Divyayogashop Blog

 May 19, 2014 

Vat Pournima 2014

वट पुर्णिमा २०१४


Vat Pournima (वट पुर्णिमा) is the pageant for Maharashtrian ladies, that is well known within the month of Jesht (Might-June). Ladies observe a fast and tie threads around a banyan tree and pray (prarthana) for a similar husband in each birth.

The celebration derived from the story of Savitri and Satyavan. It has been foretold that Satyavan will not dwell long. Resting on the lap of Savitri, Satyavan was ready for death underneath a banyan tree, when the day of death comes. The messenger of Yama, the God of death got here to take Satyavan. However Savitri refused to offer her beloved companion. Messenger after messenger tried to take Satyavan away, however in vain. Lastly, Yama himself appeared in front of Savitri and insisted to provide her husband.

Since, she was nonetheless adamant, he supplied her a boon. She requested for the properly being of her in-laws. He granted it to her. She then adopted him as he took Satyavan's physique away. He supplied her one other boon. She now requested for the effectively being of her parents. This boon, too, was granted. But she was relentless, and continued to follow him. As they approached Yama's abode, he provided her a ultimate boon. She asked for a son. He granted it. She then asked him how it could be attainable for her to beget sons without her husband. Yama was trapped and had to return her husband.

So, married girls pray (prarthana) to the banyan tree for the lengthy lifetime of their husbands and kids. Their fast is observed the entire evening until the subsequent morning.

 April 24, 2014 

Akshaya Tritiya 

Akkha Teej 2nd May 2014

akshaya tritiya 2014

Akshaya Tritiya (अक्खा तीज) that is often known as Akha Teej is very propitious and holy day for Hindu communities. It falls throughout Shukla Paksha Tritiya within the month of Vaishakha. Akshaya Tritiya falling on a Rohini Nakshatra day with friday is taken into account very favorable. The phrase Akshaya (अक्षय) means by no means diminishing. Therefore the benefits of performing  any puja, havan Jap, Yagya, Pitra-Tarpan, Dan-Punya on this present day never diminish and stay with the particular person everlastingly.

Akshaya Tritiya is believed to convey good luck and success. Most individuals purchase Gold on this day as it's believed that purchasing Gold on Akshaya Tritiya brings wealth and more prosperity in coming future. Being Akshaya day it's supposed that Gold, purchased on this present day, won't ever diminish and would proceed to develop or welcome.

Akshaya Tritiya day is dominated by Bhagawan Vishnu who's the preserver God within the Hindu Trinity. In keeping with Hindu mythology Treta Yuga started on Akshaya Tritiya day. Often Akshaya Tritiya and Parashurama Jayanti, birthday anniversary of sixth incarnation of Lord (bhagawan) Vishnu, falls on a similar day however relying on staring time of Tritiya Tithi Parashurama Jayanti may fall someday earlier than Akshaya Tritiya day.

Vedic astrologers additionally contemplate Askshay Tritiya an auspicious day free from all malefic effects. As per Hindu Astrology three lunar days, Yugadi, Akshaya Tritiya and Vijay Dashami don’t want any Muhurta to begin or carry out any auspicious work as these three days are free from all malefic effects.

What to do on Akshaya tritiya.

You can propose  for long-term relationship.

You can buy any vehicle. But do not choose blue or black colour.

You can do pitra puja (Ancestors related puja) for family peace.

You can do Kalsarpa puja for removing obstacles.

You can perform Lakshmi-narayan puja for success in relationship and understand with husband-wife.

You can perform Mahalakshmi Puja for prosperity and wealth.

You can donate anything but do not donate cash money to beggars.

You can give advance money for buying home and property on Akshaya tritiya.

You can perform Saraswati Puja for your children.

You can perform Mahamrtyunjai Puja for better health and immune system.

 April 12, 2014 

हनुमान जयंती २०१४

Hanuman Jayanti 2014

Hanuman jayanti (हनुमान जयंती) is celebrated being a birthday of the bhagawan Hanuman allover world. He's a monkey deity and essential character in the epic Ramayana. Hanuman Jayanti falls on Full moon day of the chaitra month. Generally it falls in March / April months. This year, Hanuman Jayanti is on Tuesday, 15th April 2014.

Bhagawan Hanuman devotees observe fast during this day. People gather in a large number at temples (mandir) and perform event rituals.

Hanuman mantra

 ॐ हं हनुमंतये नम: मंत्र का जप करें।

हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् का रुद्राक्ष की माला से जप करें।

संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।

राम-राम नाम मंत्र का 108 बार जप करें।

हनुमान को नारियल, धूप, दीप, सिंदूर अर्पित‍ करें।

हनुमान अष्टमी के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।

राम रक्षा स्त्रोत, बजरंगबाण, हनुमान अष्टक, हनुमान सहस्र नामावली, हनुमान चालिसा का पाठ करें।

हनुमान आरती, हनुमत स्तवन, राम वन्दना, राम स्तुति,  का पाठ करें।

‍परिवार सहित मंदिर में जाकर मंगलकारी सुंदरकांड पाठ करें।

हनुमान को चमेली का तेल, सिंदूर का चोला चढ़ाएं।

गुड-चने और आटे से निर्मित प्रसाद वितरित करें। 

 April 12, 2014 

हनुमान बजरंगबाण

Hanuman bajarang baan

जिस घर में हनुमान बजरंग बाण का नियमित पठन होता है वहॉ दुर्भाग्य, दारिद्र, भूत-प्रेत का प्रकोप और असाध्य शारीरिक कष्ट आ नहीं पाते। समय की कमी के कारणें जो व्यक्ति नित्य पाठ करने में असमर्थ हों, उन्हें कम से कम प्रत्येक मंगलवार को यह जप अवश्य करना चाहिए। सांसारिक चिन्ताओं से उत्पन्न हुआ अनिन्द्रा रोग, शारीरिक कष्ट अथवा कोई अन्य संकट, बच्चों की बदनजर, अकारण उपजा भय आदि से मुक्ति पाने के लिए बजरंग बाण का नित्य पाठ करना उपयोगी सिद्ध होता है। कोई कार्य अधूरा हो और कार्य संपन्न होने मे अडचन आ रही हो तो बजरंग बाण के प्रयोग से शुभ समय आना शुरु हो जाता है।

दोहा :
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

चौपाई :
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥
यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥

दोहा :
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥ 

 April 12, 2014 

हनुमान चालिसा

Hanuman chalisa

अंजान जगह पर जाने के पहल, भयभीत होने पर या आत्मविश्वास की कमी होने पर हनुमान चालिसा का पाठ अवस्य करे।


दोहा :
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥

चौपाई :
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचंद्र के काज सँवारे॥
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तें काँपै॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै॥
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा॥ 

 April 12, 2014 

संकट मोचक हनुमान अष्टक

Sankat mochak hanuman ashtak

जब मनुष्य चारो तरफ से संकटों मे घिर जाता है, और उनसे निकलने का रास्ता तलाशने में भी वह विफल हो जाता है तब भगवान हनुमान अष्टक  से बहुत लाभ मिलता है।


अंजनी गर्भ संभूतो, वायु पुत्रो महाबल:।
कुमारो ब्रह्मचारी च हनुमान प्रसिद्धिताम्।।
मंगल-मूरति मारुत नन्दन। सकल अमंगल मूल निकन्दन।।
पवन-तनय-संतन हितकारी। हृदय विराजत अवध बिहारी।।
मातु पिता-गुरु गनपति सारद। शिव समेत शंभु शुक नारद।।
चरन बंदि बिनवों सब काहू। देव राजपद नेह निबाहू।।
बंदै राम-लखन-बैदेही। जे तुलसी के परम सनेही।।
संकट मोचक हनुमान
बाल समय रवि भक्षि लियो, तब तीनहुं लोक भयो अंधियारो।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।।
देवन आनि करी विनती तब, छांंिड़ दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारौ।
चौंकि महामुनि शाप दियो तब, चाहिए कौन विचार विचारो।।
कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
अंगद के संग लेन गये सिय, खोज कपीस ये बैन उचारो।
जीवत ना बचिहों हमसों, जु बिना सुधि लाये यहां पगुधारो।।
हेरि थके तट सिन्धु सबै तब, लाय सिया, सुधि प्राण उबारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
रावन त्रास दई सिय की, सब राक्षसि सों कहि शोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाय महा रजनीचर मारो।।
चाहत सीय अशोक सों आगि, सो दे प्रभु मुद्रिका शोक निवारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
बान लग्यो उर लछिमन के तब, प्रान तजे सुत रावन मारो।
ले गृह वैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सुबीर उपारो।।
आन संजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
रावन युद्ध अजान कियो तब, नाग की फाँस सबै सिर डारौ।
श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयौ यह संकट भारो।।
आनि खगेश तबै हनुमान जी, बन्धन काटि सो त्रास निवारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देविहिं पूजि भली विधि सों, बलि देहुं सबै मिलि मंत्र विचारो।।
जाय सहाय भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
काज किये बड़ देवन के तुम, वीर महाप्रभु देखि विचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसौं नहिं जात है टारो।।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कुछ संकट होय हमारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
दोहा
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वजú देह दनव दलन, जय जय जय कपि सूर।।

 April 12, 2014 

 श्री हनुमान सहस्र नामावली

Hanuman sahastra namavali

हर तरह की सुरक्षा के लिये मंगलवार के दिन इस भगवान हनुमान का सहस्त्रावली का पाठ अवस्य करे।

१ . ॐ हनुमते नमः ।
२ . ॐ श्रीप्रदाय नमः ।
३ . ॐ वायुपुत्राय नमः ।
४ . ॐ रुद्राय नमः ।
५ . ॐ अनघाय नमः ।
६ . ॐ अजराय नमः ।
७ . ॐ अमृत्यवे नमः।
८ . ॐ वीरवीराय नमः ।
९ . ॐ ग्रामवासाय नमः ।
१० . ॐ जनाश्रयाय नमः ।
११ . ॐ धनदाय नमः ।
१२ . ॐ निर्गुणाय नमः ।
१३ . ॐ अकायाय नमः ।
१४ . ॐ वीराय नमः ।
१५ . ॐ निधिपतये नमः ।
१६ . ॐ मुनये नमः ।
१७ . ॐ पिंगालक्षाय ।
१८ . ॐ वरदाय नमः ।
१९ . ॐ वाग्मिने नमः ।
२० . ॐ सीताशोकविनाशनाय नमः ।
२१ . ॐ शिवाय नमः ।
२२ . ॐ सर्वस्मै नमः ।
२३ . ॐ परस्मै नमः ।
२४ . ॐ अव्यक्ताय नमः ।
२५ . ॐ व्यक्ताव्यक्ताय नमः ।






२६ . ॐ रसाधराय नमः ।
२७ . ॐ पिंगकेशाय ।
२८ . ॐ पिंगरोम्णे ।
२९ . ॐ श्रुतिगम्याय नमः ।
३० . ॐ सनातनाय नमः ।
३१ . ॐ अनादये नमः ।
३२ . ॐ भगवते नमः ।
३३ . ॐ देवाय नमः ।
३४ . ॐ विश्वहेतवे नमः ।
३५ . ॐ निरामयाय नमः ।
३६ . ॐ आरोग्यकर्त्रे नमः ।
३७ . ॐ विश्वेशाय नमः ।
३८ . ॐ विश्वनाथाय नमः ।
३९ . ॐ हरीश्वराय नमः ।
४० . ॐ भर्गाय नमः ।
४१ . ॐ रामाय नमः ।
४२ . ॐ रामभक्ताय नमः ।
४३ . ॐ कल्याणप्रकृतये नमः ।
४४ . ॐ स्थिराय नमः ।
४५ . ॐ विश्वम्भराय नमः ।
४६ . ॐ विश्वमूर्तये नमः ।
४७ . ॐ विश्वाकाराय नमः ।
४८ . ॐ विश्वपाय नमः ।
४९ . ॐ विश्वात्मने नमः ।
५० . ॐ विश्वसेव्याय नमः ।



५१ . ॐ विश्वस्मै नमः ।
५२ . ॐ विश्वहराय नमः ।
५३ . ॐ रवये नमः ।
५४ . ॐ विश्वचेष्टाय नमः ।
५५ . ॐ विश्वगम्याय नमः ।
५६ . ॐ विश्वध्येयाय नमः ।
५७ . ॐ कलाधराय नमः ।
५८ . ॐ प्लवंगमाय नमः ।
५९ . ॐ कपिश्रेष्ठाय नमः ।
६० . ॐ ज्येष्ठाय नमः ।
६१ . ॐ वैद्याय नमः ।
62. ॐ वनेचराय नमः ।
६३ . ॐ बालाय नमः ।
६४ . ॐ वृद्धाय नमः ।
६५ . ॐ यूने नमः ।
६६ . ॐ तत्त्वाय नमः ।
६७ . ॐ तत्त्वगम्याय नमः ।
६८ . ॐ सख्ये नमः ।
६९ . ॐ अजाय नमः ।
७० . ॐ अञ्जनासूनवे नमः ।
७१ . ॐ अव्यग्राय नमः ।
७२ . ॐ ग्रामख्याताय नमः ।
७३ . ॐ धराधराय नमः ।
७४ . ॐ भूर्लोकाय नमः ।
७५ . ॐ भुवर्लोकाय नमः ।






७६ . ॐ स्वर्लोकाय नमः ।
७७ . ॐ महर्लोकाय नमः ।
७८ . ॐ जनलोकाय नमः ।
७९ . ॐ तपोलोकाय नमः ।
८० . ॐ अव्ययाय नमः ।
८१ . ॐ सत्याय नमः ।
८२ . ॐ ओंकारगम्याय ।
८३ . ॐ प्रणवाय नमः ।
८४ . ॐ व्यापकाय नमः ।
८५ . ॐ अमलाय नमः ।
८६ . ॐ शिवधर्मप्रतिष्ठात्रे नमः ।
८७ . ॐ रामेष्टाय नमः ।
८८ . ॐ फ़ाल्गुनप्रियाय नमः ।
८९ . ॐ गोष्पदीकृतवारीशाय नमः ।
९० . ॐ पूर्णकामाय नमः ।
९१ . ॐ धरापतये नमः ।
९२ . ॐ रक्षोन्घाय नमः ।
९३ . ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः ।
९४ . ॐ शरणागतवत्सलाय नमः ।
९५ . ॐ जानकीप्राणदत्रे नमः ।
९६ . ॐ रक्षःप्राणापहारकाय नमः ।
९७ . ॐ पूर्णाय नमः ।
९८ . ॐ सत्यायः नमः ।
९९ . ॐ पीतवाससे नमः ।
१०० . ॐ दिवाकरसमप्रभाय नमः ।




१०१ . ॐ देवोद्यानविहारिणे नमः ।
१०२ . ॐ देवताभयभयन्जनाय नमः ।
१०३ . ॐ भक्तोदयाय नमः ।
१०४ . ॐ भक्तलब्धाय नमः ।
१०५ . ॐ भक्तपालनतत्पराय नमः ।
१०६ . ॐ द्रोणहर्त्रे नमः ।
१०७ . ॐ शक्तिनेत्रे नमः ।
१०८ . ॐ शक्तिराक्षसमारकाय नमः ।
१०९ . ॐ अक्षन्घाय नमः ।
११० . ॐ रामदूताय नमः ।
१११ . ॐ शाकिनीजीवहारकाय नमः ।
११२ . ॐ बुबुकारहतारातये नमः ।
११३ . ॐ गर्वपर्वतमर्दनाय नमः ।
११४ . ॐ हेतवे नमः ।
११५ . ॐ अहेतवे नमः ।
११६ . ॐ प्रांशवे नमः ।
११७ . ॐ विश्वभर्त्रे नमः ।
११८ . ॐ जगद् गुरवे नमः ।
११९ . ॐ जगन्नेत्रे नमः ।
१२० . ॐ जगन्नाथाय नमः ।
१२१ . ॐ जगदीशाय नमः ।
१२२ . ॐ जनेश्वराय नमः ।
१२३ . ॐ जगद्धिताय नमः ।
१२४ . ॐ हरये नमः ।
१२५ . ॐ श्रीशाय नमः ।




१२६ . ॐ गरुडस्मयभन्जनाय नमः ।
१२७ . ॐ पार्थध्वजाय नमः ।
१२८ . ॐ वायुपुत्राय नमः ।
१२९ . ॐ अमितपुच्छाय नमः ।
१३० . ॐ अमितविक्रमाय नमः ।
131. ॐ ब्रह्मपुच्छाय नमः ।
१३२ . ॐ परब्रह्मपुच्छाय नमः ।
१३३ . ॐ रामेष्टकारकाय नमः ।
१३४ . ॐ सुग्रीवादियुताय नमः ।
१३५ . ॐ ज्ञानिने नमः ।
१३६ . ॐ वानराय नमः ।
१३७ . ॐ वानरेश्वराय नमः ।
१३८ . ॐ कल्पस्थायिने नमः ।
१३९ . ॐ चिरन्जीविने नमः ।
१४० . ॐ तपनाय नमः ।
१४१ . ॐ सदाशिवाय नमः ।
१४२ . ॐ सन्नतये नमः ।
१४३ . ॐ सन्दतये नमः ।
१४४ . ॐ भुक्तिमुक्तिदाय नमः ।
१४५ . ॐ कीर्तिदायकाय नमः ।
१४६ . ॐ कीर्तये नमः ।
१४७ . ॐ कीर्तिप्रदाय नमः ।
१४८ . ॐ समुद्राय नमः ।
१४९ . ॐ श्रीप्रदाय नमः ।
१५० . ॐ शिवाय नमः ।




१५१ . ॐ भक्तोदयाय नमः ।
१५२ . ॐ भक्तगम्याय नमः ।
१५३ . ॐ भक्तभाग्यप्रदायकाय नमः ।
१५४ . ॐ उदधिक्रमणाय नमः ।
१५५ . ॐ देवाय नमः ।
१५६ . ॐ संसारभयनाशनाय नमः ।
१५७ . ॐ वार्धिबन्धनकृते नमः ।
१५८ . ॐ विश्वजेत्रे नमः ।
१५९ . ॐ विश्वप्रतिष्ठिताय नमः ।
१६० . ॐ लंकारये नमः ।
१६१ . ॐ कालपुरुषाय नमः ।
१६२ . ॐ लकंशग्रहभन्जनाय नमः ।
१६३ . ॐ भूतावासाय नमः ।
१६४ . ॐ वासुदेवाय नमः ।
१६५ . ॐ वसवे नमः ।
१६६ . ॐ त्रिभुवनेश्वराय नमः ।
१६७ . ॐ श्रीरामरुपाय नमः ।
१६८ . ॐ कृष्णाय नमः ।
१६९ . ॐ लंकाप्रासादभन्जकाय नमः ।
१७० . ॐ कृष्णाय नमः ।
१७१ . ॐ कृष्णस्तुताय नमः ।
१७२ . ॐ शान्ताय नमः ।
१७३ . ॐ शान्तिदाय नमः ।
१७४ . ॐ विश्वपावनाय नमः ।
१७५ . ॐ विश्वभोक्त्रे नमः ।




१७६ . ॐ मारन्घाय नमः ।
१७७ . ॐ ब्रह्मचारिणे नमः ।
१७८ . ॐ जितेन्द्रियाय नमः ।
१७९ . ॐ ऊर्ध्वगाय नमः ।
१८० . ॐ लांगुलिने ।
१८१ . ॐ मालिने नमः ।
१८२ . ॐ लांगूलाहतराक्षसाय नमः ।
१८३ . ॐ समीरतनुजाय नमः ।
१८४ . ॐ वीराय नमः ।
१८५ . ॐ वीरताराय नमः ।
१८६ . ॐ जयप्रदाय नमः ।
१८७ . ॐ जगन्मंगलदाय नमः ।
१८८ . ॐ पुण्याय नमः ।
१८९ . ॐ पुण्यश्रवणकीर्तनाय नमः ।
१९० . ॐ पुण्यकीर्तये नमः ।
१९१ . ॐ पुण्यगतये नमः ।
१९२ . ॐ जगत्पावनापावनाय नमः ।
१९३ . ॐ देवेशाय नमः ।
१९४ . ॐ जितमाराय नमः ।
१९५ . ॐ रामभक्तिविधायकाय नमः ।
१९६ . ॐ ध्यात्रे नमः ।
१९७ . ॐ ध्येयाय नमः ।
१९८ . ॐ लयाय नमः ।
१९९ . ॐ साक्षिणे नमः ।
२०० . ॐ चेतसे नमः ।




२०१ . ॐ चैतन्यविग्रहाय नमः ।
२०२ . ॐ ज्ञानदाय नमः ।
२०३ . ॐ प्राणदाय नमः ।
204. ॐ प्राणाय नमः ।
२०५ . ॐ जगत्प्राणाय नमः ।
२०६ . ॐ समीरणाय नमः ।
२०७ . ॐ विभीषणप्रियाय नमः ।
२०८ . ॐ शूराय नमः ।
२०९ . ॐ पिप्पलाश्रयसिद्धिदाय नमः ।
२१० . ॐ सिद्धाय नमः ।
२११ . ॐ सिद्धाश्रयाय नमः ।
२१२ . ॐ कालाय नमः ।
२१३ . ॐ महोक्षाय नमः ।
२१४ . ॐ कालाजान्तकाय नमः ।
२१५ . ॐ लंकेशनिधनाय नमः ।
२१६ . ॐ स्थायिने नमः ।
२१७ . ॐ श्रीपरीवाराय नमः।
२१८. ॐ श्रिताय नमः।
२१९. . ॐ रुद्राय नमः ।
२२० . ॐ कामदुहे नमः ।
२२१ . ॐ प्रलयान्तकाय नमः ।
२२२ . ॐ कपिलाय नमः ।
२२३ . ॐ कपिशाय नमः ।
२२४ . ॐ पुण्यराशये नमः ।
२२५ . ॐ द्वादशराशिगाय नमः ।




२२६ . ॐ सर्वाश्रयाय नमः ।
२२७ . ॐ अप्रमेयात्मने नमः ।
२२८ . ॐ रेवत्यादिनिवारकाय नमः ।
२२९ . ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नमः ।
२३० . ॐ सीताजीवनहेतुकाय नमः ।
२३१ . ॐ रामध्येयाय नमः ।
२३२ . ॐ हृषिकेशाय नमः ।
२३३ . ॐ विष्णुभक्ताय नमः ।
२३४ . ॐ जटिने नमः ।
२३५ . ॐ बलिने नमः ।
२३६ . ॐ देवारिदर्पन्घे नमः ।
२३७ . ॐ होत्रे नमः ।
२३८ . ॐ धात्रे नमः ।
२३९ . ॐ कर्त्रे नमः ।
२४० . ॐ जगत्प्रभवे नमः ।
२४१ . ॐ नगरग्रामपालाय नमः ।
242. ॐ शुद्धाय नमः ।
२४३ . ॐ बुद्धाय नमः ।
२४४ . ॐ निरत्रपाय नमः ।
२४५ . ॐ निरन्जनाय नमः ।
२४६ . ॐ निर्विकल्पाय नमः ।
२४७ . ॐ गुणातीताय नमः ।
२४८ . ॐ भयंकराय नमः ।
२४९ . ॐ हनुमते नमः ।
२५० . ॐ दुराराध्याय नमः ।




२५१ . ॐ तपःसाध्याय नमः ।
२५२ . ॐ महेश्वराय नमः ।
२५३ . ॐ जानकीधनशोकोत्थतापहर्त्रे नमः ।
२५४ . ॐ परात्परस्मै नमः ।
२५५ . ॐ वाड्.मयाय नमः ।
२५६ . ॐ सदसद्रूपाय नमः ।
२५७ . ॐ कारणाय नमः ।
२५८ . ॐ प्रकृतेः परस्मै नमः ।
२५९ . ॐ भाग्यदाय नमः
२६० . ॐ निर्मलाय नमः ।
२६१ . ॐ नेत्रे नमः ।
२६२ . ॐ पुच्छलंकाविदाहकाय नमः ।
२६३ . ॐ पुच्छबद्धयातुधानाय नमः ।
२६४ . ॐ यातुधानरिपुप्रियाय नमः ।
२६५ . ॐ छायापहारिणे नमः ।
२६६ . ॐ भूतेशाय नमः ।
२६७ . ॐ लोकेशाय नमः ।
२६८ . ॐ सन्दतिप्रदाय नमः ।
२६९ . ॐ प्लवंगमेश्वराय नमः ।
२७० . ॐ क्रोधाय नमः ।
२७१ . ॐ क्रोधसंरक्तलोचनाय नमः ।
२७२ . ॐ सौम्याय नमः ।
२७३ . ॐ गुरवे नमः ।
२७४ . ॐ काव्यकर्त्रे नमः ।
२७५ . ॐ भक्तानां वरप्रदाय नमः ।





२७६ . ॐ भक्तानुकम्पिने नमः ।
२७७ . ॐ विश्वेशाय नमः ।
२७८ . ॐ पुरुहूताय नमः ।
२७९ . ॐ पुरंदराय नमः ।
२८० . ॐ क्रोधहर्त्रे नमः ।
२८१ . ॐ तमोहर्त्रे नमः ।
२८२ . ॐ भक्ताभयवरप्रदाय नमः ।
२८३ . ॐ अगन्ये नमः ।
२८४ . ॐ विभावसते नमः ।
२८५ . ॐ भास्वते नमः ।
२८६ . ॐ यमाय नमः ।
२८७ . ॐ निॠतये नमः ।
२८८ . ॐ वरुणाय नमः ।
२८९ . ॐ वायुगतिमते नमः ।
२९० . ॐ वायवे नमः ।
२९१ . ॐ कौबेराय नमः ।
२९२ . ॐ ईश्वराय नमः ।
२९३.ॐ श्रीपरीवाराय नमः।
२९४. ॐ श्रिताय नमः।
२९५ . ॐ रुद्राय नमः ।

२९६. ॐ कामदुहे नमः
२९७ . ॐ गुरवे नमः ।
२९८ . ॐ काव्याय नमः ।
२९९ . ॐ शनैश्चराय नमः ।
३०० . ॐ राहवे नमः ।
३०१ . ॐ केतव नमः ।
३०२ . ॐ मरुते नमः ।
३०३ . ॐ होत्रे नमः ।
३०४ . ॐ दात्रे नमः ।
३०५ . ॐ हर्त्रे नमः ।
३०६ . ॐ समीरजाय नमः ।
३०७ . ॐ मशकीकृतदेवारये नमः ।
३०८ . ॐ दैत्यारये नमः ।
३०९ . ॐ मधुसूदनाय नमः ।
३१० . ॐ कामाय नमः ।
३११ . ॐ कपये नमः ।
३१२ . ॐ कामपालाय नमः ।
३१३ . ॐ कपिलाय नमः ।
३१४ . ॐ विश्वजीवनाय नमः ।
३१५ . ॐ भागीरथीपदाम्भोजाय नमः ।
३१६ . ॐ सेतुबन्धविशारदाय नमः ।
३१७ . ॐ स्वाहायै नमः ।
३१८ . ॐ स्वधायै नमः ।
३१९ . ॐ हविषे नमः ।
३२० . ॐ कव्याय नमः ।


३२१ . ॐ हव्यवाहप्रकाशकाय नमः ।
३२२ . ॐ स्वप्रकाशाय नमः ।
३२३ . ॐ महावीराय नमः ।
३२४ . ॐ लघवे नमः ।
३२५ . ॐ ऊर्जितविक्रमाय नमः ।






३२६ . ॐ उड्डीनोड्डीनगतिमते नमः ।
३२७ . ॐ सन्दतये नमः ।
३२८ . ॐ पुरुषोत्तमाय नमः ।
३२९ . ॐ जगदात्मने नमः ।
३३० . ॐ जगद्योनये नमः ।
३३१ . ॐ जगदन्ताय नमः ।
३३२ . ॐ अनन्तकाय नमः ।
३३३ . ॐ विपाप्मने नमः ।
३३४ . ॐ निश्कलंकाय नमः ।
३३५ . ॐ महते नमः ।
३३६ . ॐ महदहंकृतये नमः ।
३३७ . ॐ खाय नमः ।
३३८ . ॐ वायवे नमः ।
३३९ . ॐ पृथिव्यै नमः ।
३४० . ॐ अद्भ्यो नमः ।

३४१ . ॐ वह्नये नमः ।
३४२ . ॐ दिक्पालाय नमः ।
३४३ . ॐ क्षेत्रज्ञाय नमः ।
३४४ . ॐ क्षेत्रहर्त्रे नमः ।
३४५ . ॐ पल्वलीकृतसागराय नमः ।
३४६ . ॐ हिरण्मयाय नमः ।
३४७ . ॐ पुराणाय नमः ।
३४८ . ॐ खेचराय नमः ।
३४९ . ॐ भूचराय नमः ।
३५० . ॐ अमराय नमः ।
३५१ . ॐ हिरण्यगर्भाय नमः ।
३५२ . ॐ सूत्रात्मने नमः ।
३५३ ॐ राजराजाय नमः ।
३५४ . ॐ विशांपतये नमः ।
३५५ . ॐ वेदान्तवेद्याय नमः ।
३५६ . ॐ उदीन्थाय नमः ।
३५७ . ॐ वेदवेदांगपारगाय नमः ।
३५८ . ॐ प्रतिग्रामस्थितये नमः ।
३५९ . ॐ सद्यः स्फ़ूर्तिदात्रे नमः ।
३६० . ॐ गुणाकराय नमः ।
३६१ . ॐ नक्षत्रमालिने नमः ।
३६२ . ॐ भूतात्मने नमः ।
३६३ . ॐ सुरभये नमः ।
३६४ . ॐ कल्पपादपाय नमः ।
३६५ . ॐ चिन्तामणये नमः ।
३६६ . ॐ गुणनिधये नमः ।
३६७ . ॐ प्रजाधाराय नमः ।
३६८ . ॐ अनुत्तमाय नमः ।
३६९ . ॐ पुण्यश्लोकाय नमः ।
३७० . ॐ पुरारातये नमः ।
३७१ . ॐ ज्योतिष्मते नमः ।
३७२ . ॐ शर्वरीपतये नमः ।
३७३ . ॐ किल् किलारावसंत्रस्तभूतप्रेतपिचाशाचकाय नमः ।
३७४ . ॐ ऋणत्रयहराय नमः ।
३७६ . ॐ स्थूलाय नमः ।
३७७ . ॐ स्थूलाय नमः ।
३७८ . ॐ पुंसे नमः ।
३७९ . ॐ अपस्मारहराय नमः ।
३८० . ॐ स्मर्त्रे नमः ।
३८१ . ॐ श्रुतये नमः ।
३८२ . ॐ गाथायै नमः ।
३८३ . ॐ स्मृतये नमः ।
३८४ . ॐ मनवे नमः ।
३८५ . ॐ स्वर्गद्वाराय नमः ।
३८६ . ॐ प्रजाद्वाराय नमः ।
३८७ . ॐ मोक्षद्वाराय नमः ।
३८८ . ॐ यतीश्वराय नमः ।
३८९ . ॐ नादरुपाय नमः ।
३९० . ॐ परस्मै ब्रह्मणे नमः ।
३९१ . ॐ ब्रह्मणे नमः ।
३९२ . ॐ ब्रह्मपुरातनाय नमः ।
३९३ . ॐ एकस्मै नमः ।
३९४ . ॐ अनेकस्मै नमः ।
३९५ . ॐ जनाय नमः ।
३९६ . ॐ शुक्लाय नमः ।
३९७ . ॐ स्वंयज्योतिषे नमः ।
३९८ . ॐ अनाकुलाय नमः ।
३९९ . ॐ ज्योतिर्ज्योतिषे नमः ।
४०० . ॐ अनादये नमः ।


४०१ . ॐ सात्त्विकाय नमः ।
४०२ . ॐ राजसाय नमः ।
४०३ . ॐ तमाय नमः ।
४०४ . ॐ तमोहर्त्रे नमः ।
४०५ . ॐ निरालम्बाय नमः ।
४०६ . ॐ निराकाराय नमः ।
४०७ . ॐ गुणाकराय नमः ।
४०८ . ॐ गुणाश्रयाय नमः ।
४०९ . ॐ गुणमयाय नमः ।
४१० . ॐ बृहत्कर्मणे नमः ।
४११ . ॐ बृहद्यशसे नमः ।
४१२ . ॐ बृहद्धनवे नमः ।
४१३ . ॐ बृहत्पादाय नमः ।
४१४ . ॐ बृहन्मूर्घ्ने नमः ।
४१५ . ॐ बृहत्स्वनाय नमः ।
४१६ . ॐ बृहत्कर्णाय नमः ।
४१७ . ॐ बृहन्नासाय नमः ।
४१८ . ॐ बृहद्बाहवे नमः ।
४१९ . ॐ बृहत्तनवे नमः ।
४२० . ॐ बृहज्जानवे नमः ।

४२१ . ॐ बृहत्कार्याय नमः ।
४२२ . ॐ बृहत्पुच्छाय नमः ।
४२३ . ॐ बृहत्कराय नमः ।
४२४ . ॐ बृहन्दतये नमः ।
४२५ . ॐ बृहत्सेव्याय नमः ।



४२६ . ॐ बृहल्लोकफ़लप्रदाय नमः ।
४२७ . ॐ बृहच्छक्तये नमः ।
४२८ . ॐ बृहद्वान्छाफ़लदाय नमः ।
४२९ . ॐ बृहदीश्वराय नमः ।
४३० . ॐ बृहल्लोकनुताय नमः ।
४३१ . ॐ द्रष्ट्रे नमः ।
४३२ . ॐ विद्यादात्रे नमः ।
४३३ . ॐ जगद् गुरवे नमः ।
४३४ . ॐ देवाचार्याय नमः ।
४३५ . ॐ सत्यवादिने नमः ।
४३६ . ॐ ब्रह्मवादिने नमः ।
४३७ . ॐ कलाधराय नमः ।
४३८ . ॐ सप्तपातालगामिने नमः ।
४३९ . ॐ मलयाचलसंश्रयाय नमः ।
४४० . ॐ उत्तराशास्थिताय नमः ।

४४१ . ॐ श्रीदाय नमः ।
४४२ . ॐ दिव्यौषधिवशाय नमः ।
४४३ . ॐ खगाय नमः ।
४४४ . ॐ शाखामृगाय नमः ।
४४५ . ॐ कपीन्द्राय नमः ।
४४६ . ॐ पुराणश्रुतिचन्चुराय नमः ।
४४७ . ॐ चतुरब्राह्मणाय नमः ।
४४८ . ॐ योगिने नमः ।
४४९ . ॐ योगगम्याय नमः ।
४५० . ॐ परस्मै नमः ।
४५१ . ॐ अवरस्मै नमः ।
४५२ . ॐ अनादिनिधनाय नमः ।
४५३ . ॐ व्यासाय नमः ।
४५४ . ॐ वैकुण्ठाय नमः ।
४५५ . ॐ पृथिवीपतये नमः ।
४५६ . ॐ अपराजिताय नमः ।
४५७ . ॐ जितारातये नमः ।
४५८ . ॐ सदानन्दाय नमः ।
४५९ . ॐ दयायुताय नमः ।
४६० . ॐ गोपालाय नमः ।

४६१ . ॐ गोपतये नमः ।
४६२ . ॐ गोप्त्रे नमः ।
४६३ . ॐ कलिकालपराशराय नमः ।
४६४ . ॐ मनोवेगिने नमः ।
४६५ . ॐ सदायोगिने नमः ।
४६६ . ॐ संसारभयनाशनाय नमः ।
४६७ . ॐ तत्त्वदात्रे नमः ।
४६८ . ॐ तत्त्वज्ञाय नमः ।
४६९ . ॐ तत्त्वाय नमः ।
४७० . ॐ तत्त्वप्रकाशकाय नमः ।
४७१ . ॐ शुद्धाय नमः ।
४७२ . ॐ बुद्धाय नमः ।
४७३ . ॐ नित्यमुक्ताय नमः ।
४७४ . ॐ भक्तराजाय नमः ।
४७५ . ॐ जयद्रथाय नमः ।



४७६ . ॐ प्रलयाय नमः ।
४७७ . ॐ अमितमायाय नमः
४७८ . ॐ मायातीताय नमः ।
४७९ . ॐ विमत्सराय नमः ।
४८०. ॐ मायाभर्जितरक्षसे नमः ।
४८१ . ॐ मायानिर्मितविष्टपाय नमः ।
४८२ . ॐ मायाश्रयाय नमः ।
४८३ . ॐ निर्लेपाय नमः ।
४८४ . ॐ मायानिर्वर्तकाय नमः ।
४८५ . ॐ सुखाय नमः ।
४८६ . ॐ सुखिने नमः ।
४८७ . ॐ सुखप्रदाय नमः ।
४८८ . ॐ नागाय नमः ।
४८९ . ॐ महेशकृतसंस्तवाय नमः ।
४९० . ॐ महेश्वराय नमः ।
४९१ . ॐ सत्यसंधाय नमः ।
४९२ . ॐ शरभाय नमः ।
४९३ . ॐ कलिपावनाय नमः ।
४९४ . ॐ सहस्त्रकन्धरबलविध्वंसनविचक्षणाय नमः ।
४९५ . ॐ सहस्त्रबाहवे नमः ।
४९६ . ॐ सहजाय नमः ।
४९७ . ॐ द्विबाहवे नमः ।
४९८ . ॐ द्विभुजाय नमः ।
४९९ . ॐ अमराय नमः ।
५०० . ॐ चतुर्भुजाय नमः ।

५०१ . ॐ दशभुजाय नमः ।
५०२ . ॐ हयग्रीवाय नमः ।
५०३ . ॐ खगाननाय नमः ।
५०४ ॐ कपिवक्त्राय नमः ।
५०५. ॐ कपिपतये नमः ।
५०६ . ॐ नरसिंहाय नमः ।
५०७ . ॐ महाद्युतये नमः ।
५०८ . ॐ भीषणाय नमः ।
५०९ . ॐ भावगाय नमः ।
५१० . ॐ वन्द्याय नमः ।
५११ . ॐ वराहाय नमः ।
५१२ . ॐ वायुरुपधृषे नमः ।
५१३ . ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नमः ।
५१४ . ॐ पराजितदशाननाय नमः ।
५१५ . ॐ पारिजातनिवासिने नमः ।
५१६ . ॐ वटवे नमः ।
५१७ . ॐ वचनकोविदाय नमः ।
५१८ . ॐ सुरसास्यविनिर्मुक्ताय नमः ।
५१९ . ॐ सिंहिकाप्राणहारकाय नमः ।
५२० . ॐ लंकालंकारविध्वंसिने नमः ।

५२१ . ॐ वृषदंशकरुपधृषे नमः ।
५२२ . ॐ रात्रिसंचारकुशलाय नमः ।
५२३ . ॐ रात्रिचरगृहाग्निदाय नमः ।
५२४ . ॐ किंकरान्तकराय नमः ।
५२५ . ॐ जम्बुमालिहन्त्रे नमः ।
५२६ . ॐ उग्रारुपधृषे नमः ।
५२७ . ॐ आकाशचारिणे नमः ।
५२८ . ॐ हरिगाय नमः ।
५२९ . ॐ मेघनादरणोत्सुकाय नमः ।
५३० . ॐ मेघगम्भीरनिनदाय नमः ।
५३१ . ॐ महारावणकुलान्तकाय नमः ।
५३२ . ॐ कालनेमिप्राणहारिणे नमः ।
५३३ . ॐ मकरीशापमोक्षदाय नमः ।
५३४ . ॐ रसाय नमः ।
५३५ . ॐ रसज्ञाय नमः ।
५३६ . ॐ सम्मानाय नमः ।
५३७ . ॐ रुपाय नमः ।
५३८ . ॐ चक्षुषे नमः ।
५३९ . ॐ श्रुतये नमः ।
५४० . ॐ वचसे नमः ।

५४१ . ॐ घ्राणाय नमः ।
५४२ . ॐ गन्धाय नमः ।
५४३ . ॐ स्पर्शनाय नमः ।
५४४ . ॐ स्पर्शाय नमः ।
५४५ . ॐ अहंकारमानगाय नमः ।
५४६ . ॐ नेतिनेतीतिगम्याय नमः ।
५४७ . ॐ वैकुण्ठभजनप्रियाय नमः ।
५४८ . ॐ गिरीशाय नमः ।
५४९ . ॐ गिरिजाकान्ताय नमः ।
५५० . ॐ दुर्वाससे नमः ।


५५१ . ॐ कवये नमः ।
५५२ . ॐ अंगिरसे नमः ।
५५३ . ॐ भृगवे नमः ।
५५४ . ॐ वसिष्ठाय नमः।
५५५ . ॐ च्यवनाय नमः ।
५५६ . ॐ नारदाय नमः ।
५५७ . तुम्बराय नमः ।
५५८ . ॐ अमलाय नमः ।
५५९ . ॐ विश्वक्षेत्राय नमः ।
५६० . ॐ विश्वबीजाय नमः ।

५६१ . ॐ विश्वनेत्राय नमः ।
५६२ . ॐ विश्वपाय नमः ।
५६३ . ॐ याजकाय नमः ।
५६४ . ॐ यजमानाय नमः ।
५६५ . ॐ पावकाय नमः ।
५६६. ॐ पितृभ्यो नमः ।
५६७ . ॐ श्रद्धायै नमः ।
५६८ . ॐ बुद्धयै नमः ।
५६९ . ॐ क्षमायै नमः ।
५७० . ॐ तन्द्रायै नमः ।
५७१ . ॐ मन्त्राय नमः ।
५७२ . ॐ मन्त्रयित्रे नमः ।
५७३ . ॐ स्वराय नमः ।
५७४ . ॐ राजेन्द्राय नमः ।
५७५ . ॐ भूपतये नमः ।



५७६ . ॐ रुण्डमालिने नमः ।
५७७ . ॐ संसारसारथये नमः ।
५७८ . ॐ नित्यसम्पूर्णकामाय नमः ।
५७९ . ॐ भक्तकामदुहे नमः ।
५८० . ॐ उत्तमाय नमः ।

५८१ . ॐ गणपाय नमः ।
५८२ . ॐ केशवाय नमः ।
५८३ . ॐ भ्रात्रे नमः ।
५८४ . ॐ पित्रे नमः ।
५८५ . ॐ मात्रे नमः ।
५८६ . ॐ मारुतये नमः ।
५८७ . ॐ सहस्त्रमूर्घ्ने नमः
५८८ . ॐ अनेकास्याय नमः ।
५८९ . ॐ सहस्त्राक्षाय नमः ।
५९० . ॐ सहस्त्रपादे नमः ।
५९१ . ॐ कामजिते नमः ।
५९२ . ॐ कामदहनाय नमः ।
५९३ . ॐ कामाय नमः ।
५९४ . ॐ कामफ़लप्रदाय नमः ।
५९५ . ॐ मुद्रापहारिणे नमः ।
५९६ . ॐ रक्षोघ्नाय नमः ।
५७९ . ॐ क्षितिभारहराय नमः ।
५९२ . ॐ कामदहनाय नमः ।
५९३ . ॐ कामाय नमः ।
५९४ . ॐ कामफ़लप्रदाय नमः ।
५९५ . ॐ मुद्रापहारिणे नमः ।
५९६ . ॐ रक्षोघ्नाय नमः ।
५९७ . ॐ क्षितिभारहराय नमः ।
५९८ . ॐ बलाय नमः ।
५९९ . ॐ नखदंष्ट्रायुधाय नमः ।
६०० . ॐ विष्णवे नमः ।

601 . ॐ भक्ताभयवरप्रदाय नमः ।
६०२ . ॐ दर्पन्घे नमः ।
६०३ . ॐ दर्पदाय नमः ।
६०४ . ॐ दंष्ट्राशतमूर्तये नमः ।
६०५ . ॐ अमूर्तिमते नमः ।
६०६ . ॐ महानिधये नमः ।
६०७ . ॐ महाभागाय नमः ।
६०८ . ॐ महाभर्गाय नमः ।
६०९ . ॐ महार्द्धिदाय नमः ।
६१० . ॐ महाकाराय नमः ।
६११ . ॐ महायोगिने नमः ।
६१२ . ॐ महातेजसे नमः ।
६१३ . ॐ महाद्युतये नमः ।
६१४ . ॐ महासनाय नमः ।
६१५ . ॐ महानादाय नमः ।
६१६ . ॐ महामन्त्राय नमः ।
६१७ . ॐ महामतये नमः ।
६१८ . ॐ महागमाय नमः ।
६१९ . ॐ महोदाराय नमः
६२० . ॐ महादेवात्मकाय नमः ।

६२१ . ॐ विभवे नमः ।
६२२ . ॐ रौद्रकर्मणे नमः ।
६२३ . ॐ क्रूरकर्मणे नमः ।
६२४ . ॐ रत्नाभाय नमः ।
६२५ . ॐ कृतागमाय नमः ।




६२६ . ॐ अम्भोधिलंघनाय नमः ।
६२७ . ॐ सिंहाय नमः ।
६२८ . ॐ सत्यधर्मप्रमोदनाय नमः ।
६२९ . ॐ जितामित्राय नमः ।
६३० . ॐ जयाय नमः ।
६३१ . ॐ सोमाय नमः ।
६३२ . ॐ विजयाय नमः ।
६३३ . ॐ वायुनन्दनाय नमः ।
६३४ . ॐ जीवदात्रे नमः ।
६३५ . ॐ सहस्त्रांशवे नमः ।
६३६ . ॐ मुकुन्दाय नमः ।
६३७ . ॐ भूरिदक्षिणाय नमः ।
६३८ . ॐ सिद्धार्थाय नमः ।
६३९ . ॐ सिद्धिदाय नमः ।
६४० . ॐ सिद्धसंकल्पाय नमः ।

६४१ . ॐ सिद्धिहेतुकाय नमः ।
६४२ . ॐ सप्तपातालचरणाय नमः ।
६४३ . ॐ सप्तर्षिगणवन्दिताय नमः ।
६४४ . ॐ सप्ताब्धिलंघनाय नमः ।
६४५ . ॐ वीराय नमः ।
६४६ . ॐ सप्तद्वीपोरुमण्डलाय नमः ।
६४७ . ॐ सप्तांगराज्यसुखदाय नमः ।
६४८ . ॐ सप्तमातृनिषेविताय नमः ।
६४९ . ॐ सप्तस्वर्लोकमुकुटाय नमः ।
६५० . ॐ सप्तहोत्रे नमः ।



६५१ . ॐ स्वाराश्रयाय नमः ।
६५२ . ॐ सप्तच्छन्दोनिधये नमः ।
६५३ .ॐ सप्तच्छन्दसे नमः ।
६५४ . ॐ सप्तजनाश्रयाय नमः ।
६५५ . ॐ सप्तसामोपगीताय नमः ।
६५६ . ॐ सप्तपातालसंश्रयाय नमः ।
६५७ . ॐ मेधादाय नमः ।
६५८ . ॐ कीर्तिदाय नमः ।
६५९ . ॐ शोकहारिणे नमः ।
६६० . ॐ दौर्भाग्यनाशनाय नमः ।

६६१ . ॐ सर्वरक्षाकराय नमः ।
६६२ . ॐ गर्भदोषघ्ने नमः ।
६६३ . ॐ पुत्रपौत्रदाय नमः ।
६६४ . ॐ प्रतिवादिमुखस्तम्भाय नमः ।
६६५ . ॐ रुष्टचित्तप्रसादनाय नमः ।
६६६ . ॐ पराभिचारशमनाय नमः ।
६६७ . ॐ दुःखन्घे नमः ।
६६८ . ॐ बन्धमोक्षदाय नमः ।
६६९ . ॐ नवद्वारपुराधाराय नमः ।
६७० . ॐ नवद्वारनिकेतनाय नमः ।
६७१ . ॐ नरनारायणस्तुत्याय नमः ।
६७२. ॐ नवनाथमहेश्वराय नमः ।
६७३ . ॐ मेखलिने नमः ।
६७४ . ॐ कवचिने नमः ।
६७५ . ॐ खड् गिने नमः ।



६७६ . ॐ भ्राजिष्णवे नमः ।
६७७ . ॐ जिष्णुसारथये नमः ।
६७८ . ॐ बहुयोजनविस्तीर्णपुच्छाय नमः ।
६७९ . ॐ पुच्छहतासुराय नमः ।
६८० . ॐ दुष्टग्रहनिहन्त्रे नमः ।

६८१ . ॐ पिशाचग्रहघातकाय नमः ।
६८२ . ॐ बालग्रहविनाशिने नमः ।
६८३ . ॐ धर्मनेत्रे नमः ।
६८४ . ॐ कृपाकराय नमः ।
६८५ . ॐ उग्रकृत्याय नमः ।
६८६ . ॐ उग्रवेगाय नमः ।
६८७ . ॐ उग्रनेत्राय नमः ।
६८८ . ॐ शतक्रतवे नमः ।
६८९ . ॐ शतमन्युनुताय नमः ।
६९० . ॐ स्तुत्याय नमः ।
६९१ . ॐ स्तुतये नमः ।
६९२ . ॐ स्तोत्रे नमः ।
६९३ . ॐ महाबलाय नमः ।
६९४ . ॐ समग्रगुणशालिने नमः ।
६९५ . ॐ व्यग्राय नमः ।
६९६ . ॐ रक्षोविनाशकाय नमः ।
६९७ . ॐ रक्षोऽग्निदाहाय नमः ।
६९८ . ॐ ब्रह्मेशाय नमः ।
६९९ . ॐ श्रीधराय नमः ।
७०० . ॐ भक्तवत्सलाय नमः ।



७०१ . ॐ मेघनादाय नमः ।
७०२ . ॐ मेघरुपाय नमः ।
७०३ . ॐ मेघवृष्टिनिवारकाय नमः ।
७०४ . ॐ मेघजीवनहेतवे नमः ।
७०५ . ॐ मेघश्यामाय नमः ।
७०६ . ॐ परात्मकाय नमः ।
७०७ . ॐ समीरतनयाय नमः ।
७०८ . ॐ योद्ध्रे नमः ।
७०९ . ॐ नृत्यविद्याविशारदाय नमः ।
७१० . ॐ अमोघाय नमः ।
७११ . ॐ अमोघदृष्टये नमः ।
७१२ . ॐ इष्टदाय नमः ।
७१३ . ॐ अरिष्टनाशनाय नमः ।
७१४ . ॐ अर्थाय नमः ।
७१५ . ॐ अनर्थापहारिणे नमः ।
७१६ . ॐ समर्थाय नमः ।
७१७ . ॐ रामसेवकाय नमः ।
७१८ . ॐ अर्थिवन्द्याय नमः ।
७१९ . ॐ असुरारातये नमः ।
७२०. ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः ।

७२१ . ॐ आत्मभुवे नमः ।
७२२ . ॐ संकर्षणाय नमः ।
७२३ . ॐ विशुद्धात्मने नमः ।
७२४ . ॐ विद्याराशये नमः ।
७२५ . ॐ सुरेश्वराय नमः ।




७२६ . ॐ अचलोद्धारकाय नमः ।
७२७ . ॐ नित्याय नमः ।
७२८ . ॐ सेतुकृते नमः ।
७२९ . ॐ रामसारथये नमः ।
७३० . ॐ आनन्दाय नमः ।
७३१. ॐ परमानन्दाय नमः ।
७३२ . ॐ मत्स्याय नमः ।
७३३ . ॐ कूर्माय नमः ।
७३४ . ॐ निराश्रयाय नमः ।
७३५ . ॐ वाराहाय नमः ।
७३६ . ॐ नारसिंहाय नमः ।
७३७ . ॐ वामनाय नमः ।
७३८ . ॐ जगदग्निजाय नमः ।
७३९ . ॐ रामाय नमः ।
७४० . ॐ कृष्णाय नमः ।

७४१ . ॐ शिवाय नमः ।
७४२ . ॐ बुद्धाय नमः ।
७४३ . ॐ कल्किने नमः ।
७४४ . ॐ रामाश्रयाय नमः ।
७४५ . ॐ हरये नमः ।
७४६ . ॐ नन्दिने नमः ।
७४७ . ॐ भृंगिणे नमः ।
७४८ . ॐ चण्डिने नमः ।
७४९ . ॐ गणेशाय नमः ।
७५० . ॐ गणसेविताय नमः ।



७५१ . ॐ कर्माध्यक्षाय नमः ।
७५२ . ॐ सुराध्यक्षाय नमः ।
७५३ . ॐ विश्रामाय नमः ।
७५४ . ॐ जगतीपतये नमः ।
७५५ . ॐ जगन्नाथाय नमः ।
७५६ . ॐ कपीशाय नमः ।
७५७ . ॐ सर्वावासाय नमः ।
७५८ . ॐ सदाश्रयाय नमः ।
७५९ . ॐ सुग्रीवादिस्तुताय नमः ।
७६० . ॐ दान्ताय नमः ।

७६१ . ॐ सर्वकर्मणे नमः ।
७६२ . ॐ प्लवंगमाय नमः ।
७६३ . ॐ नखदारितरक्षसे नमः ।
७६४ . ॐ नखयुद्धविशारदाय नमः ।
७६५ . ॐ कुशलाय नमः ।
७६६ . ॐ सुधनाय नमः ।
७६७ . ॐ शेषाय नमः ।
७६८ . ॐ वासुकये नमः ।
७६९ . ॐ तक्षकाय नमः ।
७७० . ॐ स्वर्णवर्णाय नमः ।
७७१ . ॐ बलाढयाय नमः ।
७७२ . ॐ पुरुजेत्रे नमः ।
७७३ . ॐ अघनाशनाय नमः ।
७७४ . ॐ कैवल्यरुपाय नमः ।
७७५ . ॐ कैवल्याय नमः ।



७७६ . ॐ गरुडाय नमः ।
७७७ . ॐ पन्नगोरगाय नमः ।
७७८ . ॐ किल् किल् रावहतारातये नमः ।
७७९ . ॐ गर्वपर्वतभेदनाय नमः ।
७८० . ॐ वज्रांगाय नमः ।

७८१ . ॐ वज्रदंष्ट्राय नमः ।
७८२ . ॐ भक्तवज्रनिवारकाय नमः ।
७८३ . ॐ नखायुधाय नमः ।
७८४ . ॐ मणिग्रीवाय नमः ।
७८५ . ॐ ज्वालामालिने नमः ।
७८६ . ॐ भास्कराय नमः ।
७८७ . ॐ प्रौढप्रतापाय नमः ।
७८८ . ॐ तपनाय नमः ।
७८९ . ॐ भक्ततापनिवारकाय नमः ।
७९० . ॐ शरणाय नमः ।
७९१ . ॐ जीवनाय नमः ।
७९२ . ॐ भोक्त्रे नमः ।
७९३ . ॐ नानाचेष्टाय नमः ।
७९४ . ॐ अचन्चलाय नमः ।
७९५ . ॐ स्वस्तिमते नमः ।
७९६ . ॐ स्वास्तिदाय नमः ।
७९७ . ॐ दुःखशातनाय नमः ।
७९८ . ॐ पवनात्मजाय नमः ।
७९९ . ॐ पावनाय नमः ।
८०० . ॐ पवनाय नमः ।



८०१ . ॐ कान्ताय नमः ।
८०२ . ॐ भक्तागःसहनाय नमः ।
८०३ . ॐ बलिने नमः ।
८०४ . ॐ मेघनादरिपवे नमः ।
८०५ . ॐ मेघनादसंहतराक्षसाय नमः ।
८०६ . ॐ क्षराय नमः ।
८०७ . ॐ अक्षराय नमः ।
८०८ . ॐ विनीतात्मने नमः ।
८०९ . ॐ वानरेशाय नमः ।
८१० . ॐ संता गतये नमः ।
८११ . ॐ श्रीकण्ठाय नमः ।
८१२ . ॐ शितिकण्ठाय नमः ।
८१३ . ॐ सहायाय नमः ।
८१४ . ॐ सहनायकाय नमः ।
८१५ . ॐ अस्थूलाय नमः ।
८१६ . ॐ अनणवे नमः ।
८१७ . ॐ भर्गाय नमः ।
८१८ . ॐ दिव्याय नमः ।
८१९ . ॐ संसृतिनाशनाय नमः ।
८२० . ॐ अध्यात्मविद्यासाराय नमः ।

८२१ . ॐ अध्यात्मकुशलाय नमः ।
८२२ . ॐ सुधिये नमः ।
८२३ . ॐ अकल्मषाय नमः ।
८२४ . ॐ सत्यहेतवे नमः ।
८२५ . ॐ सत्यदाय नमः ।




८२६ . ॐ सत्यगोचराय नमः ।
८२७ . ॐ सत्यगर्भाय नमः ।
८२८ . ॐ सत्यरुपाय नमः ।
८२९ . ॐ सत्याय नमः ।
८३० . ॐ सत्यपराक्रमाय नमः ।
८३१ . ॐ अन्जनाप्राणलिंगाय नमः ।
८३२ . ॐ वायुवंशोद्भवाय नमः ।
८३३ . ॐ शुभाय नमः ।
८३४ . ॐ भद्ररुपाय नमः ।
८३५ . ॐ रुद्ररुपाय नमः ।
८३६ . ॐ सुरुपाय नमः ।
८३७ . ॐ चित्ररुपधृषे नमः ।
८३८ . ॐ मैनाकवन्दिताय नमः ।
८३९ . ॐ सूक्ष्मदर्शनाय नमः ।
८४० . ॐ विजयाय नमः ।

८४१ . ॐ जयाय नमः ।
८४२ . ॐ क्रान्तदिड्.मण्डलाय नमः ।
८४३ . ॐ रुद्राय नमः ।
८४४ . ॐ प्रकटीकृतविक्रमाय नमः ।
८४५ . ॐ कम्बुकण्ठाय नमः ।
८४६ . ॐ प्रसन्नात्मने नमः ।
८४७ . ॐ हृस्वनासाय नमः ।
८४८ . ॐ वृकोदराय नमः ।
८४९ . ॐ लम्बौष्ठाय नमः ।
८५० . ॐ कुण्डलिने नमः ।




८५१ . ॐ चित्रमालिने नमः ।
८५२ . ॐ योगविदां वराय नमः ।
८५३ . ॐ विपश्चिते नमः ।
८५४ . ॐ कवये नमः ।
८५५ . ॐ आनन्दविग्रहाय नमः ।
८५६ . ॐ अनल्पशासनाय नमः ।
८५७ . ॐ फ़ाल्गुनीसूनवे नमः ।
८५८ . ॐ अव्यग्राय नमः ।
८५९ . ॐ योगात्मने नमः ।
८६० . ॐ योगतत्पराय नमः ।

८६१ . ॐ योगविदे नमः ।
८६२ . ॐ योगकर्त्रे नमः ।
८६३ . ॐ योगयोनये नमः ।
८६४ . ॐ दिगम्बराय नमः ।
८६५ . ॐ अकारादिहकारान्तवर्णनिर्मितविग्रहाय नमः ।
८६६ . ॐ उलूखलमुखाय नमः ।
८६७ . ॐ सिद्धसंस्तुताय नमः ।
८६८ . ॐ प्रमथेश्वराय नमः ।
८६९ . ॐ श्लिष्टजंघाय नमः ।
८७० . ॐ श्लिष्टजानवे नमः ।
८७१ . ॐ श्लिष्टपाणये नमः ।
८७२ . ॐ शिखाधराय नमः ।
८७३ . ॐ सुशर्मणे नमः ।
८७४ . ॐ अमितशर्मणे नमः ।
८७५ . ॐ नारायणपरायणाय नमः ।



८७६ . ॐ जिष्णवे नमः ।
८७७ . ॐ भविष्णवे नमः ।
८७८ . ॐ रोचिष्णवे नमः ।
८७९ . ॐ ग्रसिष्णवे नमः ।
८८० . ॐ स्थाणवे नमः ।

८८१ . ॐ हरिरुद्रानुसेकाय नमः ।
८८२ . ॐ कम्पनाय नमः ।
८८३ . ॐ भूमिकम्पनाय नमः ।
८८४ . ॐ गुणप्रवाहाय नमः ।
८८५ . ॐ सूत्रात्मने नमः ।
८८६ . ॐ वीतरागस्तुतिप्रियाय नमः ।
८८७ . ॐ नागकन्याभयध्वंसिने नमः ।
८८८ . ॐ रुक्मवर्णाय नमः ।
८८९ . ॐ कपालभृते नमः ।
८९० . ॐ अनाकुलाय नमः ।
८९१ . ॐ भवोपायाय नमः ।
८९२ . ॐ अनपायाय नमः ।
८९३ . ॐ वेदपारगाय नमः ।
८९४ . ॐ अक्षराय नमः ।
८९५ . ॐ पुरुषाय नमः ।
८९६ . ॐ लोकनाथाय नमः ।
८९७ . ॐ ऋक्षप्रभवे नमः ।
८९८ . ॐ दृढाय नमः ।
८९९ . ॐ अश्टागं योग फ़लभुजे नमः।
९०० . ॐ सत्यसंधाय नमः ।




९०१ . ॐ पुरुष्टुताय नमः ।
९०२ . ॐ श्मशानस्थाननिलयाय नमः।
९०३ . ॐ प्रेतविद्रावणक्षमाय नमः ।
९०४ . ॐ पन्चाक्षरपराय नमः ।
९०५ . ॐ पन्चमातृकाय नमः ।
९०६ . ॐ रन्जनध्वजाय नमः ।
९०७ . ॐ योगिनीवृन्दवन्द्यश्रियै नमः ।
९०८ . ॐ शत्रुन्घाय नमः ।
९०९ . ॐ अनन्तविक्रमाय नमः ।
९१० . ॐ ब्रह्मचारिणे नमः ।
९११ . ॐ इन्द्रियरिपवे नमः ।
९१२ . ॐ धृतदण्डाय नमः ।
९१३ . ॐ दशात्मकाय नमः ।
९१४ . ॐ अप्रपन्चाय नमः ।
९१५ . ॐ सदाचाराय नमः ।
९१६ . ॐ शूरसेनाविदारकाय नमः ।
९१७ . ॐ वृद्धाय नमः ।
९१८ . ॐ प्रमोदाय नमः ।
९१९ . ॐ आनन्दाय नमः ।
९२० . ॐ सप्तद्वीपपतिन्धराय नमः ।

९२१ . ॐ नवद्वारपुराधाय नमः ।
९२२ . ॐ प्रत्यग्राय नमः ।
९२३ . ॐ सामगायकाय नमः ।
९२४ . ॐ षट्चक्रधान्मे नमः ।
९२५ . ॐ स्वर्लोकाभयकृते नमः ।



९२६ . ॐ मानदाय नमः ।
९२७ . ॐ मदाय नमः ।
९२८ . ॐ सर्ववश्यकराय नमः ।
९२९ . ॐ शक्तये नमः ।
९३० . ॐ अनन्ताय नमः ।
९३१ . ॐ अनन्तमंगलाय ।
९३२ . ॐ अष्टमूर्तये नमः ।
९३३ . ॐ नयोपेताय नमः
९३४ . ॐ विरुपाय नमः ।
९३५ . ॐ सुरसुन्दराय नमः ।
९३६ . ॐ धूमकेतव नमः ।
९३७ . ॐ महाकेतवे नमः ।
९३८ . ॐ सत्यकेतवे नमः ।
९३९ . ॐ महारथाय नमः ।
९४० . ॐ नन्दिप्रियाय नमः ।

९४१ . ॐ स्वतन्त्राय नमः ।
९४२ . ॐ मेखलिने नमः ।
९४३ . ॐ डमरुप्रियाय नमः ।
९४४ . ॐ लौहांगाय नमः ।
९४५ . ॐ सर्वविदे नमः ।
९४६ . ॐ धन्विने नमः ।
९४७ . ॐ खण्डलाय नमः ।
९४८ . ॐ शर्वाय नमः ।
९४९ . ॐ ईश्वराय नमः ।
९५० . ॐ फ़लभुजे नमः ।


९५१ . ॐ फ़लहस्ताय नमः ।
९५२ . ॐ सर्वकर्मफ़लप्रदाय नमः ।
९५३ . ॐ धर्माध्यक्षाय नमः ।
९५४ . ॐ धर्मपालाय नमः ।
९५५ . ॐ धर्माय नमः ।
९५६ . ॐ धर्मप्रदाय नमः ।
९५७ . ॐ अर्थदाय नमः ।
९५८ . ॐ पन्चविंशतितत्त्वज्ञाय नमः ।
९५९ . ॐ तारकाय नमः ।
९६० . ॐ ब्रह्मतत्पराय नमः ।

९६१ . ॐ त्रिमार्गवसतये नमः ।
९६२ . ॐ भीमाय नमः ।
९६३ . ॐ सर्वदुःखनिबर्हणाय नमः ।
९६४ . ॐ ऊर्जस्वते नमः ।
९६५ . ॐ निष्कलाय नमः ।
९६६ . ॐ शूलिने नमः ।
९६७ . ॐ मौलिने नमः ।
९६८ . ॐ गर्जन्निशाचराय नमः ।
९६९ . ॐ रक्ताम्बरधराय नमः ।
९७० . ॐ रक्ताय नमः ।
९७१ . ॐ रक्तमाल्याय नमः ।
९७२ . ॐ विभूषणाय नमः ।
९७३ . ॐ वनमालिने नमः ।
९७४ . ॐ शुभांगाय नमः ।
९७५ . ॐ श्वेताय नमः ।
९७६ . ॐ श्वेताम्बराय नमः ।
९७७ . ॐ यूने नमः ।
९७८ . ॐ जयाय नमः ।
९७९ . ॐ अजयपरीवाराय नमः ।
९८० . ॐ सहस्त्रवदनाय नमः ।
९८१ . ॐ कपये नमः ।
९८२ . ॐ शाकिनीडाकिनीयक्षरक्षोभूतप्रभन्जकाय नमः ।
९८३ . ॐ सद्योजाताय नमः ।
९८४ . ॐ कामगतये नमः ।
९८५ . ॐ ज्ञानमूर्तये नमः ।
९८६ . ॐ यशस्कराय नमः ।
९८७ . ॐ शम्भुतेजसे नमः ।
९८८ . ॐ सार्वभौमाय नमः ।
९८९ . ॐ विष्णुभक्ताय नमः ।
९९० . ॐ प्लवंगमाय नमः ।
९९१ . ॐ चतुर्नवतिमन्त्रज्ञाय नमः ।
९९२ . ॐ पौलस्त्यबलदर्पघ्ने नमः ।
९९३ . ॐ सर्वलक्ष्मीप्रदाय नमः ।
९९४ . ॐ श्रीमते नमः ।
९९५ . ॐ अंगदप्रियाय नमः ।
९९६ . ॐ ईडिताय नमः ।
९९७ . ॐ स्मृतिबीजाय नमः ।
९९८ . ॐ सुरेशानाय नमः ।
९९९ . ॐ संसारभयनाशनाय नमः ।
१००० . ॐ उत्तमाय नमः ।

।। इति मन्त्रमहार्णवे श्रीहनुमत्सहस्त्रनामावलिः सम्पूर्णा ||

 April 12, 2014 

भगवान श्री राम स्तुति

Rama Stuti

पारिवारिक सुख-शांती के लिये राम स्तुति का पाठ करे।

श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं |

नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर-कंज पद कंजारुणं ||

पट पीत मानहु तड़ित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरं ||

भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्यवंश-निकन्दनं |

रघुनंद आनँदकंद कोशलचंद दशरथ-नन्दनं ||

सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग विभूषणं |

आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित-खरदूषणं ||

इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनं |

मम ह्रदय-कंज निवास कुरु, कामादि खल-दल-गंजनं ||

मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुन्दर साँवरो |

करुना निधान सुजान सीलू सनेहु जानत रावरो ||

एहि भाँति गौरी असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली |

तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली |

जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि |

मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे ||
  Rama Stuti

 April 12, 2014 

हनुमान स्तवन

Hanuman Stavan

प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यानघन।
जासु ह्रदय आगार बसहिं राम सर चाप धर॥१॥

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं।
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्॥२॥

सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं।
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥३॥

गोष्पदीकृतवारीशं मशकीकृतराक्षसम्।
रामायणमहामालारत्नं वन्देऽनिलात्मजम्॥४॥

अञ्जनानन्दनं वीरं जानकीशोकनाशनम्।
कपीशमक्षहन्तारं वन्दे लङ्काभयङ्करम्॥५॥

महाव्याकरणाम्भोधिमन्थमानसमन्दरम्।
कवयन्तं रामकीर्त्या हनुमन्तमुपास्महे॥६॥

उल्लङ्घ्य सिन्धोः सलिलं सलीलं यः शोकवह्निं जनकात्मजायाः।
आदाय तेनैव ददाह लङ्कां नमामि तं प्राञ्जलिराञ्जनेयम्॥७॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥८॥

आञ्जनेयमतिपाटलाननं काञ्चनाद्रिकमनीयविग्रहम्।
पारिजाततरुमूलवासिनं भावयामि पवमाननन्दनम्॥९॥

यत्र-यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र-तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम्।
बाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम्॥१०॥

 April 12, 2014 

॥ श्रीरामरक्षास्तोत्रम्‌ ॥

Ram Raksha Strot

हर मंगलवार, रामनवमी और हनुमान जयंती के अवसर पर इस राम रक्षा स्त्रोत का पाठ अवश्य करे।

श्रीगणेशायनम: ।
अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य ।
बुधकौशिक ऋषि: ।
श्रीसीतारामचंद्रोदेवता ।
अनुष्टुप्‌ छन्द: । सीता शक्ति: ।
श्रीमद्‌हनुमान्‌ कीलकम्‌ ।
श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ॥

॥ अथ ध्यानम्‌ ॥

ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्दद्पद्‌मासनस्थं ।
पीतं वासोवसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्‌ ॥
वामाङ्‌कारूढसीता मुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं ।
नानालङ्‌कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचंद्रम्‌ ॥

॥ इति ध्यानम्‌ ॥

चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्‌ ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्‌ ॥१॥

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्‌ ।
जानकीलक्ष्मणॊपेतं जटामुकुटमण्डितम्‌ ॥२॥

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम्‌ ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्‌ ॥३॥

रामरक्षां पठॆत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम्‌ ।
शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज: ॥४॥

कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ॥५॥

जिव्हां विद्दानिधि: पातु कण्ठं भरतवंदित: ।
स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक: ॥६॥

करौ सीतपति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित्‌ ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ॥७॥

सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु: ।
ऊरू रघुत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत्‌ ॥८॥

जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्‌घे दशमुखान्तक: ।
पादौ बिभीषणश्रीद: पातु रामोSखिलं वपु: ॥९॥

एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठॆत्‌ ।
स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्‌ ॥१०॥

पातालभूतलव्योम चारिणश्छद्‌मचारिण: ।
न द्र्ष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: ॥११॥

रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन्‌ ।
नरो न लिप्यते पापै भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥१२॥

जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम्‌ ।
य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्द्दय: ॥१३॥

वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत्‌ ।
अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमंगलम्‌ ॥१४॥

आदिष्टवान्‌ यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर: ।
तथा लिखितवान्‌ प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक: ॥१५॥

आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम्‌ ।
अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान्‌ स न: प्रभु: ॥१६॥

तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥१७॥

फलमूलशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥१८॥

शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्‌ ।
रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघुत्तमौ ॥१९॥

आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशा वक्षया शुगनिषङ्‌ग सङि‌गनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणा वग्रत: पथि सदैव गच्छताम्‌ ॥२०॥

संनद्ध: कवची खड्‌गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन्‌मनोरथोSस्माकं राम: पातु सलक्ष्मण: ॥२१॥

रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघुत्तम: ॥२२॥

वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम: ।
जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेय पराक्रम: ॥२३॥

इत्येतानि जपेन्नित्यं मद्‌भक्त: श्रद्धयान्वित: ।
अश्वमेधायुतं पुण्यं संप्राप्नोति न संशय: ॥२४॥

रामं दूर्वादलश्यामं पद्‌माक्षं पीतवाससम्‌ ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नर: ॥२५॥

रामं लक्शमण पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरम्‌ ।
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्‌
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम्‌ ।
वन्दे लोकभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम्‌ ॥२६॥

रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम: ॥२७॥

श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम ।
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम ।
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥२८॥

श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥२९॥

माता रामो मत्पिता रामचंन्द्र: ।
स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्र: ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥३०॥

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम्‌ ॥३१॥

लोकाभिरामं रनरङ्‌गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्‌ ।
कारुण्यरूपं करुणाकरंतं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये ॥३२॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्‌ ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥३३॥

कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम्‌ ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम्‌ ॥३४॥

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम्‌ ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्‌ ॥३५॥

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसंपदाम्‌ ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम्‌ ॥३६॥

रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे ।
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम: ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोSस्म्यहम्‌ ।
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥३७॥

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥३८॥

इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम्‌ ॥

॥ श्री सीतारामचंद्रार्पणमस्तु ॥