Varjya saptami vrat katha
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वर्ज्य सप्तमी
शुक्ल पक्ष के पुरुषवाची नक्षत्र मे आदित्यवार मे आने वाली सप्तमी को वर्ज्य सप्तमी कहते है। इस व्रत मे सुर्य भगवान का पुजन करते है। घृतयुक्त तिल और जौका हवन कर भगवान सुर्य का ध्यान रख भूमिपर शयन करते है। इस व्रत को मनोभव से करने पर मन कि इच्छा पुरि होती है। यह व्रत सभी सदस्य को फलदायी है। इस व्रत से मनोकामना पुरी होती है। फल की प्राप्ती होती है।
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