Dashavatar pujan
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दशवतार पूजन
हिन्दू धर्म में सर्वोच्च माने गये भगवान विष्णु के दस अवतारों का पुराणों में अत्यंन्त कलात्मक और कथात्मक चित्रण हुआ है। उनके दस अवतार नीचे हैं-
मत्स्य अवतार
वराह अवतार
कूर्म अवतार
नृसिंह अवतार
वामन अवतार
परशुराम अवतार
राम अवतार
कृष्ण अवतार
बुद्ध अवतार
कल्कि अवतार
'कल्कि अवतार' अभी होना शेष है। इनमें मुख्य गौण, पूर्ण और अंश रूपों के और भी अनेक भेद हैं। 'अवतार' का हेतु ईश्वर की इच्छा है। दुष्कृतों के विनाश और साधुओं के परित्राण के लिए अवतार होता है। 'शतपथ ब्राह्मण' में कहा गया है कि कच्छप का रूप धारण कर प्रजापति ने शिशु को जन्म दिया। 'तैत्तिरीय ब्राह्मण' के मतानुसार प्रजापति ने शूकर के रूप में महासागर के अन्तस्तल से पृथ्वी को ऊपर उठाया। किन्तु बहुमत में कच्छप एवं वराह दोनों रूप विष्णु के हैं। यहाँ हम प्रथम बार अवतारवाद का दर्शन पाते हैं, जो समय पाकर एक सर्वस्वीकृत सिद्धान्त बन गया। सम्भवत: कच्छप एवं वराह ही प्रारम्भिक देवरूप थे, जिनकी पूजा बहुमत द्वारा की जाती थी।विशेष रूप से मत्स्य, कच्छप, वराह एवं नृसिंह, ये चार अवतार भगवान विष्णु के प्रारम्भिक रूप के प्रतीक हैं। पाँचवें अवतार वामनरूप में विष्णु ने विश्व को तीन पगों में ही नाप लिया था। इसकी प्रशंसा ऋग्वेद एवं ब्राह्मणों में है, यद्यपि वामन नाम नहीं लिया गया है। भगवान विष्णु के आश्चर्य से भरे हुए कार्य स्वाभाविक रूप में नहीं, किन्तु अवतारों के रूप में ही हुए हैं। वे रूप धार्मिक विश्वास में महान विष्णु से पृथक नहीं समझे गये।
दिव्ययोगशॉप के विशिष्ठ पंडित विधि-विधान से दशवतार पूजन संपन्न करते है। इसमे पृथम गणेश पूजन के साथ गौरी, शिव तथा कार्तिकेय और विष्णु की पूजा संपन्न की जाती है तत्पश्चात दशवतार पूजन के बाद हवन संपन्न किया जाता है। इस पूजा से ग्रहस्थ जीवन मे सफलता, नौकरी व्यवसाय मे सफलता मिलती है।
दशवतार पूजन सामग्रीः
विष्णु आरती बुक
विष्णु गुटिका
३ गोमती चक्र
सिद्ध विष्णु फोटो
विष्णु माला
तांत्रोक्त विष्णु नारियल
दशवतार पूजन की संपूर्ण विधि
See puja/sadhana rules and regulation
See- about Diksha
See- Mantra jaap rules