Kalank chauth pujan
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कलंक चतुर्थी पूजन
कलंक चतुर्थी के दिन चन्द्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर चंद्रमा का दर्शन कलंक लेकर आता है। इस दिन चन्द्र दर्शन करने पर व्यक्ति को कलंकित होना पड़ सकता है। गणेश चतुर्थी को 'कलंकी चौथ' भी कहते हैं। इस चतुर्थी को चाँद देखना वर्जित है।
यदि भूल से भी चौथ का चंद्रमा दिख जाए तो 'श्रीमद् भागवत्' के 10वें स्कंध के 56-57 वें अध्याय में दी गयी 'स्यमंतक मणि की चोरी' की कथा का आदरपूर्वक सुननी चाहिए। भाद्रपद शुक्ल तृतिया और पंचमी के चन्द्रमा का दर्शन करना चाहिए। इससे चौथ को दर्शन हो गये तो उसका ज्यादा खतरा नहीं होगा।
मानव ही नहीं पूर्णावतार भगवान श्रीकृष्ण भी इस तिथि को चंद्र दर्शन करने के पश्चात मिथ्या कलंक से नहीं बच पाए थे।
दिव्ययोगशॉप के विशिष्ठ पंडित विधि-विधान से कलंक चतुर्थी पूजन संपन्न करते है। इसमे पृथम गणेश पूजन के साथ गौरी, शिव तथा कार्तिकेय की पूजा संपन्न की जाती है तत्पश्चात कलंक चतुर्थी पूजन के बाद हवन संपन्न किया जाता है। इस पूजा से ग्रहस्थ जीवन मे सफलता, नौकरी व्यवसाय मे सफलता मिलती है।
अनंत चतुर्थी पूजन सामग्रीः
गणेश आरती बुक
गणेश गुटिका
३ गोमती चक्र
सिद्ध गणेश फोटो
गणेश माला
तांत्रोक्त गणेश नारियल
कलंक चतुर्थी पूजन की संपूर्ण विधि
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