Pitru moksha sadhna

जब आप सारे उपाय करने के बाद भी सफलता नही मिल पा रही हो,कोई न कोई घर मे बिमार रहता हो, घर का खर्च बढता ही जा...
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Pitru moksha sadhna

Overview

पितृ 'मोक्ष' साधना

जब आप सारे उपाय करने के बाद भी सफलता नही मिल पा रही हो,कोई न कोई घर मे बिमार रहता हो, घर का खर्च बढता ही जा रहा हो, शत्रुओ की संख्या बढती ही जा रही हो, ब्यापार मे नुकसान बढता ही जा रहा हो, बच्चे कहना नही मानते हो, आपके सगे-संबंधी भी आपके खिलाफ हो गये हो तो पित्र मोक्ष साधना अवश्य करे।

हमारी हिंदू वैदिक संस्कृति मे पितृ देवता का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। आज के आधुनिक पाश्चात्य विज्ञान के सामने भी आज कई प्रकार के प्रश्न आज विद्यमान है की मनुष्य की यात्रा मात्र जन्म से मरण तक ही नहीं है तो फिर उसके पहले या बाद में मनुष्य की क्या और किस प्रकार गति होती है । लेकिन हमारे प्राचीन ऋषि-्मुनियो ने इस सबंध में बहुत ही सूक्ष्म से सूक्ष्मतम शोध और खोज कर के कई प्रकार की अद्भुत जानकारी को सामने रखा था । इसमें से कई महत्वपूर्ण पक्ष में से एक पक्ष पितृ सबंधित भी है ।

पितृ का अर्थ अत्यधिक गूढ है लेकिन सामान्यजन को समजने के लिए इसका विवरण कुछ इस प्रकार से दिया जा सकता है कि मनुष्य शरीर तथा आत्म तत्व से निर्मित है । प्राण तत्व का भी पूर्ण योगदान है । जब शरीर स्थूल होता है और उसके साथ आत्मतत्व का संयोग होता है तो वह मनुष्य के रूप में होता है । लेकिन स्थूल शरीर का नाश होने पर आत्म तत्व बचता है इस तत्व को भी गतिशीलता के लिए सूक्ष्म लोक में भी एक शरीर की ज़रूरत पड़ती है, यह वासना शरीर होता है । यह प्रथम सूक्ष्म शरीर है । इस शरीर के कारण व्यक्ति की इच्छाये मृत्यु के पश्च्यात भी वसी ही रहती है जेसा मृत्यु से पहले होता है । इसी को ही हम आत्मा का नाम देते है । आत्म तत्व के साथ सूक्ष्म शरीर का संयोग वही आत्मा है ।

मानव के जो भी सबंधी होते है अर्थात जिसको हम परिवार का सदस्य कहते है उनकी मृत्यु पश्च्यात उनके आपसे सबंध विच्छेद नहीं होते क्यों की उन्हें वासना शरीर प्राप्त है जिसमे उनकी वासना
अर्थात बंधन वही होते है जो की मृत्यु से पहले। इसी लिए पीढ़ी या वंशज से उनकी अपेक्षाएं ठीक उसी प्रकार से होती है जिस प्रकार मृत्यु से पहले।

पित्र मोक्ष साधना को किसी भी सोमवार पर कर सकते है । इस पित्र मोक्ष साधना से साधक को निम्न लाभों की प्राप्ति होती है। साधक को सभी पितृ दोष की निवृति होती है तथा इससे सबंधित अगर कोई समस्या हे तो उसे राहत मिलती है ।

साधक को पितृ कृपा की प्राप्ति होती है अतः साधक के रुके हुवे काम पितृ कृपा से आगे बढते है, व्यापर तथा धन सबंधित कार्य क्षेत्र में भी उन्नति की प्राप्ति होती है ।

यह प्रयोग साधक सूर्यास्त में प्रारंभ करे ।

साधक को स्नान आदि से निवृत हो कर सफ़ेद वस्त्रों को धारण कर के सफ़ेद आसान पर बैठना चाहिए । साधक का मुख उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए ।

साधक अपने सामने सिद्ध पारद शिवलिंग को स्थापित करे तथा उसका सामान्य पूजन करे । पूजन के बाद साधक अपने समस्त पितृ को मान में वंदन करते हुवे उनके लिए एक घी का दीपक
लगाए, साधक फल का तथा खीर का भोग लगाये ।

इसके बाद साधक मंत्र जाप शुरू करे । साधक को मन्त्रजाप के लिए सिद्ध रुद्राक्ष माला का प्रयोग करना चाहिए ।

साधक सर्व प्रथम महामृत्युंजय मंत्र की एक माला मंत्र जाप करे ।

॥ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥


इसके बाद साधक निम्न मंत्र की 21 माला मंत्र जाप करे

पित्र मोक्ष साधना मन्त्रः-

॥ॐ जुं ह्रीं क्लीं पितृ मोक्षं क्लीं ह्रीं जुं नमः॥

21 माला के बाद साधक फिर से एक माला महामृत्युंजय मंत्र की करे । इसके बाद साधक भगवान मृत्युंजय से समस्त पितृ प्रेत की मोक्ष के लिए प्रार्थना करे । तथा समस्त पितृ को आशीर्वचन के लिए प्रार्थना करे । साधक इस प्रकार प्रयोग को पूर्ण करे । जो फल तथा खीर है उसे गाय को खिलाना चाहिए । अगर यह किसी भी प्रकार से संभव नहीं हो तो पितृ याद कर के उसे नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित कर दे । साथ ही साथ माला को भी विसर्जित कर दे । यह कार्य उसी दिन या दूसरे दिन हो जाना आवश्यक है । इस प्रकार यह पित्र मोक्ष साधना पूर्ण हो जाती है ॥

पित्र मोक्ष साधनाः- पित्र यन्त्र, पित्र मन्त्र सिद्ध रुद्राक्ष माला, सफेद पित्र आसन।

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Features

Who can perform/get sadhana/Puja/Diksha
Male above 18 years
Wear clothing
White
Puja-Sadhna Direction
North
Descriptions
Pitru moksha sadhana samagri:- pitra yantra, pitra mala, siddha white asaan, raksha sutra, pitru moksha sadhana methods.
Havan/Ahuti
10% havan
Mantra Chanting
21 mala mantra chanting
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Puja time muhurth
After 6pm
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