Govatsa dwadashi pujan
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गोवत्स द्वादशी पूजन
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को गोवत्स द्वादशी कहते हैं। इसे बछवारस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं गाय व बछड़ों का पूजन करती हैं। इसे पुत्रवती स्त्रियां ही करती हैं।यदि किसी के यहां गाय व बछड़े न हों तो वह किसी दूसरे की गाय या बछड़े की पूजा करें। यदि गांव में भी न हों तो गीली मिट्टी से गाय, बछड़ा, बाघ तथा बाघिन की मूर्तियां बनाकर पाटे पर रखकर उनकी पूजा करें। उस पर दही, भीगा हुआ बाजरा, आटा, घी आदि चढ़ाएं। रोली से तिलक करें, चावल और दूध चढ़ाएं।
दिव्ययोगशॉप के विशिष्ठ पंडित विधि-विधान से गोवत्स द्वादशी पूजन संपन्न करते है। इसमे पृथम गणेश पूजन के साथ गौरी, शिव तथा कार्तिकेय की पूजा संपन्न की जाती है। तत्पश्चात गोवत्स द्वादशी पूजन के बाद हवन संपन्न किया जाता है। इस पूजा से मन प्रसन्न होता है। लडकीयो को अच्छा मनपसंत लडका मिलता है।
गोवत्स द्वादशी पूजन सामग्रीः
गोवत्स द्वादशी आरती बुक
गोवत्स द्वादशी गुटिका
३ गोमती चक्र
सिद्ध गोवत्स द्वादशी फोटो
गोवत्स द्वादशी माला
तांत्रोक्त गोवत्स द्वादशी नारियल
गोवत्स द्वादशी पूजन की संपूर्ण विधि
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