Anant chaturdashi vrat katha paath
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अनंत चतुर्दशी
राशियों के अनुसार कैसे करें पूजन भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनन्त चतुर्दशी कहा जाता है। धन,यश व बल की कामना को लेकर मनाया जाने वाला अनंत चतुर्दशी का पर्व भगवान अनन्त को सादर समर्पित है जो भगवान विष्णु का स्वरुप माने जाते हैं और अनन्त भगवान की पूजा करके संकटों से रक्षा करने वाला अनन्त सूत्र बांधा जाता है। इस व्रत में अलोना (नमक रहित) व्रत रखा जाता है। इसमें उदयव्यापिनी तिथी ली जाती है, पूर्णिमा का समायोग होने से इसका फल और बढ़ जाता है। यदि माध्यह्यान तक चतुर्दशी रहे तो और भी अच्छा है। भगवान की साक्षात या कुशा से बनाई हुई सात कणों वाली शेष स्वरुप अनन्त की मूर्ति स्थापित करें। कहा जाता है कि जब पाण्डव जुए में अपना सारा राज-पाट हार कर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनन्त चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया तथा अनन्त सूत्र धारण किया। अनन्त चतुर्दशी-व्रत के प्रभाव से पाण्डव सब संकटों से मुक्त हो गए।
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