Jyeshtha purnima/ Vat purnima pujan
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ज्येष्ठ पुर्णिमा पूजन
वट सावित्री/ वट पूर्णिमा
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर ही पवित्र गुफा में पूजा अर्चना से प्रारंभ होती है। ज्येष्ठ पूर्णिमा से आरंभ होकर श्रवण पूर्णिमा तक जारी रहनी चाहिए और इस परंपरा का ख्याल रखा जाना चाहिए। वट वृक्ष का पूजन और सावित्री-सत्यवान की कथा का स्मरण करने के विधान के कारण ही यह व्रत वट सावित्री के नाम से प्रसिद्ध हुआ। सावित्री भारतीय संस्कृति में ऐतिहासिक चरित्र माना जाता है।
दिव्ययोगशॉप के विशिष्ठ पंडित विधि-विधान से ज्येष्ठ पुर्णिमा पूजन संपन्न करते है। इसमे पृथम गणेश पूजन के साथ वट वृक्ष की पूजा संपन्न की जाती है। तत्पश्चात ज्येष्ठ पुर्णिमा पूजन के बाद हवन संपन्न किया जाता है। इस पूजा से मनोकामना पुरि होती है। पत्नी अपनी पती के लम्बी उम्र के लिये लाभदायक है।
ज्येष्ठ पुर्णिमा पूजन सामग्रीः
चन्द्र स्त्रोत बुक
वैशाख पुर्णिमा गुटिका
पर (मोती) माला
३ गोमती चक्र
सिद्ध सावित्री फोटो
चन्द्र माला
तांत्रोक्त चन्द्र नारियल
ज्येष्ठ पुर्णिमा पूजन की संपूर्ण विधि
See puja/sadhana rules and regulation
See- about Diksha
See- Mantra jaap rules