Lakshmi Yakshini sadhana Shivir

शिवानंद दास जी के मार्गदर्शन मे

धनदा लक्ष्मी यक्षिणी साधना शिविर

DHANADA LAKSHMI YAKSHINI SADHANA SHIVIR


(Sat+Sun) 27-28 May. 2023 at Vajreshwari near Mumbai.


मुंबई के निकट वज्रेश्वरी मे धनदा लक्ष्मी यक्षिणी साधना शिविर तांत्रोक्त विधि से संपन्न होने जा रहा है. धनदा लक्ष्मी यक्षिणी मे माता के तीन स्वरूप सरस्वती काली महालक्ष्मी समाहित होती है. इनकी साधना से ज्ञान, सुरक्षा के साथ आर्थिक उन्नति भी होती है. ये साधना हर तरह की आर्थिक समस्या का समाधान देता है. इनकी कृपा से मनुष्य अपने जीवन मे परिवार के साथ शत प्रतिशत तरक्की करता है शत्रु दूर रहना पसंद करते है. सीखने की क्षमता बढती है. . हर तरह की रोग, जलन, नकारात्मक उर्जा, विघ्न संतोषियो से आपकी रक्षा होती है. इनकी कृपा से नौकरी- ब्यापार मे आने वाली बाधाये नष्ट होनी शुरु हो जाती है. नौकरी ब्यापार दुकान धंधे मे तरक्की के साथ विवाद क्लेष नष्ट होकर पारिवारिक शांती मिलनी शुरु हो जाती है.


इसमें भाग लेने के दो तरीके है एक तो शिविर मे आकर साधना में भाग ले सकते है दूसरा आप ऑनलाइन भी भाग ले सकते हैं अगर आप भाग लेना चाहते हैं तो नीचे डिस्क्रिप्शन में लिंक दिया है वहां पर फॉर्म भरकर बुकिंग कर सकते है 8652439844 / 9702222903.


LAKSHMI YAKSHINI SADHANA SHIVIR- BOOKING


Call for booking-91 7710812329/ 91 9702222903



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भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है...
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शिवचतुर्दशी व्रत

भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की त्रियोदशी (अमान्त गणना के अनुसार) पर एकभक्त शिवचतुर्दशीव्रत किया जाता है।शिव प्रार्थना; चतुर्दशी को उपवास; श्वेत कमलों, गंध आदि से पाद से लेकर सिर तक शंकर एवं उमा की पूजा करनी चाहिए।यही कार्तिक की चतुर्दशी तथा अन्य चतुर्दशियों पर किया जाना चाहिए।मार्गशीर्ष से लेकर आगे के सभी 12 मासों में विभिन्न नामों से शंकर को प्रणाम करना चाहिए।प्रत्येक मास में 12 पदार्थों में से (जैसे– गोमूत्र, गोबर, दूध, दही आदि) किसी एक का पान करना चाहिए।विभिन्न पुष्पों का प्रयोग, यथा–मन्दार, मालती आदि का प्रयोग करना चाहिए।एक या 12 वर्षों तक कार्तिक में; वर्ष के अन्त में एक नील वृष का उत्सर्ग करना चाहिए।किसी विद्वान एवं सुचरित्रवान ब्राह्मण को घट के साथ में पलंग का दान करना चाहिए।एक सहस्र अश्वमेधों का फल, महापातक भी कट जाते हैं।

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