SARVA PITRI AMAVASYA PUJAN

शिवानंद दास जी के मार्गदर्शन मे


पित्रव श्रपित दोष निवारण पूजन शिविर


SARVA PITRI & SHRAPIT DOSH NIVARAN PUJAN SHIVIR ON PITRA PAKSHA AMAVASYA


14 OCT. 2023 at Vajreshwari near Mumbai.



वर्ष मे एकबार आने वाली सर्व पित्री अमावस्या के मुहुर्थ पर मुंबई के निकट वज्रेश्वरी में विशेष पूजन शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिन लोगो की कुंडली मे पित्र दोष, हो यानी अश्लेशा, मघा, रेवती, ज्येष्ठा, मूल तथा अश्विनी नक्षत्र हो उन्हे इस पित्र पूजन मे तो अवश्य भाग लेना चाहिये. इसके अलावा सगाई शादी व्याह मे अडचन, धन का नुकसान, बच्चो की समस्या, नजर तंत्र बाधा से परेशान हो तो इस पूजन मे भाग लेना अनिवार्य माना हया है. इसमे पित्र पूजा के साथ श्रापित दोष निवारण पूजा भी करवाई जाती है, जिससे आपके पूर्वजो के द्वारा जाने अंजाने किये गये बुरे कार्य व पाप कर्म नष्ट हो जाते है. इस पूजन से आर्थिक रुकावटे, संतान की अडचन, विवाह मे अडचन, नजर तंत्र बाधा का असर खत्म होने लगता है.


इस पूजन मे भाग लेने के दो तरीके है एक तो शिविर मे आकर साधना में भाग ले सकते है दूसरा आप ऑनलाइन भी भाग ले सकते हैं अगर आप भाग लेना चाहते हैं तो नीचे लिंक दिया है वहां पर फॉर्म भरकर आप इस शिविर मे शामिल हो सकते हैं


SARVA PITRI AMAVASYA PUJAN SHIVIR- BOOKING

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Call for booking-91 7710812329/ 91 9702222903



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91 8652439844

Ganesh Dwadashnam Stotra


श्री गणेश द्वादश नाम स्तोत्रं

Lord (bhagawan) Ganesha is a remover of obstacles. Ganesha is a God of Intellect and knowledge . He's the God of beginnings and is honoured at the begin of rituals and ceremonies. This dwadash Naam stotram of Lord (bhagawan) Ganesh removes troubles and obstacles before doing any fortunate ceremony.

शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत्सर्वविघ्नोपशान्तयेः ॥ 1 ॥

अभीप्सितार्थ सिध्यर्थं पूजितो यः सुरासुरैः ।
सर्वविघ्नहरस्तस्मै गणाधिपतये नमः ॥ 2 ॥

गणानामधिपश्चण्डो गजवक्त्रस्त्रिलोचनः ।
प्रसन्नो भव मे नित्यं वरदातर्विनायक ॥ 3 ॥

सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः ।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः ॥ 4 ॥

धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो फालचन्द्रो गजाननः ।
द्वादशैतानि नामानि गणेशस्य तु यः पठेत् ॥ 5 ॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी विपुलं धनम् ।
इष्टकामं तु कामार्थी धर्मार्थी मोक्षमक्षयम् ॥ 6 ॥

विध्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा ।
सङ्ग्रामे सङ्कटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते ॥ 7 ॥

॥ इति मुद्गलपुराणोक्तं श्रीगणेशद्वादशनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥