Madan dvadashi vrat katha paath
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मदन द्वादशी
चैत्र शुक्ल द्वादशी पर यह व्रत किया जाता है। तिथिव्रत; ताम्र पात्र मं काम एवं रति का चित्र खींचना।पात्र में गुड़ एवं अन्य खाद्य पदार्थों तथा एक घट पर सोना; घट में चावल एवं फलों के साथ जल रखना; चित्र के समक्ष भोजन रखना; गीत एवं प्रेम संगीत; हरि की प्रतिमा को काम मानकर उसकी पूजा करना। दूसरे दिन घट का दान एवं ब्रह्म भोज कराना।कर्ता काम के रूप में भगवान जनार्दन जो सब के हृदय के आनन्द हैं, प्रसनन होवें' नामक मन्त्र के साथ दक्षिणा देकर स्वयं लवण हीन भोजन करता है।त्रयोदशी को उपवास रखा जाता है। विष्णु पूजा की जाती है।द्वादशी को केवल एक फल खाकर भूमि पर शयन करना चाहिए। यह व्रत एक वर्ष तक करना चाहिए। अन्त में गोदान एवं वस्त्र का दान दिया जाता है। तिल से होम करना चाहिए।कर्ता सभी पापों से मुक्त हो जाता है, पुत्र एवं धन पाता है और हरि से तादात्म्य स्थापित कर लेता है।
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Katha-Path Days | 1 day Madan dvadashi vrat katha paath |
Tithi Muhurth | Krishna Paksha Dvadashi, Shukl Paksha Dvadashi |