Bagalamukhi Sadhana Shivir

शिवानंद दास जी के मार्गदर्शन मे


बगलामुखी साधना शिविर


Bagalamukhi Sadhana Shivir


27-28 APRIL 2024 at Vajreshwari near mumbai.


मुंबई के निकट वज्रेश्वरी मे महाविद्या बगलामुखी साधना शिविर का आयोजन होने जा रहा है. इस साधना के द्वारा छुपे शत्रु, नजर, तंत्र बाधा के साथ नौकरी ब्यापार की रुकावट मे लाभ मिलता है. इसमे हरिद्रा गणेश व मृत्युंजय भैरव के साथ माता बगलामुखी की साधना १२५००० मंत्र के साथ साधना संपन्न काराई जाती है. ये साधना हर तरह की खुशियां प्रदान करती है. परिवार मे सुख समृद्धि लाती है.


इसमें भाग लेने के दो तरीके है एक तो शिविर मे आकर साधना में भाग ले सकते है दूसरा आप ऑनलाइन भी भाग ले सकते हैं अगर आप भाग लेना चाहते

हैं तो नीचे डिस्क्रिप्शन में लिंक दिया है वहां पर फॉर्म भरकर आप इस शिविर मे शामिल हो सकते है


BAGALAMUKHI SADHANA SHIVIR- BOOKING


Call for booking-91 7710812329/ 91 9702222903

27-28 APRIL 2024- BAGALAMUKHI SADHANA SHIVIR AT VAJRESHWARI

  • TIME: 11AM TO 8PM
  • DIVYAYOGA ASHRAM
  • divyayoga.shop@yahoo.com
  • 91 7710812329
  • 91 9029995588

Mangalwar Arti

Mangalwar ki Arti

मंगल मूरति जय जय हनुमन्ता,

मंगल मंगल देव अनन्ता



हाथ वज्र और ध्वजा विराजे,

कांधे मूंज जनेउ साजे

शंकर सुवन केसरी नन्दन,

तेज प्रताप महा जग वन्दन॥



लाल लंगोट लाल दोउ नयना,

पर्वत सम फारत है सेना

काल अकाल जुद्ध किलकारी,

देश उजारत क्रुद्ध अपारी॥



राम दूत अतुलित बलधामा,

अंजनि पुत्र पवन सुत नामा

महावीर विक्रम बजरंगी,

कुमति निवार सुमति के संगी॥



भूमि पुत्र कंचन बरसावे,

राजपाट पुर देश दिवाव

शत्रुन काट-काट महिं डारे,

बन्धन व्याधि विपत्ति निवारें॥



आपन तेज सम्हारो आपे,

तीनो लोक हांक ते कांपै

सब सुख लहैं तुम्हारी शरणा,

तुम रक्षक काहू को डरना॥



तुम्हरे भजन सकल संसारा,

दया करो सुख दृष्टि अपारा

रामदण्ड कालहु को दण्डा,

तुमरे परस होत सब खण्डा॥



पवन पुत्र धरती के पूता,

दो मिल काज करो अवधूता

हर प्राणी शरणागत आये,

चरण कमल में शीश नवाये॥



रोग शोक बहुत विपत्ति घिराने,

दरिद्र दुःख बन्धन प्रकटाने

तुम तज और न मेटन हारा,

दोउ तुम हो महावीर अपारा॥



दारिद्र दहन ऋण त्रासा,

करो रोग दुःस्वप्न विनाशा

शत्रुन करो चरन के चेरे,

तुम स्वामी हम सेवक तेरे॥



विपत्ति हरन मंगल देवा

अंगीकार करो यह सेवा

मुदित भक्त विनती यह मोरी,

देउ महाधन लाख करोरी॥



श्री मंगल जी की आरती हनुमत सहिता

सु गाईहोइ मनोरथ सिद्ध जब अन्त विष्णुपुर जाई