Angaraki chaturthi pujan
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अंगारकी चतुर्थी पूजन
अंगारकीचतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार महाराष्ट्र में बडी़ धूमधाम से मनाया जाता हैं।
शिवपुराणमें भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को मंगलमूर्तिगणेश की अवतरण-तिथि बताया गया है जबकि गणेशपुराणके मत से यह गणेशावतार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था।
प्रत्येक शुक्ल पक्ष चतुर्थी को चन्द्रदर्शन के पश्चात् व्रती को आहार लेने का निर्देश है, इसके पूर्व नहीं। किंतु भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र-दर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है।
जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। ऐसा शास्त्रों का निर्देश है। यह अनुभूत भी है। इस गणेश चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन करने वाले व्यक्तियों को उक्त परिणाम अनुभूत हुए, इसमें संशय नहीं है।
दिव्ययोगशॉप के विशिष्ठ पंडित विधि-विधान से अक्षय तृतीया पूजन संपन्न करते है। इसमे पृथम गणेश पूजन के साथ गौरी, शिव तथा कार्तिकेय की पूजा संपन्न की जाती है तत्पश्चात लक्ष्मी-नारायण पूजन के बाद हवन संपन्न किया जाता है। इस पूजा से ग्रहस्थ जीवन मे सफलता, नौकरी व्यवसाय मे सफलता मिलती है।
अंगारकी चतुर्थी पूजन सामग्रीः
गणेश आरती बुक
गणेश गुटिका
३ गोमती चक्र
सिद्ध गणेश फोटो
गणेश माला
तांत्रोक्त गणेश नारियल
अंगारकी चतुर्थी पूजन की संपूर्ण विधि
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