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 May 1, 2017 

साधना सिद्धी के नियम जाने!

मंत्र साधना मे अथाह शक्ति है लेकिन इसके साथ ही कुछ नियम भी है, अगर इस नियम का पालन विधिवत करते है तो सफलता निश्चित मिलती है. अगर नियम का पालन नही किया जाय तो सफलता की जगह नुकसान होने की संभावना बनी रहती है. इसलिये गुरु के मार्ग-दर्शन और साधना के नियम का पालन कर आप सफलता प्राप्त कर सकते है. विधिवत की गई साधना से इष्‍ट देवता की कृपा बनी रहती है

आइये आज जानते है साधना के नियम जिसका पालन कर आप सफलता प्राप्त कर सकते है.

Know more about Sadhana rules

  • जिस देवी-देवता या जिस किसी भी ईष्ट की आप साधना करना चाहते हो, उनके प्रति पूरी आस्था होनी चाहिये.
  • साधना काल मे ब्रम्हचर्य रहना अनिवार्य है.
  • कामुक किताबे-फिल्मे नही देखना चाहिये.
  • साधना करने की आपकी प्रबल ईच्छा होनी चाहिये.
  • साधना करने के आपमे पूरी दिवानगी होनी चाहिये.
  • साधना का जो समय दिया गया है, उसी निश्चित समय पर ही साधना करनी चाहिये. ५-१० मिनट आगे-पीछे हो सकता है, लेकिन यह कोशिश करे कि साधना समय पर शुरु कर पाये.
  • साधना का स्थान बदले नही.
  • साधना काल मे मन बहुत ही विचलित हो जाता है, तथा कामवासना भी तेज हो जाती है इसलिये सतर्क रहे.
  • आपकी साधना मे विघ्न आये इसलिये कुछ आवाजे भी सुनाई देती है, जैसे कि कोई आपको बाहर बुला रहा हो, इसलिये मन पर नियंत्रण रखे व साधना को छोडे नही.
  • साधना का समय दोपहर या रात को हो तो भी स्नान कर साधना की शुरुवात करे, चाहे एकबार सुबह नहा चुके हो तो भी आप नहाकर साधना मे बैठे.
  • साधना काल मे अपना मोबाईल तथा दरवाजे की घंटी बंद रखे.
  • ब्यसन- धुम्रपान-मद्यपान से दूर रहना चाहिये.
  • साधना काल मे मिर्च-मसाले, खटाई, मांसाहार से दूर रहे.
  • अपनी वाणी पर नियंत्रण रखे.
  • साधना काल मे जमीन पर चटाई बिछाकर लेटे.
  • कुछ साधना मे न्यास भी किये जाते है, उसकी जानकारी अपने गुरु से अवश्य ले ले.
  • साधना करने के पहले गुरु से उस साधना की दिक्षा अवश्य ले ले.
  • साधना मे मंत्र जपने के पहले एक - एक माला गुरु मन्त्र और गणेश मन्त्र को अवश्य जपने चाहिये. फिर ध्यान करना चाहिये.
  • ध्यान मे जिस भी देवी-देवता या ईष्ट की साधना करने जा रहे है उनका ध्यान कर साधना मे सफलता का आशिर्वाद अवश्य मागना चाहिये.
  • साधना करते समय व साधना के बाद भी साधना की जानकारी लोगो मे गुप्त रखे.
  • एक समय मे एक ही साधना करनी चाहिये. साधना समाप्त होने पर गुरु से आज्ञा लेकर दूसरी साधना की शुरुवात कर सकते है.
  • साधना काल मे हुआ अनुभव सिर्फ आप अपने गुरु से या जहा से दिक्षा प्राप्त की है, उनसे कह सकते है.
  • साधना समाप्त होने पर दशांश हवन तथा अन्नदान अवश्य करना चाहिये. दशांश हवन का अर्थ यह है कि जितने भी मंत्र साधना काल मे जपे है उसका दसवॉ भाग हवन करना होता है.
  • जो मन्त्र आप जप रहे थे उसके आगे "स्वाहा" लगाकर आहुति देनी चाहिये या हवन करना चाहिये. जैसे अगर आप "ॐ महालक्ष्मेय नमः" का जाप कर रहे थे, तो हवन करते समय "ॐ महालक्ष्मेय नमः स्वाहा" बोलकर हवन करना होगा.
  • साधना मे बार-बार असफल हो रहे हो तो गुरु से उस साधना मन्त्र का उत्कीलन मन्त्र अवश्य लेना चाहिये,
  • सफलता प्राप्त करने के लिये साधना के पहले पुनश्चरण जाप भी कर लेना चाहिये. यानी साधना शुरु करने के १ या २ दिन पहले एक-एक घंटे उस मन्त्र का जाप कर लेना चाहिये.