Apara ekadashi pujan
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अपरा एकादशी पूजन
Apara ekadashi pujan/vrat date: Thursday 14th may 2015
महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था। राजा का छोटा भाई वज्रध्वज बड़े भाई से द्वेष रखता था। एक दिन अवसर पाकर इसने राजा की हत्या कर दी और जंगल में एक पीपल के नीचे गाड़ दिया। अकाल मृत्यु होने के कारण राजा की आत्मा प्रेत बनकर पीपल पर रहने लगी। मार्ग से गुजरने वाले हर व्यक्ति को आत्मा परेशान करती। एक दिन एक ऋषि इस रास्ते से गुजर रहे थे। इन्होंने प्रेत को देखा और अपने तपोबल से उसके प्रेत बनने का कारण जाना।
ऋषि ने पीपल के पेड़ से राजा की प्रेतात्मा को नीचे उतारा और परलोक विद्या का उपदेश दिया। राजा को प्रेत योनी से मुक्ति दिलाने के लिए ऋषि ने स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा और द्वादशी के दिन व्रत पूरा होने पर व्रत का पुण्य प्रेत को दे दिया। एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त करके राजा प्रेतयोनी से मुक्त हो गया और स्वर्ग चला गया।
दिव्ययोगशॉप के विशिष्ठ पंडित विधि-विधान से अपरा एकादशी पूजन संपन्न करते है। इसमे पृथम गणेश पूजन के साथ गौरी, शिव तथा कार्तिकेय की पूजा संपन्न की जाती है। तत्पश्चात अपरा एकादशी पूजन के बाद हवन संपन्न किया जाता है। इस पूजा से परिवार मे या घर मे अत्रुप्त आत्माओ को शांती मिलकर मुक्ति मिल जाती है। बुरी आत्माये अपने-आप उस घर से दूर हो जाती है।
अपरा एकादशी पूजन सामग्रीः
आरती बुक
अपरा गुटिका
३ गोमती चक्र
सिद्ध अपरा फोटो
अपरा माला
तांत्रोक्त अपरा नारियल
अपरा एकादशी पूजन की संपूर्ण विधि
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