Malla dvadashi vrat katha paath
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मल्ल द्वादशी
मल्लद्वादशी मार्ग शुक्ल की द्वादशी को होता है। यह गोवर्धन पर्वत पर भाण्डीरवट के नीचे होता है। इस जगह यमुना के तटों पर श्री कृष्ण ने गोपों (जो पहलवान या मल्ल थे) एवं गोपियों के साथ लीला (रास लीला) की थी। मल्ल लोग पुष्पों, दूध, दही एवं खाद्य पदार्थों से पूजा करते हैं। प्रत्येक द्वादशी पर एक वर्ष तक यह किया जाता है। इसका मन्त्र यह है–'कृष्ण मुझसे प्रसन्न रहें', इसे अरण्यद्वादशी भी कहा जाता है, क्योंकि गोपी एवं मल्ल लोग अरण्य (वन) में एक दूसरे को खाद्य पदार्थ देते हैं। इस व्रत से स्वास्थ्य, शक्ति, धन एवं विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।
इस व्रत को नियमित करने से दुःख, क्रोध, तथा क्लेश दुर होता है। मल्ल व्रत पुरुष करे तो वे आरोग्य, बल , एश्वर्य और शाश्वत विष्णु लोक की प्राप्ती होती है।
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Katha-Path Days | 1 day Malla dvadashi vrat katha paath |
Tithi Muhurth | Krishna Paksha Dvadashi, Shukl Paksha Dvadashi |