Nirajan dvadashi vrat katha paath
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नीराजन द्वादशी
कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वादशी को यह व्रत किया जाता है। जब भगवान विष्णु शयन से उठते हैं, उस रात्रि के आरम्भ में इसका सम्पादन होता है। विष्णु प्रतिमा एवं अन्य देवों, यथा—सूर्य, गौरी, शिव, अपने माता-पिता, गायों, अश्वों, गजों के समक्ष दीप की आरती करते हैं। राजा को अपने प्रासाद में राजकीय वस्तुओं के प्रतीकों की पूजा करनी चाहिए। एक साध्वी नारी अथवा किसी सुन्दर वेश्या को राजा के सिर पर तीन बार दीप घुमाना चाहिए। यह एक महती शान्ति है जो रोगों को भगाती है और अतुल सम्पत्ति लाती है। इसे सर्वप्रथम राजा अजपाल ने आरम्भ किया और इसे प्रतिवर्ष करना चाहिए।
इस व्रत से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते है। इस व्रत को करने से मन को शान्ती मिलती है। रोगों से मुक्ती मिलती है। सुख प्राप्ती होती है।
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Katha-Path Days | 1 day Nirajan dvadashi vrat katha paath |
Tithi Muhurth | Krishna Paksha Dvadashi, Shukl Paksha Dvadashi |