

आइये आज जानते है साधना के नियम जिसका पालन कर आप सफलता प्राप्त कर सकते है.

Know more about Sadhana rules

  • जिस देवी-देवता या जिस किसी भी ईष्ट की आप साधना करना चाहते हो, उनके प्रति पूरी आस्था होनी चाहिये.
  • साधना काल मे ब्रम्हचर्य रहना अनिवार्य है.
  • कामुक किताबे-फिल्मे नही देखना चाहिये.
  • साधना करने की आपकी प्रबल ईच्छा होनी चाहिये.
  • साधना करने के आपमे पूरी दिवानगी होनी चाहिये.
  • साधना का जो समय दिया गया है, उसी निश्चित समय पर ही साधना करनी चाहिये. ५-१० मिनट आगे-पीछे हो सकता है, लेकिन यह कोशिश करे कि साधना समय पर शुरु कर पाये.
  • साधना का स्थान बदले नही.
  • साधना काल मे मन बहुत ही विचलित हो जाता है, तथा कामवासना भी तेज हो जाती है इसलिये सतर्क रहे.
  • आपकी साधना मे विघ्न आये इसलिये कुछ आवाजे भी सुनाई देती है, जैसे कि कोई आपको बाहर बुला रहा हो, इसलिये मन पर नियंत्रण रखे व साधना को छोडे नही.
  • साधना का समय दोपहर या रात को हो तो भी स्नान कर साधना की शुरुवात करे, चाहे एकबार सुबह नहा चुके हो तो भी आप नहाकर साधना मे बैठे.
  • साधना काल मे अपना मोबाईल तथा दरवाजे की घंटी बंद रखे.
  • ब्यसन- धुम्रपान-मद्यपान से दूर रहना चाहिये.
  • साधना काल मे मिर्च-मसाले, खटाई, मांसाहार से दूर रहे.
  • अपनी वाणी पर नियंत्रण रखे.
  • साधना काल मे जमीन पर चटाई बिछाकर लेटे.
  • कुछ साधना मे न्यास भी किये जाते है, उसकी जानकारी अपने गुरु से अवश्य ले ले.
  • साधना करने के पहले गुरु से उस साधना की दिक्षा अवश्य ले ले.
  • साधना मे मंत्र जपने के पहले एक - एक माला गुरु मन्त्र और गणेश मन्त्र को अवश्य जपने चाहिये. फिर ध्यान करना चाहिये.
  • ध्यान मे जिस भी देवी-देवता या ईष्ट की साधना करने जा रहे है उनका ध्यान कर साधना मे सफलता का आशिर्वाद अवश्य मागना चाहिये.
  • साधना करते समय व साधना के बाद भी साधना की जानकारी लोगो मे गुप्त रखे.
  • एक समय मे एक ही साधना करनी चाहिये. साधना समाप्त होने पर गुरु से आज्ञा लेकर दूसरी साधना की शुरुवात कर सकते है.
  • साधना काल मे हुआ अनुभव सिर्फ आप अपने गुरु से या जहा से दिक्षा प्राप्त की है, उनसे कह सकते है.
  • साधना समाप्त होने पर दशांश हवन तथा अन्नदान अवश्य करना चाहिये. दशांश हवन का अर्थ यह है कि जितने भी मंत्र साधना काल मे जपे है उसका दसवॉ भाग हवन करना होता है.
  • जो मन्त्र आप जप रहे थे उसके आगे "स्वाहा" लगाकर आहुति देनी चाहिये या हवन करना चाहिये. जैसे अगर आप "ॐ महालक्ष्मेय नमः" का जाप कर रहे थे, तो हवन करते समय "ॐ महालक्ष्मेय नमः स्वाहा" बोलकर हवन करना होगा.
  • साधना मे बार-बार असफल हो रहे हो तो गुरु से उस साधना मन्त्र का उत्कीलन मन्त्र अवश्य लेना चाहिये,
  • सफलता प्राप्त करने के लिये साधना के पहले पुनश्चरण जाप भी कर लेना चाहिये. यानी साधना शुरु करने के १ या २ दिन पहले एक-एक घंटे उस मन्त्र का जाप कर लेना चाहिये.