Divyayogashop Blog

 March 14, 2017 

कुंडलिनी क्या है

कुंडलिनी जिसे हम सर्पेंट पॉवर भी कहते है. वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर यह प्रमाणित हो चुका है कि मनुष्य का शरीर जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी तथा काश इन पांच तत्वों से निर्मित होता है। और इसमे कोई संदेह नही कि जो चीज जिस तत्व से बनी हो उसमे उस तत्व के सारे गुण समाहित होते हैं। इस लिए पंचतत्वों से निर्मित मनुष्यों के शरीर में जल की शीतलता, वायु का तीब्र वेग, अग्नि का तेज, पृथ्वी की गुरूत्वाकर्षण, ओर आकाश की विशालता समाहित होता है। इससे उसके अंदर प्रचंड शक्ति आ जाती है लेकिन वह सुप्त अवस्था मे रहती है, उसी सुप्त शक्ति को जगाने की क्रिया को कुडंलिनी जागरण कहते है.

कुंडलिनी यह एक सॉप जैसे आकार की ऐसी शक्ती होती है जो अपने पूंछ को मुंह मे दबाये साढे-तीन फेरे मारे हुये मूलाधार मे सुप्त अवस्था मे स्थित होती है, इसे ध्यान योग, क्रिया योग, तन्त्र या मंत्र के द्वारा जाग्रत किया जाता है. मुलाधार में सुप्त पड़ी हुई कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत होकर सुषुम्ना नाडी में प्रवेश करती है तब यह शक्ति अपने स्पर्श से स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र, तथा आज्ञा चक्र से होते हुये सहस्त्रार चक्र तक पहुचती है इसी क्रिया को पुर्ण कुण्डलिनी जागरण कहा जाता है।

जब मूलाधार चैतन्य होना शुरु होता है, तब पॉचो तत्व मे से पृथ्वी तत्व की अधिकता बढ जाती है. इससे मनुष्य के अंदर जिज्ञासा बढनी शुरु हो जाती है, शरीर मे कंपन आना शुरु हो जाता है. मूलाधार मे विद्युत की तरंगे चलती हुयी महसूस होती है. तथा बुद्धि का विकास सही तरह से होता है. यह चक्र चैतन्य होने से योन समस्या, यानी गुदा भाग से लेकर पैर के अंगूठे तक के भाग का ब्लड सरकुलेशन तेज होने लगता जिससे उस भाग मे होने वाली समस्याये दूर होने लगती है.

जब स्वाधिष्ठान चक्र चैतन्य होना शुरु होता है, तब पॉचो तत्व मे से दो तत्व या पृथ्वी और जल तत्व की अधिकता बढ जाती है. इससे मनुष्य के अंदर जिज्ञासा के साथ उसे पाने व अनुभव करने का मन होने लगता है. बढनी शुरु हो जाती है, शरीर मे कंपन आना शुरु हो जाता है. मूलाधार मे विद्युत की तरंगे चलती हुयी महसूस होती है. तथा बुद्धि का विकास सही तरह से होता है. स्वाधिष्ठान चक्र का असर स्वभाव पर तेजी से होता है. जिससे हर तरह का व्यसन, बुरा स्वभाव, बुरी आदते, बुरे कर्म छोडने मे मदत मिलती है तथा सीखने की क्षमता बढती है.

जब मणीपुर चक्र चैतन्य होना शुरु होता है, तब पॉचो तत्व मे से तीन तत्व यानी पृथ्वी, जल तथा अग्नि तत्व की अधिकता बढ जाती है. इससे मनुष्य मे जोश, तेज व साहस बढ जाता है, तथ वहा हर तरह की परिस्थिति का सामना कर लेता है. शरीर मे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ जाती है. बिमारी से बचाव होता है, यही नही हर प्रकार के नजर तथा तंत्र के प्रभाव से भी सुरक्षा मिलती है. अगर आप बिमार है, भले यह बिमारी शारीरिक या मानसिक हो, तब आप समझ लीजीये कि आपका मणीपुर चक्र खराब है.

जब अनाहत चक्र चैतन्य होना शुरु होता है, तब पॉचो तत्व मे से चार तत्व यानी पृथ्वी, जल,अग्नि तथा वायु तत्व की अधिकता बढ जाती है. इससे मनुष्य का कठोर स्वभाव भावुकता मे बदलना शुरु हो जाता है इसके अलावा भावना पर नियंत्रण भी बना रहता है. जब अनाहत चक्र जाग्रत होने लगता है तो ऐसे लोगो के स्वभाव का कोई फायदा नही उठा पाता. तथा ये दोस्ती तथा प्यार मे धोखा खाने से बच जाते है.

जब विशुद्ध चक्र चैतन्य होना शुरु होता है, तब पॉचो तत्व शरीर मे बराबर काम करना शुरु कर देते है. ब्यक्ति के सभी चक्र बैलेंस हो जाते है. इस चक्र के अभ्यास से ब्यक्ति की बुद्धी बहुत ही तेजी से काम करती है. इसकी वजह से वह अपने कार्य क्षेत्र, ब्यापार, व्यवसाय, कलॉ क्षेत्र, गायन, लेखन, चित्रकारी तथा अभिनय क्षेत्र मे तेजी से तरक्की करता है.

जब आज्ञा चक्र चैतन्य होना शुरु होता है, तब पूरे शरीर मे शारीरिक व मानसिक रूप से नियंत्रण बढना शुरु हो जाता है. जीवन मे आगे बढने के लिये मानसिक रूप से शक्ति मिलनी शुरु हो जाती है. इस चक्र के सहारे ब्यक्ति को अपने मन-पसंद क्षेत्र मे बढने मे मदत मिलती है.

जब सहस्त्रार चक्र चैतन्य होना शुरु होता है, तब पूरे शरीर मे शारीरिक , मानसिक व अध्यात्मिक रूप से नियंत्रण बढना शुरु हो जाता है. यह चक्र आपके विचारो को शक्ति प्रदान करता है. इससे ब्यक्ति फोटो थेरिपी, डिस्तेंस हीलिंग, विचार प्रक्षेपण सिद्धी मे सफलता मिलनी शुरु हो जाती है. जो रेकी, प्रानिक हीलिंग के विद्यार्थी है उन्हे इस चक्र पर अभ्यास अवश्य करना चाहिये.

अंत मे मै सिर्फ यही कहना चाहता हु कि आप इन चक्रो का अभ्यास जरूर करे. इससे डरने की जरूरत नही है. हॉ किसी के मार्ग-दर्शन मे यह अभ्यास जरूर करे. मैने अलग अलग चक्रो पर अभ्यास कैसे करे इसका लिंक नीचे डिस्क्रिप्शन मे दिया गया है वहा आप सीख सकते है. आशा है कि आप इन चक्रो पर अभ्यास कर लाभ प्राप्त करेगे तथा दूसरो को भी लाभ लेने मे मदत करेगे.

See Kundalini power on youtube

 March 12, 2017 

सहस्त्रार चक्र कैसे सिद्ध करें ?

यह चक्र का स्थान सिर के बीच मे यानी जिस जगह लोग चोटी रखते है वह जगह माना जाती है सहस्त्रार चक्र में त्राटक करने से उस चक्र में प्राण और मन स्थिर होता है, इससे आपके अंदर बुरे कर्मो का नाश होकर, ब्यसन मुक्त होकर योग के मार्ग या अच्छे कर्म करने इच्छा बलवती होती है. आपकी आवाज भी निर्मल हो जाती है यानी कठोर स्वभाव से नरम स्वभाव हो जाता है. इसी चक्र से समाधी मे जाने की क्रिया शुरु हो जाती है. तथा इट्यूशन का अनुभव आना शुरु हो जाता है... इंट्यूशन का अर्थ है कि.....

अब जानते सहस्रार चक्र पर त्राटक कैसे करे

To know how to activate sahastrar chakra

एक शांत कमरे का चुनाव करे कमरे मे रोशनी थोडी कम रखे.. अब अपने ठीक सामने सहस्रार चक्र का चित्र दिवार पर लगाकर जमीन पर या कुर्सी पर बैठ जाय. .. और २१ बार श्वास खीचे तथा छोडे. अब मन्त्र का उच्चारण १ मिनट तक करे.. अब एकटक उस चक्र को देखते रहे... देखते ही देखते आज्ञा चक्र मे सुनहरे रंग की रोशनी दिखाई देने लगेगी.. पहले दिन यह अभ्यास ५ मिनट तक ही करे.... अब दुसरे दिन अभ्यास पुनः शुरु करे.. और मन्त्र का उच्चारण १ मिनट तक करे.. और सहस्रार चक्र पर त्राटक यानी एकटक देखते रहे.... इस तरह से रोज ५ मिनट और २१ दिन तक अभ्यास नियमित करे... इस अभ्यास से आपका सहस्रार चक्र या क्राउन चक्र चैतन्य होने लगता है.. सहस्रार चक्र का संबंध वॉयलट रंग से यानी बैगनी रंग से है... इसलिये जो कुछ भी महसूस होगा वह वॉयलेट कलर मे ज्यादा दिखाई दे तो समझये कि आप सही रास्ते पर है... यह चक्र आपके अंदर के तमाम कमियो को दूर करने लगता है... मन मे अच्छे विचार लाता है... यह चक्र चैतन्य होने पर ही कुंडलिनी जागरण की शुरुवात होती है...इस त्राटक से स्मरण शक्ति, आत्मविश्वास, मनोबल, इच्छाशक्ति की बढोतरी होनी शुरु हो जाती है. इसलिये इस सहस्रार चक्र का नियमित अभ्यास करे और अपने कार्यक्षेत्र मे सफलता पाये... आशा है कि आप इस नियम का पालन व अभ्यास करके अपने आपको स्वस्थ व निरोगी बनायेंगे तथा लोगो की मदत भी करेंगे.

 March 6, 2017 

आज्ञा चक्र त्राटक

यह चक्र दोनो ऑखो के बीच यानी भ्रू मध्य मे स्थित होता है। इस चक्र मे कोई तत्व नही होता. इसका कलर गोल्डन माना यानी सुनहरा रंग माना जाता है...इस चक्र को चैतन्य करने के लिए इसका मूल मंत्र ” ॐ ” का उच्चारण करना चाहिए। यह चक्र आपको अपने मंजिल पर पहुचाने के लिये मदत करता है. आपके विचार पॉजीटिव होने लगते है. अपनी गल्तियो का अहसास होता है तथा उसे सुधारने का प्रयत्न शुरु कर देते है. यह चक्र आपको शारीरिक, मानसिक व अध्यात्मिक रूप से आपको मजबूत बनाता है. ध्यान मे मन लगना शुरु हो जाता है. अगर आप साधना के क्षेत्र मे है तो सफलता का प्रतिशत बढ जाता है. मेरा अपना अनुभव यह है कि अगर आप बिना स्वार्थ किसी के बारे मे अच्छा सोचे तो उसे लाभ मिलता है. यानी डिस्टेंस हीलिंग की क्षमता बढ जाती है. यह चक्र आपको ध्यान की अथाह गहराई मे जाने के लिये मदत करता है. आज्ञा चक्र मन और बुद्धि के मिलन स्थान माना जाता है.

अब जानते आज्ञा चक्र पर त्राटक कैसे करे

एक शांत कमरे का चुनाव करे कमरे मे रोशनी थोडी कम रखे.. अब अपने ठीक सामने आज्ञा चक्र का चित्र दिवार पर लगाकर जमीन पर या कुर्सी पर बैठ जाय. .. और मन्त्र का उच्चारण १ मिनट तक करे.. अब एकटक उस चक्र को देखते रहे... देखते ही देखते आज्ञा चक्र मे सुनहरे रंग की रोशनी दिखाई देने लगेगी.. पहले दिन यह अभ्यास ५ मिनट तक ही करे.... अब दुसरे दिन अभ्यास पुनः शुरु करे.. और मन्त्र का उच्चारण १ मिनट तक करे.. और आज्ञा चक्र पर त्राटक यानी एकटक देखते रहे.... इस तरह से रोज ५ मिनट और २१ दिन तक अभ्यास नियमित करे... इस अभ्यास से आपका आज्ञा चक्र या भ्रू मध्य चक्र चैतन्य होने लगता है.. आज्ञा चक्र का संबंध सुनहरे रंग से है... इसलिये जो कुछ भी महसूस होगा वह अधिकतर सुनहरे रंग का ही होगा. यह चक्र आपके अंदर के तमाम कमियो को दूर करने लगता है... इस त्राटक से स्मरण शक्ति, आत्मविश्वास, मनोबल, इच्छाशक्ति की बढोतरी होनी शुरु हो जाती है. इसलिये इस आज्ञा चक्र का नियमित अभ्यास करे और अपने कार्यक्षेत्र मे सफलता पाये... आशा है कि आप इस नियम का पालन व अभ्यास करके अपने आपको स्वस्थ व निरोगी बनायेंगे तथा लोगो की मदत भी करेंगे.

Know more about Agya chakra (Third eye) tratak

 March 6, 2017 

गुरुपुष्यामृत योग

आज हम जानेगे गुरु पुष्य नक्षत्र के बारे जिसे हम गुरुपुष्यामृत योग भी कहते है. साधारण रूप से इसे समझे तो जिस दिन गुरुवार या ब्रहस्पतिवार के दिन पुष्य नक्षत्र हो उस दिन को गुरु पुष्य नक्षत्र योग कह सकते है. अब जानते है कि इसके लाभ क्या क्या हो सकते है...

  • कोई भी ब्यक्ति इस शुभ महूर्त का लाभ प्राप्त कर सकता है। और अशुभ या बुरी अवस्था से बच सकता है.
  • अपने जीवन में दिन-प्रतिदिन सफलता की प्राप्ति के लिए इसदिन से बढकर कोई दिन नही माना जाता.
  • इस दिन यानी गुरु पुष्य नक्षत्र मे नौकरी या इंटर्व्यू के लिये अप्लाई कर सकते है.
  • नये ब्यापार की आधार शिला रखकर सफलता प्राप्त की जा सकती है.
  • सफलता पाने के लिये कोई भी बंद पडा हुआ काम की शुरुवात कर सकते है.
  • कोई भी महत्वपूर्ण काम की शुरुवात कर सकते है
  • इस दिन नई गाडी ले सकते है.
  • इस दिन घर के लिये एडवांस बुकिंग कर सकते है.
  • इस दिन अपने नये घर मे प्रवेश कर सकते है.
  • जो साधना क्षेत्र मे है उन्के इस दिन दिक्षा या लक्ष्मी से संबंधित साधना अवश्य करनी चाहिये.
  • इस दिन कोई भी अध्यात्मिक वस्तु यंत्र, माला ई. अवश्य खरीदनी चाहिये.
  • इस कोई पूजा या अनुष्ठान अवश्य करना या करवाना चाहिये.
  • इस दिन गरीबो को अन्नदान अवश्य करना चाहिये.
  • इस दिन सोने चॉदी की खरीदारी भी शुभ मानी गयी है.

इसके अलावा....

Know abou Guru pushya nakshatra yog

  • इस दिन पति-पत्नि साथ मे किसी भी मंदिर मे जाकर भगवान के दर्शन अवश्य करना चाहिये , जिससे उनकी सभी मनोकामना पूर्ण हो.
  • मन-पसंद वर की प्राप्ती के लिये कुवारी कन्याये इस दिन ३२४ बार या ३ माला "ॐ कात्याने मम् कार्य कुरु कुरु नमः" का जाप कर किसी भी देवी मंदिर मे जाकर माता का दर्शन करना चाहिये.
  • कर्ज से छुटकारा पाने के लियेः- इस दिन लक्ष्मी की मुर्ति या फोटो के सामने "ॐ क्लीं पातु श्रीं रक्षा कुरु कुरु श्रीं नमः" का १० माला यानी १०८० मन्त्र का जाप करे. इससे आपको ऐसा लगेगा कि आप पर माता की कृपा हो रही है.
  • सुख-समृद्धी के लियेः- इस दिन तुलसी का पत्ता हाथ मे लेकर १० माला यानी १०८० बार "ॐ रीं महालक्ष्मेय नमः" का जापकर उस तुलसी को माता लक्ष्मी को चढाये. इससे आपके परिवार मे सुख-समृद्धी बनी रहती है.
  • पढाई मे सफलता पाने के लियेः- इस दिन "ॐ ऐं सरस्वतेय नमः" का ५४० मन्त्र या ५ माला जापकर सब विषयो को थोडा थोडा अवश्य पडना चाहिये.

 March 3, 2017 

विशुद्ध चक्र त्राटक

यह चक्र का स्थान कंठ में होता है। विशुद्ध चक्र पर त्राटक बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यह चैतन्य होने लगे तो व्यक्ति को वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है। इस चक्र के जागृत होने से ब्यक्ति दिर्घायु होता है , संगीत विद्या व कला के क्षेत्र सफलता प्राप्त होती है सीखने की क्षमता बढती है. व्यक्ति विद्वान होता है तथा अध्यन के क्षेत्र मे सफलता मिलती है. इस चक्र का ध्यान करने से दिव्य दृष्टि, दिव्य ज्ञान तथा समाज के लिए कल्याणकारी भावना पैदा होती है। विशुद्ध चक्र का अर्थ है "पूर्ण निरोगी या पूर्ण शुद्ध" . इसलिये इस चक्र पर त्राटक करने से मनुष्य मे रोग, दोष, भय, चिंता, शोक आदि दूर होकर वह लम्बी आयु को प्राप्त करता है। इस चक्र मे आकाश तत्व की प्रधानता होती है. यह तत्व शरीर मे प्राणशक्ति को बढाता है. इसी तत्व की वजह से मन को एकाग्र करने मे मदत मिलती है.

Know about vishuddha chakra tratak

एक शांत कमरे का चुनाव करे कमरे मे रोशनी थोडी कम रखे.. अब अपने ठीक सामने विशुद्ध चक्र का चित्र दिवार पर लगाकर जमीन पर या कुर्सी पर बैठ जाय. .. और हं बीज मन्त्र का उच्चारण १ मिनट तक करे.. अब एकटक उस चक्र को देखते रहे... देखते ही देखते विशुद्ध चक्र मे रोशनी दिखाई देने लगेगी.. पहले दिन यह अभ्यास ५ मिनट तक ही करे.... अब दुसरे दिन अभ्यास पुनः शुरु करे.. और हं बीज मन्त्र का उच्चारण १ मिनट तक करे.. और विशुद्ध चक्र पर त्राटक यानी एकटक देखते रहे.... इस तरह से रोज ५ मिनट और २१ दिन तक अभ्यास नियमित करे... इस अभ्यास से आपका विशुद्ध चक्र या सोलार चक्र चैतन्य होने लगता है.. विशुद्ध चक्र का संबंध आकाश तत्व से होता है... और आकाश तत्व चैतन्य होने से उसका प्रभाव आवाज या वाणी पर पडता है.. यह चक्र आपके अंदर के तमाम कमियो को दूर करने लगता है... मार्केटिंग क्षमता, भाषण देने की क्षमता मे बृद्धी होती है.. तथा आपको यह पता रहता है कि कब, किससे , कैसे बात करनी है... इसी वजह से आप अपना प्रभाव दूसरो पर डाल पाते है... इसलिये इस विशुद्ध चक्र का नियमित अभ्यास करे और पने क्षेत्र मे सफलता पाये...

Vishuddha chakra tratak

 February 28, 2017 

होलिका के दिन मनोकामना पूर्ण करने के लिये क्या करे?

होली का त्योहार हमारे देश मे धूमधाम से मनाया जाता है... यह ठंड के मौसम का आखिरी दिन माना जाता है... जिसे लोग अपनी अपनी परंपराओ के अनुसार मनाते है... लेकिन तंत्र मे होली के दिन का विशेष महत्व होता है... माता होलिका कहती है कि आप अपनी सभी बुराईया मुझे दे दो जिससे कि मै उसे भस्म कर सकू.... इसलिये आपके घर मे यंत्र खराब हो गये हो या माला खंडित हो गयी हो या कोई भी पूजा का सामान खराब हो गया हो तो उसे होलिका मे डाल दे...इसदिन को अगर सही तरह से उपयोग मे लाया जाय तो ब्यक्ति की हर तरह की मनोकामना पूर्ण होती है... नीचे कुछ उपाय दे रहा हू...

See what to do on holi

  • बिमारी... घर मे कोई ब्यक्ति बिमार है तो यह उपाय करे. एक नारियल के साथ एक नीम के पत्ते को लेकर बिमार ब्यक्ति के चारो तरफ एंटीक्लॉक वाईस या घडी की उल्टी दिशा की तरफ ११ बार घुमाये और होलिका मे डाल दे...
  • आर्थिक संकट....अगर आप आर्थिक संकट से गुजर रहे हो तो जंग लगा हुआ लोहा लेकर अपने चारो तरफ एंटीक्लॉक वाइस २१ बार घुमाये और होलिका मे डाल दे......
  • पति-पत्नी मे मन-मुटाव.... पति-पत्नी मे मन-मुटाव हो और आपस मे बात नही कर रहे हो तो पति या पत्नी किसी मोची जो जूता-चप्पल सीते है, के पास से ७ कीले ले आये और अपने ऊपर ११ बार व अपने पार्टनर के फोटो के ऊपर ११ बार घुमाकर होलिका मे डाल दे......
  • क्लेश या अशांती.... परिवार मे क्लेश या अशांती है तो एक नारियल लेकर परिवार के सभी सदस्यो के ऊपर ११-११ बार एंटीक्लॉक वाइस घुमाये और होलिका मे डाल दे,,,,,,
  • मन पसंद साथी की प्राप्ती के लिये... एक नारियल के साथ गुलाब का फूल ले ले और अपने ह्रदय के पास नारियल और गुलाब को हाथ से पकड कर रखे और अपने मन-पसंद साथी के लिये मनोकामना करे... और होलिका मे डाल दे,,,,,,
  • कर्ज मुक्ति के लिये... कमल का फूल या कमल का एक बीज हाथ मे ले और २१ बार अपने ऊपर उतार कर होलिका मे डाल दे....
  • शिक्षा के लिये... ११ तुलसी के पत्ते माता सरस्वती के चित्र के पास रखे या माता सरस्वती की मुर्ती के पास रखे और ११ "ॐ ऐं सरस्वतेय नमः" का जाप करे... और होलिका मे डाल दे....
  • बच्चे की नजर उतारने के लिये... एक नीम की पत्ती या मोर पंख लेकर बच्चे के ऊपर ११ बार एंटीक्लॉक वाइस घुमाये और होलिका मे डाल दे....
  • दुश्मनो द्वारा तंत्र के प्रभाव से बचने के लिये... एक नारियल के साथ ३ लौंग ले और अपने ऊपर ११ बार एंटीक्लॉक वाइस घुमाये या परिवार के जिस सदस्य के ऊपर तन्त्र का प्रभाव है, उनके ऊपर ११ बार घुमाये और होलिका मे डाल दे...
  • दुकान को नजर से बचाने के लिये... २ नारियल, २ लाल मिर्च, ४ लौंग, २ लाल कपडे लेकर दो पोटली बनाये यानी एक लाल कपडे मे एक नारियल, १ लाल मिर्च, २ लौंग लेकर बांध ले,,,, इस तरह से दो पोटली बन जायेगी उनमे से एक पोटली लेकर अपने ऊपर , ऑफिर की तिजोरी के ऊपर, अलमारी के ऊपर, गल्ले के ऊपर ११-११ बार एंटीक्लॉक वाइस घुमा ले.. और होलिका मे डाल दे...और दूसरी पोटली को दुकान के दरवाजे पर बीच मे या कोने पर लटका दे.
  • विवाह मे अडचने आ रही हो तो... एक नारियल लेकर के साथ एक तुलसी का पत्ता व एक गुलाब का फूल लेकर अपनी मनोकामना अपने मन मे कहे और होलिका मे डाल दे...

इसके अलावा जो साधना के क्षेत्र मे है, उन्हे कोई भी तंत्र साधना अवश्य करनी चाहिये क्योकि इस दिन की गयी साधना, दिक्षा मे सफलता का प्रतिशत बहुत ही ज्यादा होता है.... याद रखे होली के दिन को गवाये नही...आशा है ये उपाय जो मैने बताये है उसको अपनाकर लाभ उठायेगे.

देखे होली मे क्या करे!

 February 15, 2017 

त्राटक के नियम

योग मे षटकर्म जैसे नेती- धौती-नौली- वस्ती- कपालभाति और धारणा होते है.. जिसमे नेती- धौती-नौली- वस्ती- कपालभाति ये ५ क्रियाये शारीरिक शुद्धीकरण के लिये माने जाते है... और छठवी क्रिया धारणा जिसे त्राटक भी कहते है ये मानसिक शुद्धीकरण के लिये मानी जाती है...

त्राटक का अर्थ है कि बिना पलक झपकाये एकटक किसी वस्तु- चित्र को देखते रहना.

Tratak Rules

त्राटक २ तरह के माने जाते है.

  • बाह्य त्राटक (बाह्य त्राटक जैसे कि बाहर की कोई भी वस्तु, चित्र पर त्राटक करना)
  • अंतर त्राटक (अंतर त्राटक यानी किसी वस्तु - चित्र को अपने ध्यान मे लाकर त्राटक करना)

त्राटक के नियम

अगर आप त्राटक का अभ्यास करना चाहते तो कुछ नियम का पालन अवश्य करे. जैसे...

  • अघिक तेल, मिर्च, मसाले, खटाई, मांस, धूम्रपान, मद्यपान कम करे....
  • सुबह का अभ्यास सबसे अच्छा माना जाता है....
  • त्राटक का अभ्यास स्त्री-पुरुष कोई भी कर सकता है....
  • त्राटक का संबंध किसी जाति, धर्म, से नही है...
  • १८ वर्ष के ऊपर कोई भी ब्यक्ति बाह्य त्राटक का अभ्यास कर सकता है...
  • १२ वर्ष से ७० वर्ष तक कोई भी अंतर त्राटक कर सकता है...
  • त्राटक करने के लिये आपका कमरा शोरगुल से दूर शांत होना चाहिये...
  • कमरे मे मक्खी, मच्छर न हो इसका ध्यान रखे...
  • कमरे का वातावरण सुगंधित बनाने के लिये इत्र का उपयोग करे...
  • त्राटक का अभ्यास कुर्सी या जमीन पर आसन बिछाकर करे...
  • बिस्तर पर भी बैठकर अभ्यास कर सकते है लेकिन गुरु, देवी-देवताओ के चित्र पर त्राटक करना हो तो जमीन पर या कुर्सी पर बैठ कर करे....
  • किसी त्राटक के अभ्यास को बीच मे बिल्कुल न छोडे... त्राटक के अभ्यास को १० मिनट के ऊपर कभी न ले जाय....
  • किसी भी वस्तु पर त्राटक कर रहे हो तो उसका अभ्यास २१ दिन तक अवश्य करे.....
  • त्राटक करने बाद ऑखो मे पानी अवश्य मारे...
  • मिरर त्राटक करते समय कुछ डरावने अनुभव होते है क्योकि आपका ही चेहरा आईने मे विकृत रूप से दिखाई देता है, इसलिये डरने की जरूरत नही है....
  • मिरर त्राटक मे स्त्री अपने प्रतिबिम्ब की बाई आख मे देखकर त्राटक का अभ्यास करे,,,
  • और पुरुष अपने प्रतिबिम्ब की दाहिनी आख मे देखकर त्राटक करे... १० मिनट के ऊपर त्राटक करने पर आखो मे नुकसान होगा,...
  • आखो की रोशनी धुंधली हो जायेगी.. तथा ज्यादा देर तक त्राटक करने से गर्मियो मे ब्यक्ति को २-२ दिखाई पड सकते है..
  • इसलिये जोश मे ज्यादा देर तक यानी ६ से १० मिनट के ऊपर अभ्यास न करे....
  • अगर आपके आखो मे नम्बर का चश्मा लगा हुआ है तो चश्मा लगाकर ही अभ्यास करे...
  • हमेशा किसी योग्य जानकार के मार्ग दर्शन मे ही अभ्यास करे...
  • याद रखे हमे त्राटक से बहुत ही लाभ मिलता है लेकिन धीरे धीरे व नियमित अभ्यास करने पर ही....
  • जल्दबाजी मे आखो पर दबाव न डाले..

अंत मै इतना ही कहना चाहुंगा कि त्राटक का अभ्यास कोई भी कर सकता है. इसमे कोई मन्त्र जपने की जरूरत नही है...इसके अनगिनत लाभ मिलते है.. जरूरत है संयम, विश्वास और नियमित अभ्यास की... आशा है कि इस त्राटक के नियम का पालन करके आप पने जीवन सफल होगे.

Rules of Tratak

 February 13, 2017 

शिव रात्री के दिन लाभ उठाये

See what to do on maha shivaratri

हिंदू धर्म मे महाशिवरात्रि एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीना कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को छोटी शिवरात्रि आती है... और फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को महा शिवरात्री आती है... यह दिन कभी फरवरी तो कभी मार्च महीने मे आता है... इस महा शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव-पार्वती की शादी हुयी थी...इस दिन श्रद्धालु पूरी रात जागकर भगवान भोलेनाथ की पूजा- साधना, आराधना तथा भजन मे लगे रहते हैं। कुछ लोग पूरे दिन और रात उपवास भी करते हैं। शिव लिंग को पानी या गंगा जल और बेलपत्र चढ़ाने के बाद ही वे अपना उपवास तोड़ते हैं।

महिलाओं के लिए शिवरात्रि का विशेष महत्व है। अविवाहित महिलाएं भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं कि उन्हें उनके जैसा ही पति मिले। वहीं विवाहित महिलाएं अपने पति और परिवार के लिए मंगल कामना करती हैं। शिवरात्रि के साथ कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं।

भगवान शिव को मन्त्र राज यानी मन्त्रो के रचयिता कहते है... इन्ही से मन्त्रो की उत्पत्ति हुयी है

अब जानते है कि महाशिवरात्रि के दिन क्या करे?

कुवारी कन्याये मन-पसंद वर की प्राप्ती के लिये आज के दिन शिव मन्दिर जाकर बेल पत्र चढाते हुये "ॐ नमः शिवाये" का ३२४ बार जाप करे. याद रखे "ॐ नमः शिवाय" का नही. ये मन्त्र माता पार्वती का है, इसलिये कुवारी कन्याओ की मनोकामना जल्दी पूरी होती है.

विद्यार्थियो के लियेः शिव मन्दिर जाकर भगवान शिव पर बेलपत्र चढाये और "ॐ नमः ॐ शिवाय" का ५१ बार जाप करे और मंदिर का ३ चक्कर लगाये. इससे उन्हे अध्यन मे आसानी होती है तथा विदेश मे अध्यन का योग प्रबल होता है.

  • कर्ज मुक्ति के लियेः ३ पंखुडियो वाले २१ बेलपत्र भगवान शिव को चढाये और "ॐ क्लीं पातु श्रीं रक्षा ॐ नमः" का ५४० मन्त्र यानी ५ माला जाप करे.
  • बच्चो की नजर बचाव के लियेः शिव मंदिर मे बेलपत्र चढाकर "ॐ अघोराय क्लीं ॐ शिवाय नमः" का जाप ३२४ बार या ३ माला जपे.
  • तंत्रबाधा से बचने के लियेः भगवान शिव को बेल पत्र चढाने के बाद वहा से चढाया हुआ एक बेलपत्र घर ले आये और उसे घर के मंदिर मे रखे. अब रात के १० बजे के बाद एक तांबे के लोटे मे पानी भरकर या गंगाजल भरकर बेल पत्र से "ॐ अघोरेश्वर क्लीं हुं नमः शिवाय" का जाप करते हुये अपने घर के चारो तरफ तथा अपने व अपने परिवार के ऊपर भी छिडकाव करे.
  • बिमारी जल्द ठीक होने के लियेः भगवान शिव के दर्शन के बाद वहा से ३ बेलपत्र लाकर "ॐ पाशुपतये हुं नमः शिवाय" ५४० बार या ५ माला जाप करे और बिमार ब्यक्ति के बिस्तर के नीचे सिर की तरफ रखे.
  • भौतिक सुख के लियेः भगवान शिव के दर्शन के बाद वहा से ३ बेल पत्र लेकर घर आये. और "ॐ केदारेश्वर क्लीं नमः शिवाय" ३२४ बार यानी ३ माला जाप करे और उस बेल पत्र को दुकान के गल्ले मे या तिजोरी मे रखे.
  • इस दिन पति-पत्नी को एक साथ मे जाकर शिव दर्शन करना चाहिये जिससे कि उनका दांपत्य जीवन सुखी रहे.
  • इसके अलावा इस दिन दिक्षा अवश्य लेनी चाहिये यानी कोई न कोई साधना का संकल्प अवश्य करना चाहिये. तथा इस दिन की गयी पूजा १० गुना ज्यादा फल देती है.

 October 23, 2016 

नरक चतुर्दशी

नरक चतुर्दशी का त्योहार हर साल कार्तिक कृष्ण चतुदर्शी को यानी दिवाली के एक दिन पहले मनाया जाता है। इस चतुर्दशी तिथि को छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन प्रातः काल स्नान करके यम तर्पण एवं शाम के समय दीप दान का बड़ा महत्व है।

पुराणों की कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को नरकासुर नाम के असुर का वध किया। नरकासुर ने सोलह हजार कन्याओं को बंदी बना रखा था।

नरकासुर का वध करके श्री कृष्ण ने कन्याओं को बंधन मुक्त करवाया। इन कन्याओं ने श्री कृष्ण से कहा कि समाज उन्हें स्वीकार नहीं करेगा अतः आप ही कोई उपाय करें। समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए सत्यभामा के सहयोग से श्री कृष्ण ने इन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया।

नरकासुर का वध और १६००० कन्याओं के बंधन मुक्त होने के उपलक्ष्य में नरक चतुर्दशी के दिन दीपदान की परंपरा शुरू हुई। एक अन्य मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान करके यमराज की पूजा और संध्या के समय दीप दान करने से नर्क के यतनाओं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इस कारण भी नरक चतु्र्दशी के दिन दीपदान और पूजा का विधान है।

इस दिन प्रत्येक कार्य मे सफलता पाने के लिये "ॐ गं श्रीं रीं ऐं क्लीं फट्" इस मन्त्र को कम से कम ३ माला यानी ३२४ बार जपे और शाम को दीप दान करे या घर के दक्षिण दिशा मे दीपक रखे.

 October 15, 2016 

Karva Chauth

Karwa Chauth is an ancient ritual used by Indian women residing in India and out. This festival is more well-liked in North India and as well with the Sikh community. On the day of Karwa Chauth, women observe a day lengthy fast and pray for the overall health and progress of their loved/ husbands. This ritual of enjoying Karva Chauth is mainly followed in the states of Uttar Pradesh, Haryana, Punjab, Gujarat, and Rajasthan, to name a few.

Before we go ahead and tell you what rituals to follow in this Karwa Chauth 2016, let's first understand the meaning of Karva Chauth.

The word Karwa means 'clay pot' and Chauth means 'fourth day'. The clay pot which is utilized through the rituals is a indication of wealth and happiness. Therefore, the name Karwa Chauth is given to this day.

This day chant 3 mala (324 mantra) for...

  • Protect your family
  • Protect your husband
  • Healthy family life
  • wealth development

Mantra:

  • || OM DHANVANTARE SARVA RAKSHAA KURU KURU NAMAHA ||
  • ॥ॐ धनवंतरे सर्व रक्षा कुरु कुरु नमः॥