SHRIYANTRA SADHANA SHIVIR

शिवानंद दास जी के मार्गदर्शन मे

श्रीयंत्र साधना शिविर

SHRIYANTRA SADHANA SHIVIR

(Sat+ Sun) 23-24 Dec. 2023 at Vajreshwari near Mumbai.


मुंबई के निकट वज्रेश्वरी मे माता श्रीयंत्र साधना शिविर का आयोजन होने जा रहा है ये उच्चकोटि की साधना होती है. इसमे माता के ३ स्वरूप बाला सुंदरी, षोडशी व त्रिपुर सुंदरी समाहित होते है. ये महाविद्या होने की वजह से इनकी शक्ती अत्यंत तीव्र होती है. ये सुख समृद्धि की देवी मानी जाती है. ये आर्थिक समस्या से परेsAन व्यक्ति की चारो दिशाओ से मदत करती है. दुकान धंधा ब्यापार मे होने वाले नुकसान से बचाती है. इस माता की कृपा से मनुष्य अपने जीवन मे उन्नति करता है. आपका नौकरी ब्यापार दुकान धंधा सुरक्षित हो जाता है. माता की कृपा से कार्य मे प्रगति होनी शुरु हो जाती है. साथ ही हर तरह का आर्थिक विवाद क्लेष नष्ट होकर पारिवार मे सुख शांती आनी शुरु हो जाती है.


इस साधना भाग लेने के दो तरीके है एक तो शिविर मे आकर साधना में भाग ले सकते है दूसरा आप ऑनलाइन भी भाग ले सकते हैं अगर आप भाग लेना चाहते हैं तो नीचे डिस्क्रिप्शन में लिंक दिया है वहां पर फॉर्म भरकर आप इस शिविर मे शामिल हो सकते हैं


SHRIYANTRA SADHANA SHIVIR- BOOKING


Call for booking-91 7710812329/ 91 9702222903



Special offer November 30, 2023! Sale for new buyers discount 15%!
  • TIME: 11AM TO 8PM
  • DIVYAYOGA ASHRAM
  • gurudiksha@gmail.com
  • 91 7710812329
  • 91 8652439844

Satyanarayan Arti

SATYANARAYAN ARTI IN HINDI

जय लक्ष्मी रमणा, श्री लक्ष्मी रमणा।
सत्यनारायण स्वामी जन-पातक-हरणा।। जय..

रत्नजटित सिंहासन अद्भुत छबि राजै।
नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजै।। जय..

प्रकट भये कलि कारण, द्विज को दरस दियो।
बूढ़े ब्राह्मण बनकर कंचन-महल कियो।।जय.।।

दुर्बल भील कठारो, जिनपर कृपा करी।
चन्द्रचूड़ एक राजा, जिनकी बिपति हरी।। जय..

वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्हीं।
सो फल भोग्यो प्रभुजी फिर अस्तुति कीन्हीं।। जय..

भाव-भक्ति के कारण छिन-छिन रूप धरयो।
श्रद्धा धारण कीनी, तिनको काज सरयो।। जय..

ग्वाल-बाल सँग राजा वन में भक्ति करी।
मनवांछित फल दीन्हों दीनदयालु हरी।। जय..

चढ़त प्रसाद सवायो कदलीफल, मेवा।
धूप-दीप-तुलसी से राजी सत्यदेवा।। जय..

श्री सत्यनारायण जी की आरती जो कोई नर गावै।
तन-मन-सुख-सम्पत्ति मन-वांछित फल पावै।। जय..

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