Sarva phal tyag chaturdashi vrat katha paath
Overview
सर्व फल त्याग चतुर्थी
भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है। मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की तृतीया, अष्टमी, द्वादशी या चतुर्दशी पर या अन्य मासों की इन्हीं तिथियों पर सर्वफलत्याग व्रत किया जाता है।ब्राह्मणों को पायस भोज कराना चाहिए। एक वर्ष तक 18 धान्यों में कोई एक धान्य, सभी फलों एवं कन्दों का त्याग, किन्तु ओषधि के रूप में इनका ग्रहण हो सकता है। रुद्र, उनके बैल एवं धर्मराज (यम) की स्वर्ण प्रतिमाओं का निर्माण करना चाहिए।स्वर्ण, रजत एवं ताम्र के 16 चित्र, प्रत्येक दल में बड़े-बड़े फल (यथा-बेल आदि), छोटे-छोटे फल (उदुम्बर, नारियल), कन्द (सुवर्णकन्द आदि) दान देना चाहिए। अन्नराशि पर दो जलपूर्ण कलश; एक पलंग; ये सभी पदार्थ एक गाय के साथ किसी गृहस्थ ब्राह्मण को दे दिये जाते हैं।'मुझे अक्षय फल प्राप्त हों' का कथन करना चाहिए।
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Features
Katha-Path Days | 1 day Sarva phal tyag chaturdashi vrat katha paath |
Tithi Muhurth | Krishna Paksha Chaturdashi, Shukl Paksha Chaturdashi |
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