Anant chaturthi pujan
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अनंत चतुर्थी पूजन
भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन अनन्त भगवान की पूजा करके संकटों से रक्षा करने वाला अनन्तसूत्रबांधा जाता है। अनंतसूत्रबांध लेने के पश्चात किसी ब्राह्मण को नैवेद्य (भोग) में निवेदित पकवान देकर स्वयं सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें। पूजा के बाद व्रत-कथा को पढें या सुनें। कथा का सार-संक्षेप यह है- सत्ययुग में सुमन्तुनाम के एक मुनि थे। उनकी पुत्री शीला अपने नाम के अनुरूप अत्यंत सुशील थी। सुमन्तु मुनि ने उस कन्या का विवाह कौण्डिन्यमुनि से किया। कौण्डिन्यमुनि अपनी पत्नी शीला को लेकर जब ससुराल से घर वापस लौट रहे थे, तब रास्ते में नदी के किनारे कुछ स्त्रियां अनन्त भगवान की पूजा करते दिखाई पडीं। शीला ने अनन्त-व्रत का महात्म्य जानकर उन स्त्रियों के साथ अनंत भगवान का पूजन करके अनंतसूत्र बांध लिया। इसके फल स्वरूप थोडे ही दिनों में उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया।
दिव्ययोगशॉप के विशिष्ठ पंडित विधि-विधान से विनायकी चतुर्थी पूजन संपन्न करते है। इसमे पृथम गणेश पूजन के साथ गौरी, शिव तथा कार्तिकेय की पूजा संपन्न की जाती है तत्पश्चात अनंत चतुर्थी पूजन के बाद हवन संपन्न किया जाता है। इस पूजा से ग्रहस्थ जीवन मे सफलता, नौकरी व्यवसाय मे सफलता मिलती है।
अनंत चतुर्थी पूजन सामग्रीः
गणेश आरती बुक
गणेश गुटिका
३ गोमती चक्र
सिद्ध गणेश फोटो
गणेश माला
तांत्रोक्त गणेश नारियल
अनंत चतुर्थी पूजन की संपूर्ण विधि
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