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 August 18, 2015 

श्रीऋद्धि-सिद्धि के लिए श्री गणपति -साधना

17 October to 27th October 2015

अगर घर में आर्थिक स्थिति ठीक न हो तो मायूस होने की जरुरत नहीं स्वच्छ और निर्मल भाव से इस साधना को करे निश्चित ही आप को परिवर्तन नजर आयेगा इसमें विशेष विधि विधान की जरुरत नहीं

इस कलियुग में ‘चण्डी’ और ‘गणेश’ की साधना ही श्रेयस्कर मानी गयी है। मूल रूप से तो विघ्न-विनाशक गणेश और सर्व-शक्ति-रुपा माँ भगवती चण्डी के बिना कोई उपासना पूर्ण हो ही नहीं सकती। ‘भगवान् गणेश’ सभी साधनाओं के मूल हैं, तो ‘चण्डी’ साधना को प्रवहमान करने वाली मूल शक्ति है। यहाँ भगवान् श्रीं गणेश की साधना की एक सरल विधि प्रस्तुत है।

यह साधना ‘श्रीगणेश चतुर्थी’ से प्रारम्भ कर ‘चतुर्दशी’ तक (१० दिन) की जाती है। ‘साधना’ हेतु ऋद्धि-सिद्धि को गोद में बैठाए हुए भगवान् गणेश की मूर्ति या चित्र आवश्यक है।


पूजा विधिः पहले ‘भगवान् गणेश’ की मूर्ति या चित्र की पूजा करें। फिर अपने हाथ में एक नारियल और दुर्वा (घास) लें और उसकी भी पूजा करें। तब अपनी मनो-कामना या समस्या को स्मरण करते हुए नारियल को भगवान् गणेश के सामने रखें। इसके बाद, निम्न-लिखित स्तोत्र का १०८ बार ‘पाठ‘ करें। १० दिनों में स्तोत्र का कुल १०८० ‘पाठ‘ होना चाहिए। यथा-

स्वानन्देश गणेशान्, विघ्न-राज विनायक ! ऋद्धि-सिद्धि-पते नाथ, संकटान्मां विमोचय।।१

पूर्ण योग-मय स्वामिन्, संयोगातोग-शान्तिद। ज्येष्ठ-राज गणाधीश, संकटान्मां विमोचय।।२

वैनायकी महा-मायायते ढुंढि गजानन ! लम्बोदर भाल-चन्द्र, संकटान्मां विमोचय।।३
मयूरेश एक-दन्त, भूमि-सवानन्द-दायक। पञ्चमेश वरद-श्रेष्ठ, संकटान्मां विमोचय।।४
संकट-हर विघ्नेश, शमी-मन्दार-सेवित ! दूर्वापराध-शमन, संकटान्मां विमोचय।।५

१० वे दिन पाठ करने के बाद किसी गरीब को भोजन करा दे। यह पूजा आपके सभी मनोकामनाओ की पुर्ति करती है।