What is rules of lakshmi sadhana?
लक्ष्मी साधना में नक्षत्र का प्रभाव सबसे अधिक क्रियाशील रहता है। वस्तुतः यह रश्मि व्यवस्था है। आकाश में कब ,कौन सा ग्रह कहां स्थित है और उसकी रश्मियां कहां कितना और कैसा प्रभाव डाल रही हैं इसकी गणना करके ही साधना में नक्षत्रों की बात कही गई है।
हस्त,पूर्वा फाल्गुनी और पुनर्वसु में से कोई भी नक्षत्र लक्ष्मी साधना के लिए उत्तम है। रवि पुष्य नक्षत्र तथा गुरु पुष्य नक्षत्र तो सर्वश्रेष्ठ ही माना गया हैं…
यदि इस बार दीपावली में आप कोई विशेष साधना करना चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि माता लक्ष्मी सदैव आपके घर में स्थिर रूप से निवास करें तो पूजा करने से पहले इन सावधानियों को जरूर ध्यान में रख लें
1-वर्ष में दो नवरात्र की योजना की गई है । शक्ति के किसी भी रूप की उपासना के लिए यह समय श्रेष्ठ है,परंतु लक्ष्मी की साधना हमेशा शुक्ल पक्ष में होनी चाहिए। इसके प्रारंभ के लिए 2,3,4,6,7,8,9,10,13 तिथियां अनुकूल मानी गई हैं। विशेष साधना में दिन का भी ध्यान रखना आवश्यक है।
2-सोमवार,बुधवार ,गुरुवार और शुक्रवार लक्ष्मी साधना के लिए शुभ हैं । इनमें भी शुक्रवार सबसे अच्छा है।
3-किसी भी कार्य में नक्षत्र का प्रभाव सबसे अधिक क्रियाशील रहता है। वस्तुतः यह रश्मि व्यवस्था है। आकाश में कब ,कौन सा ग्रह कहां स्थित है और उसकी रश्मियां कहां कितना और कैसा प्रभाव डाल रही हैं इसकी गणना करके ही साधना में नक्षत्रों की बात कही गई है। हस्त,पूर्वा फाल्गुनी और पुनर्वसु में से कोई भी नक्षत्र लक्ष्मी साधना के लिए उत्तम है। पुष्य नक्षत्र तो सर्वश्रेष्ठ ही माना गया है।
4- उचित स्थान स्थान एकांत, सुंदर और पवित्र ही चुनें। घर का एकांत पारिवारिक लोगों के लिए ठीक रहता है। वैसे देवालय, सरिता तट,तुलसी उद्यान, वन , पर्वत,गुफा अथवा किसी तपोभूमि में साधना की जा सकती है।
5- साधना के क्षेत्र में आसन का बहुत महत्व है। लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए ऊनी आसन सबसे अच्छा माना गया है। जहां तक हो सके लाल रंग का ऊनी आसन बैठने के लिए प्रयोग करें।
6- मंत्र जप के लिए इस साधना में मूंगे की माला का विधान है । कमलगट्टे की माला भी उचित कही गई है। स्फटिक की माला का भी प्रयोग कर सकते हैं।
7- पूजन के समय लक्ष्मी को केसर और सफेद चंदन न लगाएं। यहां सिंदूर लगाना सही रहेगा।
8- लक्ष्मी पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ पुष्प कमल का माना गया है। यदि कमल उपलब्ध न हो तो केतकी, कदंब,मौलश्री, पीले फूल और दूर्वादल चढ़ाएं।
9-लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गूगल की आहुति दी जानी चाहिए । हवन सामग्री में दही, शक्कर और घी अवश्य मिलाएं। इसके अतिरिक्त कुछ और सावधानियां अपेक्षित हैं।
10 गंध, पुष्प अलंकार देव प्रतिमा के सामने रखें, धूप बत्ती प्रतिमा की बाईं ओर रखना चाहिए। दीपक और नैवेद्य प्रतिमा की दाईं ओर रखना उचित रहता है।
11- लक्ष्मी पूजा में जप के समय पश्चिम की ओर मुंह कर के बैठें परंतु हवन के समय आपका मुंह पूर्व की ओर होना चाहिए। नियम पूर्वक पूजा उपासना कीजिए और फिर लक्ष्मी की अपने ऊपर कृपा देखिए।