Swarna deha apsara sadhana
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स्वर्ण देह अप्सरा साधना
बडे से बडे योगी, ॠषि-मुनि भी स्वर्ण देह अप्सरा को सिद्ध करने की इच्छा रखते है, साधना क्षेत्र मे रहकर उनका मन बहुत ही कठोर हो जाता है. साधना क्षेत्र की शांती मे इनका मन शांत हो जाता है कि मन कभी - कभी घबराने लगता है. वह मुस्कुराना भूल जाता है. इसीलिये ये स्वर्ण देह अप्सरा की साधना करना चाहते है. जिससे कि उनके जीवन मे आनंद की प्राप्ती हो सके. इस साधना को हर मनुष्य सम्पन्न करना चाहता है. यह साधना जीवन को आनंद से गुजारने की सीख देती है. इस साधना को पुरुष प्रेमिका के रूप मे तथा महिलाये सहेली के रूप मे सिद्ध कर सकती है.
यह स्वर्ण देह अप्सरा कठोर से कठोर योगी या सामान्य पुरुष की मानसिकता को ही बदल देती है. और जबर्दस्त प्रेम व आनंद की पुर्ति करती है.
स्वर्ण देह अप्सरा साधना से लाभ
- यह अपने साधक को राह दिखाती है
- इस साधना से उम्र का प्रभाव शरीर पर कम होता है.
- शरीर की ढीली त्वचा कसने लगती है
- चेहरे पर चमक बढने लगती है.
- आकर्षण शक्ति बढने लगती है.
- ये दुख-दर्द बाटने की क्षमता रखती है.
- ये पूर्ण पौरुष प्रदान करती है.
- स्त्रियो मे सौंदर्य को बढा देती है
स्वर्ण देह अप्सरा साधना सामग्री
- स्वर्ण देह अप्सरा यंत्र
- स्वर्ण देह अप्सरा पारद गुटिका
- स्वर्ण देह अप्सरा माला
- स्वर्ण देह अप्सरा श्रंगार
- सिद्ध मौली (रक्षासूत्र)
- जनेउ
- सिद्ध चिरमी दाना
- सिद्ध आसन
- स्वर्ण देह अप्सरा मंत्र
- स्वर्ण देह अप्सरा साधना विधि
स्वर्ण देह अप्सरा साधना नियम
- इस साधना को कोई भी स्त्री-पुरुष सम्पन्न कर सकता है
- 20 से 70 वर्ष के आयु तक के बीच स्त्री-पुरुष साधना कर सकते है
- साधना के दौरान ब्रम्हचर्य का पालन करे
- मिर्च-मसाले- खटाई, मांस, ब्यसन, धूम्रपान तथा मद्यपान का सेवन न करे
- अपने भोजन मे दूध- सब्जी तथा फल की मात्रा बढा दे.
- रोज अभ्यास समाप्त होने के बात अश्विनी या वज्रोली मुद्रा का उपयोग अवश्य करे
(देखे अश्विनी या वज्रोली मुद्रा कैसे करते है)
स्वर्ण देह अप्सरा साधना मुहुर्थ
- दिनः शुक्रवार, पुर्णिमा, कृष्ण पक्ष त्रयोदशी
- साधना समयः रात 8 बजे के बाद
- साधना अवधिः 21 दिन
- मंत्र जपः रोज 21 माला
- दिशाः पश्चिम
- साधना स्थानः पूजा घर या कोई भी शांत कमरा
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