Divyayogashop Blog

 April 12, 2014 

हनुमान आरती

hanuman arti

ती कीजै हनुमान लला की। दुष्टदलन रघुनाथ कला की॥१

जाके बल से गिरिवर काँपै। रोग-दोष जाके निकट न झाँपै॥२
अंजनि पुत्र महा बलदाई। संतन के प्रभु सदा सहाई॥३
दे बीरा रघुनाथ पठाये। लंका जारि सीय सुधि लाये॥४
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥५
लंका जारि असुर सँहारे। सियारामजी के काज सँवारे॥६
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनि सजीवन प्रान उबारे॥७
पैठि पताल तोरि जम-कारे। अहिरावन की भुजा उखारे॥८
बायें भुजा असुर दल मारे। दहिने भुजा संतजन तारे॥९
सुर नर मुनि आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे॥१०
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरति करत अंजना माई॥११
जो हनुमान जी की आरती गावै। बसि बैकुण्ठ परमपद पावै॥१२

 March 8, 2014 

Holi-16th March 2014

होलिका दहन

holi 2014

इस दिन क्या करें

एक नारियल लेकर अपने ऊपर ११ बार घुमाकर (मन मे मनोकामना करे कि मेरी सारी समस्याये, बुराईयां, बुरी आदते, व्यसन, जाने-अंजाने किये गये पाप, बिमारियां ईत्यादि सभी इस होली मे भस्म हो रहे है ) होली मे विसर्जित कर दे। यह क्रिया परिवार का हर व्यक्ति कर सकता है, या एक नारियल लेकर परिवार के सभी सदस्य के ऊपर ११-११ बार घुमाकर होलिका मे डाला जा सकता है।

 होलिका दहन मे जरुर भाग लें | अगर किसी वजह से आप रात में होलीं जलाने के वक्त शामिल न हो पायें तो अगले दिन सुबह सूर्य उदये से पहले जलती हुई होली के निकट जाकर तीन परिक्रमा करें | होली में अलसी , मटर ,चना गेंहू कि बालियाँ और गन्ना इनमे से जो कुछ भी मिल जाये उसे होली की आग में जरुर डालें |

परिवार के सभी सदस्यों के पैर के अंगूठे से लेकर हाथ को सिर से ऊपर पूरा ऊँचा करके कच्चा सूत नाप कर होली में डालें |

होली की विभूति यानि भस्म (राख) घर जरुर लायें पुरुष इस भस्म को मस्तक पर और महिला अपने गले में , लगाने से एश्वर्य बढ़ता है |

इस दिन कामदेव की पूजा करने पर वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है | अगर कामदेव की साधना नही कर पाये तो कामदेव मंत्र  "ॐ कामदेवाय मम् कार्य कुरु कुरु नमः" १०८ बार अवश्य करे।

होली शुभ दिन पर मन में किसी भी प्रकार का शत्रुता का भाव न रखें, इससे साल भर आप शत्रुओं पर विजयी बने रहते है |

घर आने वाले मेहमानों को सौंफ और मिश्री या मिठाई जरुर खिलायें, इससे अपनापन प्रेम भाव बढ़ता है |

होली - रंग पंचमी

सबसे पहली बात यह है कि रंग जरुर खेले इस दिन रंग खेलने से जीवन में खुशियों के रंग आते है और उदासी और क्लेश दूर हो जाते है| अगर आप घर से बाहर जा कर होली नहीं खेलना चाहते हैं तो घर पर ही होली खेले |

सुबह सुबह पहले भगवान को रंग चढ़ा कर ही होली खेलना शुरू करे |

किस रिश्ते के किस अंग में रंग लगायें-
माता – पैर

पिता -पैर
पत्नी / पति – सर्वांग (पूरे शरीर मे रंग लगा सकते है, इससे आपसी प्रेम बना रहता है)

बड़ा भाई -मस्तक (माथे पर रंग लगाये)

छोटा भाई – भुजायें

बड़ी बहन – हाथ और पैर पर

छोटी बहन – गाल,

बड़ी भाभी / देवर – हाथ और पैर पर

ननद और देवरानी-  सर्वांग (पूरे शरीर मे रंग लगा सकते है, इससे आपसी प्रेम बना रहता है)

छोटी भाभी -सर और कन्धे पर

 February 25, 2014 

चमत्कार भैरव नाथ बाबा का

bhairavnath strot

सभी मनोकामना की पूर्ती के लिये भैरव नाथ स्त्रोत

यं यं यं यक्ष रूपं दश दिशि विदितं भूमि कम्पायमानं
सं सं सं संहार मूर्ति शुभ मुकुट जटा शेखरं चन्द्र विम्बं
दं दं दं दीर्घ कायं विकृत नख मुख चौर्ध्व रोमं करालं
पं पं पं पाप नाशं प्रणमतं सततं भैरवं क्षेत्रपालं ॥ १ ॥

रं रं रं रक्तवर्णं कटक कटितनुं तीक्ष्णदंष्ट्रा विशालं
घं घं घं घोर घोसं घ घ घ घ घर्घरा घोर नादं
कं कं कं कालरूपं धग धग धगितं ज्वलितं कामदेहं
दं दं दं दिव्य देहं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालं ॥ २ ॥

लं लं लं लम्ब दन्तं ल ल ल ल लुलितं दीर्घ जिह्वाकरालं
धूं धूं धूं धूम्रवर्ण स्फुट विकृत मुखंमासुरं भीम रूपं
रूं रूं रूं रुण्डमालं रुधिरमय मुखं ताम्र नेत्रं विशालं
नं नं नं नग्नरूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालं ॥ ३ ॥

वं वं वं वायुवेगं प्रलय परिमितं ब्रह्मरूपं स्वरूपं
खं खं खं खड्गहस्तं त्रिभुवन निलयं भास्करं भीमरूपं
चं चं चं चालयन्तं चल चल चलितं चालितं भूत चक्रं
मं मं मं मायकायं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालं ॥ ४ ॥

खं खं खं खड्गभेदं विषममृतमयं काल कालान्धकारं
क्षि क्षि क्षि क्षिप्र वेग दह दह दहन नेत्रं सांदिप्यमानं
हूं हूं हूं हूंकार शब्दं प्रकटित गहन गर्जितं भूमिकंपं
बं बं बं बाललिलम प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालं ॥ ५ ॥

 February 20, 2014 

Mahashivaratri (27.02.2014)

maha shivaratri 2014

महाशिवरात्री के दिन अगर आप नीचे दिये हुये कुछ विधि अपनाये तो जल्द से जल्द आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।

इस दिन शिव मंदिर मे जाकर बेलपत्र अर्पण करे, वंहा से ९ बेल पत्र घर लाकर अपने घर के मंदिर मे चढाये। और १०८ बार "ॐ नमः शिवाये (ॐ नमः शिवाय नही)" का जाप कर अपनी मन-पसंद वर की कामना करे तो आपकी इच्छा पूर्ण हो जाती है।

किसी लडकी की शादी बार बार टूट जाती हो, या विवाह मे बार-बार विघ्न आ रहा हो तो इस दिन शिव मंदिर जाकर बेलपत्र के साथ हल्दी (अख्खा हल्दी) भी चढा कर अपनी मनोकामना करे। वहा से १२ बेलपत्र लाकर अपने घर के मंदिर मे हल्दी के साथ बेलपत्र चढाये और १०८ बार "ॐ नमः शिवाय" का जाप करे और हल्दी अपने पर्स मे रखे, जब तक आपकी इच्छा पूर्ण नही होती। शादी के बाद हल्दी को पानी मे विसर्जित कर दे।

शत्रु परेशान कर रहे है तो शिव मंदिर मे जाकर दर्शन करे, वहा से बेल पत्र लाकर घर मे काला तिल हाथ मे लेकर ३२४ शिव मन्त्र "ॐ नमः शिवाय" का जाप करे, और अपने उस शत्रु मे मुक्ति का कामना करे और उस बेलपत्र को काला तिल सहित पानी मे विसर्जित करे।

घर मे कोई न कोई बिमार रहता हो तो आज के दिन शिव मंदिर जाकर भगवान शिव के दर्शन करे वहा से ३ पत्तो वाला बेल पत्र घर लाकर महामृत्युंजय का जाप करे। तत्पश्चात बिमार व्यक्ति के ऊपर या घर के सभी सदस्य के ऊपर ११ बार घुमाकर पानी मे विसर्जित करे।

See more details...  http://www.divyayogashop.com/search/?query=shiva

 February 16, 2014 

Veerbhadra sarveshwari sadhana

वीरभद्र सर्वेश्वरी साधना

virbhadra sadhanaVeerbhadra Tantra (वीरभद्र तन्त्र) is assortment of varied secret sadhana in itself, there are such a lot of secrets and techniques associated to the sadhana given on this secret scripture that are simple and authentic. As upon a time this scripture was huge literature in content material however many parts of this scripture misplaced their existence time while. Anyway, on this scripture many sadhana associated to numerous gods and goddesses are talked about together with rituals on Maaran (मारन), Vashikaran (वशीकरण), Aakarshana (आकर्षण), Mohan (मोहन), Karya siddhim etc.

The Veerbhadra sarveshwari sadhana offered right here is massive gem of this scripture. That is sarveshwari sadhana. Mantra of this sadhana is swayam siddha or active this manner chance to achieve success turns into more. With that there's one other particular attribute is that individual is free to decide on their sadhana order and might have the specified result. This fashion, in tantra field, this sadhana is essential and secret. To perform this sadhana, sadhak should choose the place the place no disturbance happens throughout sadhana time. Sadhak ought to begin this sadhana on Tuesday night. Rosary needs to be Virbhadra sureshwari mantra siddha rudraksha and cloth and aasana must be Red. Direction must be north. Sadhak can use this mantra in following way. Description given in regard of mantra is this fashion: Simply by remembering this mantra resolution of the troubles could possibly be acquire associated to bhoot, rakshas, (evil spirits) daakini, yogini. Each time such auspicious troubles are marked, one ought to chant this mantra 9 times. For this Veerbhadra  sadhana, one ought to bear in mind this mantra. As this mantra is swayam siddha, for this particular there isn't a want of any process to perform this. One can straight take the mantra in use. If this mantra is chanted for one thousand instances, individual will get excessive reminiscence energy and turns into brilliant. If this mantra is chanted 11,000 occasions one will get energy to know everything means past and future incident could possibly be seen. If one does this mantra chanting for 1,25,000 times within the type of anusthan one can have energy of khechari or bhoochari means (flying in the sky or walking power for longer distance). Sadhak can himself choose the sadhana and schedule could possibly be organized accordingly that these much of mantra chanting can be done in these a lot days.

Sarveshwari sarveshwari sadhana Mantra :-
 
||OM HAM TH TH TH SEIM CHAAM THAM TH TH TH HRAH HRAUM HRAUM HREIM KSHEIM KSHOM KSHEIM KSHAM HRAUM HRAUM KSHEIM HREENG SMAAM DHMAAM STREEM SARVESHWARI HUM PHAT SWAAHAA||

 February 14, 2014 
नजर उतारने का शाबर मंत्र
 
 shabar mantra for evil eye
॥ ओम एक ठो सरसों सौला राइ मोरो पटवल को
 
 रोजाई खाय खाय पड़े भार जे करे ते मरे उलट
 
 विद्या ताहि पर परे शब्द साँचा पिंड काँचा
 
 हनुमान का मंत्र सांचा फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा ॥
 
 यदि किसी के ऊपर तांत्रिक अभिचार कर दिया हो नजर लग गयी हो तो थोड़ी सी राई, सरसों तथा नमक मिला कर रख ले । इसके बाद इस शाबर मंत्र का जाप करते हुए सात बार रोगी का उतारा करे । और फिर जलती हुई भट्टी में पानी मे यह सामग्री झटके से झोंक दे तो नजर पूरी तरह से जाता है।

 February 13, 2014 
सर्व कार्य सिद्धि के लिये शाबर मंत्र
 
 हर प्रकार की शाबर साधना मे सफलता प्राप्त करने के लिये सर्व सिद्ध शाबर मन्त्र का ३० माला जाप कर सिद्ध कर ले।
 
 सर्व कार्य सिद्ध शाबर मंत्र :-
 
 ॥ नमो महादेवी सर्वकार्य सिद्धकरणी जो पाती पूरे
 ब्रह्म, विष्णु, महेश तीनों देवतन मेरी भक्ति
 गुरु की शक्ति श्री गोरखनाथ की दुहाई
 फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा ॥

 February 13, 2014 
शाबर मंत्र साधना
 
 sabar sadhanaमहा शिवरात्री, होली या दीपावली की रात्रि में शाबर मंत्र सहज ही सिद्ध हो जाते हैं । इस अवसर पर विधिवत  पूजन इस मंत्र का जप करें ।
 
 शाबर साधना मंत्र :-
 
 ॥ भंवर वीर तू चेला मेरा, खोल दुकान कहा कर मेरा,
 उठे जो डंडी बिके जो माल भंवर वीर सो नहीं जाय ॥
 
 अपने आगे काले लौंग या उड़द रख कर ५०१ मंत्र का जप करें । सुबह उस लौंग या उड़द को अपने व्यापार स्थल पर डाल दें । यह क्रिया ७ रविवार करें । इससे आपके दुकान या ब्यापार कीं बिक्री बढ़ जायेगी ।
 

 February 13, 2014 
होली या दीपावली पर किये जाने वाले समृद्धि कारक साधना
 
  sadhanaमंत्र सिद्ध और प्राण प्रतिष्ठित एकाक्षी नारियल साक्षात लक्ष्मी का प्रतीक होता है। चैकी पर लाल वस्त्र बिछाकर, लाल या पीले चावल (चंदन एवं हल्दी मिश्रित) आसन पर स्थापित करें। नारियल पर घी
 और सिंदूर का लेप तथा स्वर्ण या रजत वर्क लगाकर मौली लपेटें। फिर गंध, अक्षत, पुष्प, गुलाब, गुग्गुल, दीप और नैवेद्य से उसकी पूजा करें। अब निम्न मंत्र का यथा संभव जप करें ।
 
 समृद्धि कारक साधना मंत्र :-
 
 ॥ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं महालक्ष्मी स्वरूपाय एकाक्षी नारिकेलाय नमः सर्वसिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥
 
 इसके अतिरिक्त सिद्ध हत्थाजोड़ी, सिद्ध बिल्ली की जेर और सिद्ध सिंयार सिंगी इन तीनों तांत्रिक वस्तुओं को लकडी की डिब्बी या चांदी की एक डिब्बी में रखकर उसे सिंदूर से पूरा भर दें । फिर उसे घर या पूजा कक्ष में रख दें और ३३३ मन्त्र का जाप करे। डिब्बी को ऑफिस या घर मे स्तापित करे। ऐसा करने से घर या व्यापारिक प्रतिष्ठान में किया गया हर तांत्रिक प्रयोग सदा के लिए दूर हो जाएगा और माता लक्ष्मी का वास होगा।

 February 13, 2014 
सुखमय जीवन के लिये चौसठ योगिनी नामस्तोत्रम्

64 yogini strot
 
 नियमित रूप से ६४ योगिनी नामस्त्रोत का पाठ करे और सुखमय जीवन का आनन्द ले।
 
 गजास्या सिंह-वक्त्रा च, गृध्रास्या काक-तुण्डिका ।
 
 उष्ट्रा-स्याऽश्व-खर-ग्रीवा, वाराहास्या शिवानना ॥
 
 उलूकाक्षी घोर-रवा, मायूरी शरभानना ।
 
 कोटराक्षी चाष्ट-वक्त्रा, कुब्जा च विकटानना ॥
 
 शुष्कोदरी ललज्जिह्वा, श्व-दंष्ट्रा वानरानना ।
 
 ऋक्षाक्षी केकराक्षी च, बृहत्-तुण्डा सुराप्रिया ॥
 
 कपालहस्ता रक्ताक्षी, शुकी श्येनी कपोतिका ।
 
 पाशहस्ता दंडहस्ता, प्रचण्डा चण्डविक्रमा ॥
 
 शिशुघ्नी पाशहन्त्री च, काली रुधिर-पायिनी ।
 
 वसापाना गर्भरक्षा, शवहस्ताऽऽन्त्रमालिका ॥
 
 ऋक्ष-केशी महा-कुक्षिर्नागास्या प्रेतपृष्ठका ।
 
 दन्द-शूक-धरा क्रौञ्ची, मृग-श्रृंगा वृषानना ॥
 
 फाटितास्या धूम्रश्वासा, व्योमपादोर्ध्वदृष्टिका ।
 
 तापिनी शोषिणी स्थूलघोणोष्ठा कोटरी तथा ॥
 
 विद्युल्लोला वलाकास्या, मार्जारी कटपूतना ।
 
 अट्टहास्या च कामाक्षी, मृगाक्षी चेति ता मताः ॥
 
 
 ६४ योगिनी स्त्रोत की हवन विधि :-
 
 साधक कृष्ण-पक्ष की चतुर्दशी को उपवास करे । रात्रि में गुग्गुल और घृत से विभक्ति युक्त प्रत्येक नाम के आगे प्रणव ॐ लगाकर, प्रत्येक नाम से १०८ आहुतियाँ अर्पित करे ।
 
 पूरी तरह शुद्ध होकर, एकाग्र-मन से जो इन नामों का पाठ करता है । उसे किसी भी प्रकार का भय, तन्त्र-मन्त्र, नजर, डाकिनी, शाकिनी, कूष्माण्ड और राक्षस आदि किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती । इसके अलावा देवी सभी मनोकामनाओ को भी पूरा करती है ।
 
 हवन के लिये चौंसठ योगिनी नाम इस प्रकार है । प्रत्येक नाम के आदि में ‘ॐ’ तथा अन्त में स्वाहा लगाकर हवन करें।
 
 ॐ गजास्यै स्वाहा ॥ ॐ सिंह-वक्त्रायै स्वाहा ॥ ॐ गृध्रास्यायै स्वाहा ॥
 ॐ काक-तुण्डिकायै स्वाहा ॥ ॐ उष्ट्रास्यायै स्वाहा ॥
 ॐ अश्व-खर-ग्रीवायै स्वाहा ॥ ॐ वाराहस्यायै स्वाहा ॥
 ॐ शिवाननायै स्वाहा ॥ ॐ उलूकाक्ष्यै स्वाहा ॥ ॐ घोर-रवायै स्वाहा ॥
 ॐ मायूर्यै स्वाहा ॥ ॐ शरभाननायै स्वाहा ॥ ॐ कोटराक्ष्यै स्वाहा ॥
 ॐ अष्ट-वक्त्रायै स्वाहा ॥ ॐ कुब्जायै स्वाहा ॥
 ॐ विकटाननायै स्वाहा ॥ ॐ शुष्कोदर्यै स्वाहा ॥
 ॐ ललज्जिह्वायै स्वाहा ॥ ॐ श्व-दंष्ट्रायै स्वाहा ॥
 ॐ वानराननायै स्वाहा ॥ ॐ ऋक्षाक्ष्यै स्वाहा ॥ ॐ केकराक्ष्यै स्वाहा ॥
 ॐ बृहत्-तुण्डायै स्वाहा ॥ ॐ सुरा-प्रियायै स्वाहा ॥
 ॐ कपाल-हस्तायै स्वाहा ॥ ॐ रक्ताक्ष्यै स्वाहा ॥ ॐ शुक्यै स्वाहा ॥
 ॐ श्येन्यै स्वाहा ॥ ॐ कपोतिकायै स्वाहा ॥ ॐ पाश-हस्तायै स्वाहा ॥
 ॐ दण्ड-हस्तायै स्वाहा ॥ ॐ प्रचण्डायै स्वाहा ॥
 ॐ चण्ड-विक्रमायै स्वाहा ॥ ॐ शिशुघ्न्यै स्वाहा ॥
 ॐ पाश-हन्त्र्यै स्वाहा ॥ ॐ काल्यै स्वाहा ॥
 ॐ रुधिर-पायिन्यै स्वाहा ॥ ॐ वसा-पानायै स्वाहा ॥
 ॐ गर्भ-भक्षायै स्वाहा ॥ ॐ शव-हस्तायै स्वाहा ॥
 ॐ आन्त्र-मालिकायै स्वाहा ॥ ॐ ऋक्ष-केश्यै स्वाहा ॥
 ॐ महा-कुक्ष्यै स्वाहा ॥ ॐ नागास्यायै स्वाहा ॥
 ॐ प्रेत-पृष्ठकायै स्वाहा ॥ ॐ दंष्ट्र-शूकर-धरायै स्वाहा ॥
 ॐ क्रौञ्च्यै स्वाहा ॥ ॐ मृग-श्रृंगायै स्वाहा ॥ ॐ वृषाननायै स्वाहा ॥
 ॐ फाटितास्यायै स्वाहा ॥ ॐ धूम्र-श्वासायै स्वाहा ॥
 ॐ व्योम-पादायै स्वाहा ॥ ॐ ऊर्ध्व-दृष्टिकायै स्वाहा ॥
 ॐ तापिन्यै स्वाहा ॥ ॐ शोषिण्यै स्वाहा ॥
 ॐ स्थूल-घोणोष्ठायै स्वाहा ॥ ॐ कोटर्यै स्वाहा ॥
 ॐ विद्युल्लोलायै स्वाहा ॥ ॐ बलाकास्यायै स्वाहा ॥
 ॐ मार्जार्यै स्वाहा ॥ ॐ कट-पूतनायै स्वाहा ॥
 ॐ अट्टहास्यायै स्वाहा ॥ ॐ कामाक्ष्यै स्वाहा ॥ ॐ मृगाक्ष्यै स्वाहा ॥